जयपुर. धौलपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से कांग्रेस के अंदर हुई बगावत का जिक्र राजस्थान में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा सकता है. बाड़मेर में शनिवार को सचिन पायलट समर्थक नेताओं का मंत्री हेमाराम चौधरी के कार्यक्रम में जमावड़ा और पायलट की ओर से प्रदेश में भ्रष्टाचार के मसले पर तीखे तेवर के बाद मुख्यमंत्री के इस बयान के कई राजनीतिक मायने हो सकते हैं.
ऐसे हालात में राजनीतिक विश्लेषक आशीष पाराशर मानते हैं कि गहलोत ने पायलट के भ्रष्टाचार के मसले पर उनके समर्थक विधायकों की ओर से किए गए भ्रष्टाचार के मामले को छोड़कर चिंगारी को सुलगाने का काम किया है. आशीष पाराशर के मुताबिक गहलोत ने चुनावी साल में मानेसर की बात छेड़कर टिकट वितरण, समर्थक विधायकों में विश्वास और बगावत करने वाले विधायकों के लिए एक पैगाम जारी किया है. इसके अलावा अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान का नाम लेते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर गहलोत ने लगातार चल रहे आरोपों के बीच नया तीर छोड़ दिया है.
सचिन पायलट पर एक और हमला : राजनीतिक विश्लेषक आशीष पाराशर के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से पैसे देने का आरोप लगाते हुए लेनदेन के जरिए खुद ही की पार्टी के विधायकों के भ्रष्टाचार पर आवाज उठाई है। इस बयान को सीधे तौर पर पायलट पर निशाने के रूप में देखा जाना चाहिए। राजस्थान लोक सेवा आयोग में पेपर लीक के मामले को लेकर बाड़मेर में सचिन पायलट ने सरकार पर आरोप लगाए थे, तो गहलोत ने पायलट समर्थक विधायकों पर ही पैसे लेने की बात कह कर भ्रष्टाचार में लिप्तता की बात कह दी. आशीष पाराशर ने कहा कि गहलोत ने न सिर्फ पायलट, बल्कि उनका साथ देने वाले विधायकों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि चुनावी साल में यह जंग बयानबाजी के जरिए और तेज हो सकती है. इस जंग में अशोक गहलोत के सामने भारतीय जनता पार्टी और सचिन पायलट दोनों ही खड़े होंगे.
समर्थक विधायकों के लिए गहलोत का पैगाम : राजस्थान में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है. ऐसे हालात में अशोक गहलोत के इस बयान के जरिए कांग्रेस में बढ़ रही धड़ेबाजी की आशंका के बीच गहलोत ने अपने कुनबे के विधायकों को भरोसा दिलाने की कोशिश की है. इस मैसेज के जरिए गहलोत यह पैगाम देना चाहते हैं कि टिकट के निर्धारण में उनकी भूमिका अहम रहने वाली है. बार-बार बगावत को लेकर बयानबाजी के बीच साथ देने वाले विधायकों के लिए अशोक गहलोत की ओर से इस बात का भरोसा दिलाया गया था कि वे जो मांगेंगे, उससे ज्यादा उन्हें मिलेगा. मतलब मायने साफ हैं कि यह लोग साथ देने वालों को नहीं भूलेंगे.
आशीष पाराशर ने कहा कि अशोक गहलोत राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं और वह हर बात के मायनों को समझते हैं. खुलकर बात कहने के बाद अब यह साफ हो चुका है कि आने वाले वक्त की राजनीति में किस दिशा में बात बढ़ेगी. अशोक गहलोत सरकार रिपीट करने का दावा बार-बार कर रहे हैं और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उनके लिए सबसे अहम है कि वे अपने विश्वासपात्र विधायकों को एक साथ जोड़ कर रखें. पाराशर ने कहा कि अशोक गहलोत ने भाजपा नेताओं में इस आरोप से खलबली मचाई है. खासतौर पर उनके निशाने पर केंद्रीय मंत्री शेखावत हैं.