जयपुर. हाईकोर्ट ने DGP को हाजिर होने सहित एसपी-डीएसपी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई वाले आदेश (HC Big Decision) पर रोक लगा दी है. वहीं, डीजीपी को कहा था कि क्यों ना उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए. साथ ही अदालत ने पॉक्सो कोर्ट के इसी मामले में डीएसपी मुकुल शर्मा, कोटा एसपी केसर सिंह शेखावत व प्राथमिक जांच अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने वाले आदेश पर भी रोक लगाई है.
वहीं, डीएसपी मुकुल शर्मा से केस का अनुसंधान वापस लेकर उन्हें तीन महीने तक किसी भी केस का अनुसंधान नहीं देने और उन्हें चार्जशीट देने वाले आदेश पर भी रोक लगाई है. जस्टिस अनूप ढंड़ ने यह आदेश डीएसपी मुकुल शर्मा व राज्य सरकार की याचिका पर बुधवार को दिया. राज्य सरकार की ओर से एएजी घनश्याम शर्मा व डीएसपी की ओर से अधिवक्ता अनुराग शर्मा ने अदालत को बताया कि पॉक्सो कोर्ट के जज ने सुस्थापित सिद्दांतों व विधि के प्रावधानों का उल्लंघन कर आदेश दिए हैं जाे गलत है.
इसलिए पॉक्सो कोर्ट के डीजीपी, एसपी व डीएसपी के खिलाफ दिए आदेशों की क्रियांविति पर रोक लगाई जाए. अदालत ने राज्य सरकार व प्रार्थी की दलीलों से सहमत होकर पॉक्सो कोर्ट के आदेशों की क्रियांविति पर रोक लगा दी. गौरतलब है कि पॉक्सो कोर्ट ने 18 जुलाई को एसपी को निर्देश दिया था कि मामले की जांच डीएसपी मुकुल शर्मा से लेकर किसी अन्य अफसर से करवाएं. इसका पालन नहीं होने पर पॉक्सो कोर्ट ने 23 अगस्त को डीजीपी को एसपी सहित अन्य पुलिस अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
वहीं, मामले की जांच डीएसपी मुकुल शर्मा की बजाए (departmental action against SP DSP) किसी दूसरे जिले के पुलिस अधिकारी से कराने, मुकुल शर्मा को तीन महीने तक किसी भी केस की जांच नहीं देने और उन्हें आरपीए या अन्य एकेडमी में ट्रेनिंग दिलवाने का निर्देश दिया.
यह था मामला : शिकायतकर्ता ने 26 अक्टूबर 2021 को सिटी एसपी को रिपोर्ट देकर बताया था कि उसकी बेटी को गोविंद बंगाली जबरदस्ती तीन-चार लोगों के साथ गाड़ी में डालकर ले गया. उसने अनंतपुरा थाने में लिखित शिकायत दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. बाद में शिकायतकर्ता ने 3 फरवरी को ई-मेल के जरिए कोर्ट को बताया कि पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही और टालमटोल कर रही है. इसलिए केस की प्रगति रिपोर्ट मंगवाई जाए.