जयपुर. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) के लोगों के साथ उत्पीड़न के साल 2019 में पूरे देश भर में कुल 45 हजार 935 मामले दर्ज किए गए. इनमें से 6 हजार 794 मामले राजस्थान में दर्ज किए गए, जो कि देश में दर्ज कुल मामलों का 14.80 प्रतिशत है. ऐसे में डराने वाली बात यह है कि राजस्थान में बीते 3 साल में अनुसूचित जाति के खिलाफ हो रहे अपराध की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
एडीजी सिविल राइटस रवि प्रकाश मेहरडा (Ravi Prakash Mehrada) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि प्रदेश में महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ घटित होने वाले अपराधों को लेकर राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) और राजस्थान पुलिस (Rajasthan Police) काफी सतर्क है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के निर्देश पर सभी जिला पुलिस अधीक्षक को यह निर्देश दिए गए हैं कि महिलाओं और बालिकाओं से संबंधित अत्याचार के जो भी मामले सामने आएं, उन्हें तुरंत दर्जकर उसकी जांच शुरू की जाए. वहीं थाने में जो भी परिवादी आ रहा है. उसकी शिकायत दर्ज की जा रही है, जिसके चलते राजस्थान में दर्ज होने वाले अपराधों का आंकड़ा काफी बढ़ गया है.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी दर्ज अपराध के बढ़ते आंकड़ों से नहीं घबराने की बात पुलिस के आला अधिकारियों को कही है. यदि बात साल 2020 की, कि जाए तो जनवरी से लेकर अगस्त महीने तक प्रदेश में युवतियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 3 हजार 498 मामले दर्ज किए गए हैं. हालांकि दर्ज मामलों की जब जांच की गई तो उसमें से 42.87 प्रतिशत मामले फर्जी पाए गए, जिसमें पुलिस ने कोर्ट में एफआर पेश की. इसी तरह से नाबालिग बालिकाओं के साथ होने वाले दुष्कर्म के मामलों की बात की जाए तो साल 2020 जनवरी से लेकर अगस्त महीने तक पॉक्सो के कुल 1 हजार 930 मामले प्रदेश में दर्ज किए गए, जिसमें से 25 प्रतिशत मामले फर्जी पाए गए.
महिला अत्याचारों में भी लगातार हो रही बढ़ोतरी
राजस्थान में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के मामले भी हर साल बढ़ते जा रहे हैं, जो की चिंता का एक बड़ा विषय है. यदि बात महिला अत्याचारों की की जाए तो साल 2017 में प्रदेश में 25 हजार 560 मामले दर्ज किए गए. वहीं साल 2018 में प्रदेश में महिला अत्याचारों के कुल 27 हजार 594 मामले दर्ज किए गए. इसी प्रकार से साल 2019 में महिला अत्याचारों के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई और साल 2019 में कुल 41 हजार 155 मामले महिला अत्याचारों के दर्ज किए गए. साल 2018 और 2019 में दर्ज किए गए महिला अत्याचारों के मामलों का यदि प्रतिशत निकाला जाए तो साल 2019 से 2018 की तुलना में महिला अत्याचारों के मामलों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
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दलित उत्पीड़न के मामलों में भी दर्ज की गई वृद्धि
दलित उत्पीड़न के पिछले 3 साल के मामले पर यदि नजर डाली जाए तो देश में साल 2017 में दलित उत्पीड़न के कुल 43 हजार 203 प्रकरण दर्ज किए गए, जिसमें से 4 हजार 238 मामले राजस्थान में दर्ज हुए. वहीं साल 2018 में देश में दलित उत्पीड़न के 42 हजार 793 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 4 हजार 607 मामले राजस्थान में दर्ज हुए. इसी तरह से साल 2019 में देश में दलित उत्पीड़न के 45 हजार 935 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 6 हजार 794 मामले राजस्थान में दर्ज हुए. साल 2019 में पूरे देश में दलित उत्पीड़न के जितने भी मामले दर्ज हुए. उसमें 25.8 प्रतिशत उत्तर प्रदेश, 14.8 प्रतिशत राजस्थान, 14.2 प्रतिशत बिहार और 11.5 प्रतिशत मध्यप्रदेश में दर्ज किए गए.
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प्रदेश में दलित उत्पीड़न के बढ़ते आंकड़ों पर विपक्ष ने सरकार को घेरा
दलित उत्पीड़न के मामलों में पूरे देश में राजस्थान दूसरे नंबर पर आया है, जिसका खुलासा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के द्वारा जारी की गई सूची से हुआ है. वहीं राजस्थान में लगातार बढ़ते दलित उत्पीड़न के मामलों पर विपक्ष द्वारा सरकार को घेरा जा रहा है और सरकार की कड़ी आलोचना की जा रही है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीय दलित युवती के साथ दुष्कर्म और हत्या की वारदात के बाद राजस्थान में बढ़ते दलित उत्पीड़न के मामलों पर अब बीजेपी द्वारा कांग्रेस सरकार को जमकर कोसा जा रहा है. बीजेपी सांसद दीया कुमारी ने भी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का हवाला देकर दलित महिलाओं के साथ राजस्थान में बढ़ रहे दुष्कर्म के मामलों को लेकर राजस्थान सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. साथ ही बीजेपी के अनेक नेताओं ने राजस्थान पुलिस और राजस्थान सरकार के तंत्र पर अनेक सवालिया निशान खड़े किए हैं.