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राजस्थान हाईकोर्ट ने रिटायर चिकित्सक से पेंशन वसूली पर लगाई रोक, मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए रिटायर चिकित्सक से पेंशन वसूली की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है.

Rajasthan High Court imposes,  Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट ने रिटायर चिकित्सक से पेंशन वसूली पर लगाई रोक.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 26, 2023, 9:23 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रिटायर चिकित्सक के पेंशन परिलाभ रोकने और वसूली की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में चिकित्सा सचिव और स्वास्थ्य निदेशक सहित अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ. मांगीलाल मीना की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता 31 अक्टूबर 2020 को रिटायर हुआ था. इसके बाद उसके पेंशन सहित अन्य परिलाभ नहीं दिए गए. पेंशन देने के लिए याचिकाकर्ता ने कई बार विभाग में प्रतिवेदन भी पेश किए. इस पर विभाग ने याचिकाकर्ता को गत 25 जुलाई को सूचित किया कि उसके खिलाफ पूर्व की घटना को लेकर 31 मई 2023 को दंडादेश पारित किया गया है. वहीं राजस्थान पेंशन नियम के नियम 7 के तहत ऐसे मामले में पेंशन राशि का दस फीसदी भाग रोकने का दंड दिया गया है.

पढ़ेंः अदालती दखल के बाद मिला पेंशन परिलाभ, हाईकोर्ट ने अब देरी पर दिलाया ब्याज

इस आदेश के चलते याचिकाकर्ता की पेंशन शुरू नहीं की गई और उससे वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी गई. इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि उसके सेवाकाल में वर्ष 2009 से 2011 की अवधि की घटना की प्रारंभिक जांच के आधार पर याचिकाकर्ता को रिटायर होने के बाद दंडित करना पेंशन नियम के प्रावधानों के खिलाफ है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट भी तय कर चुका है कि रिटायर कर्मचारी के खिलाफ दंडादेश जारी करना व उसके पेंशन परिलाभ रोकना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने वसूली पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रिटायर चिकित्सक के पेंशन परिलाभ रोकने और वसूली की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में चिकित्सा सचिव और स्वास्थ्य निदेशक सहित अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ. मांगीलाल मीना की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता 31 अक्टूबर 2020 को रिटायर हुआ था. इसके बाद उसके पेंशन सहित अन्य परिलाभ नहीं दिए गए. पेंशन देने के लिए याचिकाकर्ता ने कई बार विभाग में प्रतिवेदन भी पेश किए. इस पर विभाग ने याचिकाकर्ता को गत 25 जुलाई को सूचित किया कि उसके खिलाफ पूर्व की घटना को लेकर 31 मई 2023 को दंडादेश पारित किया गया है. वहीं राजस्थान पेंशन नियम के नियम 7 के तहत ऐसे मामले में पेंशन राशि का दस फीसदी भाग रोकने का दंड दिया गया है.

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इस आदेश के चलते याचिकाकर्ता की पेंशन शुरू नहीं की गई और उससे वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी गई. इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि उसके सेवाकाल में वर्ष 2009 से 2011 की अवधि की घटना की प्रारंभिक जांच के आधार पर याचिकाकर्ता को रिटायर होने के बाद दंडित करना पेंशन नियम के प्रावधानों के खिलाफ है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट भी तय कर चुका है कि रिटायर कर्मचारी के खिलाफ दंडादेश जारी करना व उसके पेंशन परिलाभ रोकना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने वसूली पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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