जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती रोक के बाद भी महिला प्रिंसिपल का पहले ट्रांसफर करने और बाद में 11 नवंबर 2019 को उसे निलंबित करने की कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई मानते हुए निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को मौजूदा राजकीय सीनियर सैकंडरी स्कूल मुरलीपुरा में ही काम करने के लिए कहा है.
अदालत ने प्रमुख माध्यमिक शिक्षा सचिव, निदेशक और डीईओ जयपुर से भी मामले में जवाब देने के लिए कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश ओम कंवर राठौड़ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
पढ़ेंः स्पेशल: राजस्थान की 'सुगड़ी देवी' उत्तराखंड के इस गांव की महिलाओं को सिखाएंगी कशीदाकारी
याचिका में कहा गया कि पूर्व में याचिकाकर्ता का तबादला जयपुर से झांफदाकला कर दिया. जिस पर हाईकोर्ट ने 16 नवंबर 2018 को रोक लगा दी, लेकिन फिर भी शिक्षा विभाग ने उसका तबादला 29 सितंबर 2019 को जयपुर से चित्तोड़गढ़ कर दिया.
वहीं, बाद में विभाग ने अपनी गलती मानते हुए 21 अक्टूबर 2019 को याचिकाकर्ता को पुन: मौजूदा जगह पर लगा दिया. इस दौरान ही 11 नवंबर 2019 को विभाग ने याचिकाकर्ता को बिना कोई कारण बताए ही निलंबित कर दिया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है.