जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह स्कूल में लैब असिस्टेंट के तौर पर कार्यरत कर्मचारी को बीएड कोर्स करने के लिए स्टडी लीव देने के लिए दो सप्ताह में निर्णय करे. इसके लिए अदालत ने याचिकाकर्ता को विभाग के समक्ष अपना प्रार्थना पत्र पेश करने को कहा है. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश देवेंद्र कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता करौली जिले के सूरौठ में स्थित राजकीय सीनियर स्कूल में लैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत है. उसने प्रधानाचार्य के जरिए प्री-बीएड परीक्षा में शामिल होने और बीएड करने के लिए उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र भेजा था. इस परीक्षा में पास होने के बाद उसे बीएड कोर्स के लिए कॉलेज आवंटित किया गया. इसके बावजूद भी विभाग की ओर से उसके प्रार्थना पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिका में कहा गया कि राजस्थान सेवा नियम के नियम 110 में प्रावधान है कि राज्य सरकार संबंधित कोर्स से होने वाले प्रशासनिक फायदे को देखते हुए कोर्स करने की अनुमति दे सकती है.
दो सप्ताह के भीतर निर्णय लेने को कहा : याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाने का काम भी करता है. इसके अलावा सेवा नियमों के तहत वरिष्ठ अध्यापक पद के प्रमोशन के लिए तृतीय श्रेणी शिक्षकों के साथ-साथ लैब असिस्टेंट भी पात्र है. ऐसे में यदि याचिकाकर्ता को कोर्स करने की अनुमति दी जाती है तो वह विद्यार्थियों को और अधिक प्रभावी तरीके से पढ़ा सकेगा, जिससे यह शिक्षा विभाग के लिए भी हितकारी साबित होगा. ऐसे में उसे नियम 110 के तहत स्टडी लीव दिलाई जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने विभाग को इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर निर्णय लेने को कहा है.