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राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछा राज्य सरकार बताए होमगार्ड्स को नियमित नियुक्ति क्यों नहीं

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 13, 2024, 9:02 PM IST

Rajasthan High Court, राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख गृह सचिव व डीजी होमगार्ड को नोटिस जारी कर पूछा है कि प्रदेश में होमगार्ड्स को नियमित नियुक्ति की बजाय रोटेशन के आधार पर सेवा में क्यों नियोजित रखा जा रहा है.

Rajasthan High Court
Rajasthan High Court

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख गृह सचिव और डीजी होमगार्ड को नोटिस जारी कर पूछा है कि प्रदेश में होमगार्ड्स को नियमित नियुक्ति की बजाय रोटेशन के आधार पर सेवा में क्यों नियोजित रखा जा रहा है. अदालत ने इन अधिकारियों से यह भी पूछा है कि क्यों न होमगार्ड्स को नियमित नियुक्त करने के संबंध में आदेश जारी कर दिए जाए. जस्टिस समीर जैन ने एकलपीठ ने यह आदेश विष्णु कुमार चौधरी व अन्य की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि प्रदेश में होमगार्ड्स के तीस हजार से अधिक पद स्वीकृत हैं. इसमें से पचास फीसदी से भी कम होमगार्ड सेवा में हैं. राज्य सरकार इनकी नियुक्ति भी मासिक रोटेशन के आधार पर ही करती है. ऐसे में संबंधित विभाग में होमगार्ड नियोजित होने के बाद जब तक काम सीखता है, तब तक उसे हटाकर दूसरे होमगार्ड को लगा दिया जाता है. इसके बावजूद भी राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर होमगार्ड की नई भर्ती निकाल कर नए लोगों को इसमें शामिल कर लिया जाता है, लेकिन उन्हें नियमित रोजगार नहीं दिया जाता.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान हाईकोर्ट ने चयन के बाद भी पीटीआई पद पर नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब

याचिका में यह भी कहा गया कि इस संबंध में अलग-अलग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी होमगार्ड को नियमित नियोजन में रखने के आदेश दे चुके हैं. याचिका में गुहार की गई है की होमगार्ड की नई भर्ती निकालने से पूर्व पहले से मौजूद होमगार्ड्स को पूरे वर्ष नियोजित रखा जाए और उन्हें कम से कम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद का वेतन दिया जाए. इसके साथ ही इस संबंध में मानवाधिकार आयोग की ओर से की गई सिफारिशों के आधार पर कार्रवाई करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख गृह सचिव और डीजी होमगार्ड को नोटिस जारी कर पूछा है कि प्रदेश में होमगार्ड्स को नियमित नियुक्ति की बजाय रोटेशन के आधार पर सेवा में क्यों नियोजित रखा जा रहा है. अदालत ने इन अधिकारियों से यह भी पूछा है कि क्यों न होमगार्ड्स को नियमित नियुक्त करने के संबंध में आदेश जारी कर दिए जाए. जस्टिस समीर जैन ने एकलपीठ ने यह आदेश विष्णु कुमार चौधरी व अन्य की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि प्रदेश में होमगार्ड्स के तीस हजार से अधिक पद स्वीकृत हैं. इसमें से पचास फीसदी से भी कम होमगार्ड सेवा में हैं. राज्य सरकार इनकी नियुक्ति भी मासिक रोटेशन के आधार पर ही करती है. ऐसे में संबंधित विभाग में होमगार्ड नियोजित होने के बाद जब तक काम सीखता है, तब तक उसे हटाकर दूसरे होमगार्ड को लगा दिया जाता है. इसके बावजूद भी राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर होमगार्ड की नई भर्ती निकाल कर नए लोगों को इसमें शामिल कर लिया जाता है, लेकिन उन्हें नियमित रोजगार नहीं दिया जाता.

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याचिका में यह भी कहा गया कि इस संबंध में अलग-अलग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी होमगार्ड को नियमित नियोजन में रखने के आदेश दे चुके हैं. याचिका में गुहार की गई है की होमगार्ड की नई भर्ती निकालने से पूर्व पहले से मौजूद होमगार्ड्स को पूरे वर्ष नियोजित रखा जाए और उन्हें कम से कम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद का वेतन दिया जाए. इसके साथ ही इस संबंध में मानवाधिकार आयोग की ओर से की गई सिफारिशों के आधार पर कार्रवाई करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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