जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल के खिलाफ एसीबी प्रकरण लंबित होने का हवाला देकर उसकी हैड कांस्टेबल पद पर पदोन्नति रोकने के मामले में विभाग को आदेश दिए हैं. कोर्ट ने आदेश में विभाग को कहा है कि वह कांस्टेबल को प्रमोशन कैडर कोर्स में शामिल करे. साथ ही अदालत ने प्रमुख गृह सचिव, डीजीपी, आईजी भर्ती और दौसा एसपी से चार सप्ताह में जवाब मांगा है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश रामवतार की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवन्दा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 1998 में पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्त हुआ था. वर्ष 2016 में उसे एसीबी प्रकरण में गिरफ्तार होने पर निलंबित कर दिया गया. वहीं वर्ष 2019 में जमानत मिलने के बाद विभाग ने निलंबन आदेश रद्द कर दिया. याचिका में कहा गया कि पुलिस चयन बोर्ड ने वर्ष 2017-18 और 2018-2019 के लिए वरिष्ठता के आधार पर रिक्तियां जारी कर वरिष्ठता सूची तैयार की.
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दोनों वर्ष की रिक्तियों में याचिकाकर्ता का नाम वरिष्ठता सूची में शामिल था. लेकिन विभाग ने एसीबी केस लंबित होना बताकर याचिकाकर्ता को हैड कांस्टेबल पद पर पदोन्नति के लिए प्रमोशन कैडर कोर्स में भेजने और अंतिम परिणाम जारी करने से इनकार कर दिया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एसीबी में झूठा मामला दर्ज कराया गया था. जिसमें वह जमानत पर रिहा हो चुका है. वहीं उसके निलंबन आदेश को भी रद्द किया जा चुका है. इसके अलावा गृह विभाग के वर्ष 1984 के परिपत्र के अनुसार आपराधिक मामला लंबित होने के आधार पर किसी व्यक्ति को पदोन्नति से वंचित नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को प्रमोशन कैडर कोर्स में शामिल करने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.