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Rajasthan RTH Bill के विरोध में बुधवार को महाबंद, सरकारी अस्पतालों में भी नहीं मिलेगा इलाज

राजस्थान में RTH बिल का विरोध बढ़ता ही जा रहा है. जिसके चलते जयपुर में बुधवार को निजी अस्पतालों ने महाबंद का आह्वान किया है. सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी निजी डॉक्टरों का साथ देने की घोषणा की है. इस कारण मरीजों के साथ-साथ उनके तीमारदारों को भी बुधवार को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

Rajasthan RTH Bill
राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में बुधवार को महाबंद
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Published : Mar 28, 2023, 4:19 PM IST

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में बुधवार को महाबंद

जयपुर. राइट टू हेल्थ (RTH) बिल को लेकर चिकित्सकों में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसके बाद 29 मार्च को राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी अस्पतालों की ओर से महाबंद का आह्वान किया गया है. जिसका सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी समर्थन किया है. ऐसे में बुधवार को प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को इलाज उपलब्ध नहीं होगा.

ये भी पढ़ेंः परसादी लाल मीणा की दो टूक, राइट टू हेल्थ बिल वापस नहीं होगा

आपातकालीन और आईसीयू सेवाएं रहेंगी जारीः इस मामले को लेकर अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी का कहना है कि सरकार द्वारा जारी किया गया यह बिल चिकित्सकों पर थोपा गया है और अब चिकित्सक आर-पार की लड़ाई पर उतर गया है. ऐसे में अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ की ओर से 2 घंटे का कार्य बहिष्कार किया जा रहा है. जबकि प्राइवेट प्रैक्टिस को भी बंद कर दिया गया है. इसके अलावा 29 मार्च को महाबंद का आह्वान चिकित्सकों की ओर से किया गया है. जिसमें तमाम सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी इसको समर्थन दिया है. इसमें अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ और मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन भी शामिल हैं. ऐसे में 29 मार्च को प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में मरीजों को इलाज नहीं मिल पाएगा. हालांकि इस दौरान आपातकालीन और आईसीयू सेवाएं चालू रहेगी.

ये भी पढ़ेंः Right to Health Bill का 11वें दिन भी विरोध जारी, पूनिया बोले- सरकार अहंकार का रास्ता छोड़े

चिकित्सकों ने निकाली साइकिल रैलीः इसके अलावा राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में मंगलवार को निजी अस्पतालों के चिकित्सकों की ओर से साइकिल रैली निकाली गई. निजी अस्पतालों से जुड़े चिकित्सकों का कहना है कि जब तक सरकार इस बिल को वापस नहीं ले लेती, तब तक विभिन्न तरीकों से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहेगा. बीते दिन राजधानी जयपुर में महारैली का आयोजन किया गया था. जिसमें प्रदेशभर से आए निजी अस्पतालों के चिकित्सकों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर रैली निकाली और सरकार के समक्ष बिल को वापस लेने की मांग रखी. हालांकि प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने एक बार फिर से साफ किया है कि चिकित्सकों के लिए वार्ता के द्वार खुले हैं, लेकिन किसी भी सूरत में इस बिल को वापस नहीं लिया जाएगा.

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में बुधवार को महाबंद

जयपुर. राइट टू हेल्थ (RTH) बिल को लेकर चिकित्सकों में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसके बाद 29 मार्च को राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी अस्पतालों की ओर से महाबंद का आह्वान किया गया है. जिसका सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी समर्थन किया है. ऐसे में बुधवार को प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को इलाज उपलब्ध नहीं होगा.

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आपातकालीन और आईसीयू सेवाएं रहेंगी जारीः इस मामले को लेकर अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी का कहना है कि सरकार द्वारा जारी किया गया यह बिल चिकित्सकों पर थोपा गया है और अब चिकित्सक आर-पार की लड़ाई पर उतर गया है. ऐसे में अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ की ओर से 2 घंटे का कार्य बहिष्कार किया जा रहा है. जबकि प्राइवेट प्रैक्टिस को भी बंद कर दिया गया है. इसके अलावा 29 मार्च को महाबंद का आह्वान चिकित्सकों की ओर से किया गया है. जिसमें तमाम सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी इसको समर्थन दिया है. इसमें अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ और मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन भी शामिल हैं. ऐसे में 29 मार्च को प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में मरीजों को इलाज नहीं मिल पाएगा. हालांकि इस दौरान आपातकालीन और आईसीयू सेवाएं चालू रहेगी.

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चिकित्सकों ने निकाली साइकिल रैलीः इसके अलावा राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में मंगलवार को निजी अस्पतालों के चिकित्सकों की ओर से साइकिल रैली निकाली गई. निजी अस्पतालों से जुड़े चिकित्सकों का कहना है कि जब तक सरकार इस बिल को वापस नहीं ले लेती, तब तक विभिन्न तरीकों से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहेगा. बीते दिन राजधानी जयपुर में महारैली का आयोजन किया गया था. जिसमें प्रदेशभर से आए निजी अस्पतालों के चिकित्सकों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर रैली निकाली और सरकार के समक्ष बिल को वापस लेने की मांग रखी. हालांकि प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने एक बार फिर से साफ किया है कि चिकित्सकों के लिए वार्ता के द्वार खुले हैं, लेकिन किसी भी सूरत में इस बिल को वापस नहीं लिया जाएगा.

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