जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रेवेन्यू रिकॉर्ड में सुधार करने से जुड़े मामले में राज्य सरकार की ओर से 12 साल से जवाब पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने सीकर कलेक्टर और श्रीमाधोपुर तहसीलदार पर दस-दस हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. अदालत ने राज्य सरकार को छूट दी है कि वह हर्जाना राशि दोषी अफसरों के वेतन से वसूल कर सकती है. वहीं अदालत ने कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि वह 23 मई को रिकॉर्ड सहित उपस्थित हो, जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश पुष्पा शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि मामले को अंतिम निस्तारण के लिए सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन मामले में राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं करने के चलते इस पर अंतिम सुनवाई नहीं हो सकी. जबकि अगस्त, 2022 में अदालत ने सरकारी वकील को जवाब पेश करने के स्पष्ट निर्देश दिए थे. ऐसे में प्रकरण को लेकर राज्य सरकार की उदासीनता और कलेक्टर और तहसीलदार की ओर से जवाब पेश नहीं करने उन पर हर्जाना लगाया जा रहा है.
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याचिका में अधिवक्ता श्याम आर्य और अधिवक्ता अतुल भारद्वाज ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के ससुर ने सीकर के खंडेला में आरएफसी से वर्ष 2007 में जमीन खरीदी थी. इस जमीन को आरएफसी ने एक कंपनी से गिरवी रखा था. वहीं रेवेन्यू रिकॉर्ड में यह जमीन पूर्व के मालिक के नाम ही दर्ज हो रखी है. याचिकाकर्ता की ओर से संबंधित अधिकारियों को कई बार लिखित प्रार्थना पत्र पेश किए, लेकिन रेवेन्यू रिकॉर्ड दुरुस्त नहीं किया गया. इसके अलावा रिकॉर्ड में जमीन की किस्म में भी बदलाव नहीं किया जा रहा है. ऐसे में याचिकाकर्ता की ओर से वर्ष 2011 में याचिका पेश की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कलेक्टर सहित अन्य से जवाब मांगा था, लेकिन अधिकारियों ने अब तक जवाब ही पेश नहीं किया.