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नदी भूमि में बसे लोगों के आवास तोड़ने पर रोक, मांगा जवाब - Rajasthan Hindi news

राजस्थान हाईकोर्ट ने झुंझुनू की गुढ़ा तहसील के गांव मेनपुरा की नदी भूमि में बसे लोगों के आवास तोड़ने पर रोक लगा दी है. साथ ही प्रमुख राजस्व सचिव, झुंझुनू कलेक्टर और गुढ़ा तहसीलदार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Rajasthan High Court
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Published : Aug 9, 2023, 6:27 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने झुंझुनू की गुढ़ा तहसील के गांव मेनपुरा की नदी भूमि में बसे लोगों के आवास तोड़ने पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख राजस्व सचिव, झुंझुनू कलेक्टर और गुढ़ा तहसीलदार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश तारा चंद और अन्य की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता निखिल सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता अपने परिवार के साथ कई सालों से मेनपुरा गांव में रहते हैं. राजस्व रिकॉर्ड में 1.49 हेक्टर इस भूमि को गलती से नदी भूमि के रूप में दर्ज कर दिया गया है, जबकि वास्तव में नदी यहां से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर है. याचिका में कहा गया कि स्थानीय तहसीलदार ने याचिकाकर्ताओं को यहां से अपने निर्माण हटाने के लिए नोटिस जारी कर रखा है, जबकि सच्चाई यह है कि इस भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में गलती से नदी भूमि के रूप में दर्शा रखा है.

पढ़ें. Rajasthan Highcourt : विवाहित पुत्री से ज्यादा विधवा पुत्रवधू अनुकम्पा नियुक्ति की हकदार, कोर्ट ने दिए ये आदेश

स्थान से नहीं हटाने की गुहार : इस भूमि के आसपास की सारी भूमि आबादी भूमि के तौर पर दर्शाई गई है और नदी का बहाव क्षेत्र इतनी छोटी जमीन पर नहीं हो सकता. इसके अलावा राजस्व रिकॉर्ड में सुधार के लिए उपखंड अधिकारी के समक्ष दावा भी लंबित चल रहा है. याचिका में गुहार की गई है कि राजस्व रिकॉर्ड की गलती के कारण याचिकाकर्ताओं को उनके स्थान से नहीं हटाया जाए और उनके पक्के निर्माण को तोड़ने के संबंध में की जा रही कार्रवाई को भी रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए निर्माण तोड़ने की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने झुंझुनू की गुढ़ा तहसील के गांव मेनपुरा की नदी भूमि में बसे लोगों के आवास तोड़ने पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख राजस्व सचिव, झुंझुनू कलेक्टर और गुढ़ा तहसीलदार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश तारा चंद और अन्य की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता निखिल सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता अपने परिवार के साथ कई सालों से मेनपुरा गांव में रहते हैं. राजस्व रिकॉर्ड में 1.49 हेक्टर इस भूमि को गलती से नदी भूमि के रूप में दर्ज कर दिया गया है, जबकि वास्तव में नदी यहां से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर है. याचिका में कहा गया कि स्थानीय तहसीलदार ने याचिकाकर्ताओं को यहां से अपने निर्माण हटाने के लिए नोटिस जारी कर रखा है, जबकि सच्चाई यह है कि इस भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में गलती से नदी भूमि के रूप में दर्शा रखा है.

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स्थान से नहीं हटाने की गुहार : इस भूमि के आसपास की सारी भूमि आबादी भूमि के तौर पर दर्शाई गई है और नदी का बहाव क्षेत्र इतनी छोटी जमीन पर नहीं हो सकता. इसके अलावा राजस्व रिकॉर्ड में सुधार के लिए उपखंड अधिकारी के समक्ष दावा भी लंबित चल रहा है. याचिका में गुहार की गई है कि राजस्व रिकॉर्ड की गलती के कारण याचिकाकर्ताओं को उनके स्थान से नहीं हटाया जाए और उनके पक्के निर्माण को तोड़ने के संबंध में की जा रही कार्रवाई को भी रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए निर्माण तोड़ने की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है.

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