जयपुर. राइट टू हेल्थ बिल को लेकर चल रहा आंदोलन भले ही खत्म हो गया है, लेकिन अभी भी डॉक्टर्स के तेवर नरम नहीं हुए हैं. बिल को लेकर किए गए आंदोलन के पटाक्षेप के बाद आईएमए की प्रेस वार्ता में चिकित्सकों ने बिल को लेकर ब्यूरोक्रेटस पर निशाना साधा और कहा कि ब्यूरोक्रेट ने सरकार को गुमराह कर बिल पास करवाया. ऐसे अधिकारियों को चिह्नित कर कार्रवाई की जानी चाहिए.
प्राइवेट डॉक्टर्स और राजस्थान सरकार के बीच चल रहे गतिरोध का ठीकरा ब्यूरोक्रेट्स पर फोड़ा. उन्होंने इस बिल को पूरी तरह अलोकतांत्रिक और अव्यावहारिक बताते हुए कहा कि आला अधिकारियों ने वादाखिलाफी की. अगर पहले ही मांग मान ली जाती तो आंदोलन ही नहीं होता. डॉक्टर्स को एक नहीं दो बार धोखा दिया गया. अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को भी गुमराह किया.
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ऐसे दोषी अधिकारियों पर राज्य सरकार कार्रवाई करे. डॉक्टर्स ने आंदोलन के दौरान आम मरीजों को हुई परेशानियों के लिए माफी भी मांगी, साथ ही कहा कि ये बड़ा संघर्ष था. चिकित्सा जगत इस मामले में एकजुट हुआ, जो स्वागत योग्य है. राज्य सरकार के साथ जो समझौता हुआ वह सभी डॉक्टर्स की मंशा के अनुरूप हुआ है. ये आंदोलन चिकित्सकों की बड़ी जीत है. समझौते के बाद करीब 95 फीसदी प्राइवेट अस्पताल आरटीएच से बाहर हो गए हैं. ये ही डॉक्टर्स की मंशा थी, जो लंबे आंदोलन के बाद पूरी हुई.
इस दौरान डॉक्टर्स ने आंदोलन को ऐतिहासिक और सफल बताते हुए 95 फीसदी से ज्यादा अस्पताल समझौते के तहत आरटीएच से बाहर होने का दावा तो किया, लेकिन जब उनसे इस आंकड़े के दस्तावेज मांगे गए, तो वे कोई जवाब नहीं दे पाए. सबसे आश्चर्य की बात तो ये थी कि डॉक्टर नेता ये तक नहीं बता पाए कि राजस्थान में कितने प्राइवेट अस्पताल हैं.