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Rajasthan Political Crisis : कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बीच बीजेपी और राज्यपाल की भूमिका पर सबकी निगाहें - 92 Congress MLAs resigned

कांग्रेस में नए सीएम फेस को लेकर जारी सियासी घमासान (Controversy over new CM face in Congress) के बीच बीजेपी और राज्यपाल की भूमिका पर अब सबकी निगाहें टिकी है. बीजेपी भले ही मौजूदा घटनाक्रम से खुद को अलग बता रही हो, लेकिन बीजेपी को भी सही मौके की तलाश है. वहीं, राजभवन फिलहाल नियमों से बंधा (Raj Bhavan is tied in rules) है और बिना किसी की मांग के राज्यपाल इस मामले में हस्तक्षेप की स्थिति में नहीं है.

Rajasthan Political Crisis
राज्यपाल की भूमिका पर सबकी निगाहें
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Published : Sep 26, 2022, 3:54 PM IST

जयपुर: विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी (Assembly Speaker CP Joshi) को कांग्रेस के 76 विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंप (92 Congress MLAs resigned) दिया, लेकिन स्पीकर ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है. वहीं, इस इस्तीफे को पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति करार दिया जा रहा है, ताकि किसी भी तरह से सचिन पायलट को सीएम बनने से रोका जा सके.

सूबे में तेजी से बदलते सियासी घटनाक्रम के बीच अब राज्यपाल की भूमिका को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है, लेकिन अहम बात यह है कि राज्यपाल तब तक हस्तक्षेप नहीं कर (Raj Bhavan is tied in rules) सकते हैं, जब तक की कोई नाराज विधायक राजभवन पहुंच कर उनसे हस्तक्षेप की मांग न करे.

पढ़ें : वेट एंड वॉच की भूमिका में बीजेपी, स्पीकर के अगले कदम के बाद राजभवन कूच की तैयारी

वहीं, मौजूदा घटनाक्रम को देखते हुए विधानसभा सत्र बुलाने का अधिकार केवल सदन के अध्यक्ष के पास है, क्योंकि सरकार ने विधानसभा के मौजूदा सत्र का सत्रावसान नहीं किया था. ऐसे में नियमानुसार विधानसभा अध्यक्ष ही आगे इस दिशा में कुछ करने की स्थिति (Speaker can take action in the matter) में हैं.

विधायकों की फूट पर बीजेपी की नजर: अब सवाल उठता है कि कांग्रेस में विधायकों के इस्तीफे के इस घटनाक्रम के बाद भी बीजेपी भला क्यों खामोशी साधे बैठी है. दरअसल, बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. इस बार बीजेपी किसी प्रकार की जल्दबाजी दिखाना नहीं चाहती.

जयपुर: विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी (Assembly Speaker CP Joshi) को कांग्रेस के 76 विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंप (92 Congress MLAs resigned) दिया, लेकिन स्पीकर ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है. वहीं, इस इस्तीफे को पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति करार दिया जा रहा है, ताकि किसी भी तरह से सचिन पायलट को सीएम बनने से रोका जा सके.

सूबे में तेजी से बदलते सियासी घटनाक्रम के बीच अब राज्यपाल की भूमिका को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है, लेकिन अहम बात यह है कि राज्यपाल तब तक हस्तक्षेप नहीं कर (Raj Bhavan is tied in rules) सकते हैं, जब तक की कोई नाराज विधायक राजभवन पहुंच कर उनसे हस्तक्षेप की मांग न करे.

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वहीं, मौजूदा घटनाक्रम को देखते हुए विधानसभा सत्र बुलाने का अधिकार केवल सदन के अध्यक्ष के पास है, क्योंकि सरकार ने विधानसभा के मौजूदा सत्र का सत्रावसान नहीं किया था. ऐसे में नियमानुसार विधानसभा अध्यक्ष ही आगे इस दिशा में कुछ करने की स्थिति (Speaker can take action in the matter) में हैं.

विधायकों की फूट पर बीजेपी की नजर: अब सवाल उठता है कि कांग्रेस में विधायकों के इस्तीफे के इस घटनाक्रम के बाद भी बीजेपी भला क्यों खामोशी साधे बैठी है. दरअसल, बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. इस बार बीजेपी किसी प्रकार की जल्दबाजी दिखाना नहीं चाहती.

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