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Pension to MLAs in Rajasthan: हाईकोर्ट ने पूछा, महाधिवक्ता बताएं, मुख्य सचिव की ओर से वे पैरवी करेंगे या नहीं - पूर्व विधायकों को हर माह पेंशन

508 पूर्व विधायकों को हर माह पेंशन देने से जुड़ी याचिका की सुनवाई में राजस्थान हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा है कि क्या वे मुख्य सचिव की ओर से भी पैरवी करेंगे या नहीं.

Rajasthan High court hearing of PIL in Pension to MLAs in Rajasthan
Pension to MLAs in Rajasthan: हाईकोर्ट ने पूछा, महाधिवक्ता बताएं, मुख्य सचिव की ओर से वे पैरवी करेंगे या नहीं
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Published : Feb 14, 2023, 8:22 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के 508 पूर्व एमएलए को हर माह पेंशन देने के मामले में महाधिवक्ता एमएस सिंघवी से पूछा है कि क्या वे मुख्य सचिव की ओर से भी पैरवी करेंगे या नहीं. अदालत ने इस संबंध में एजी को निर्देश प्राप्त करने और जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. जस्टिस अशोक गौड और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश मिलाप चंद डांडिया की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता के जूनियर ने पेश होकर जवाब के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा. इस पर अदालत ने कहा कि प्रकरण में मुख्य सचिव के साथ महाधिवक्ता अलग से पक्षकार हैं. ऐसे में क्या महाधिवक्ता अपने साथ-साथ मुख्य सचिव की ओर से भी पैरवी करेंगे. अदालत ने महाधिवक्ता को इस संबंध में मुख्य सचिव से निर्देश प्राप्त करने और स्वयं का जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है.

पढ़ें: rajasthan high court order: पूर्व विधायकों को मिल रही पेंशन मामले में याचिकाकर्ता से मांगी ये जानकारी, अगली सुनवाई 30 को होगी

जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में 508 पूर्व एमएलए को करीब 26 करोड़ रुपए सालाना पेंशन दी जा रही है. इनमें कई मौजूदा एमएलए भी हैं और करीब आधा दर्जन से अधिक पूर्व एमएलए को 1 लाख रुपए मासिक से ज्यादा पेंशन राशि दी जा रही है. वहीं करीब 100 से अधिक पूर्व एमएलए को 50 हजार रुपए से अधिक की मासिक पेंशन मिल रही है. राज्य सरकार राजस्थान विधानसभा (अधिकारियों और सदस्यों की परिलब्धियां एवं पेंशन) अधिनियम, 1956 व राजस्थान विधानसभा सदस्य पेंशन नियम, 1977 बनाकर पूर्व एमएलए को पेंशन दे रही है. जबकि संविधान के अनुच्छेद 195 और राज्य सूची की 38वीं एंट्री में पूर्व एमएलए को पेंशन देने का प्रावधान नहीं है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के 508 पूर्व एमएलए को हर माह पेंशन देने के मामले में महाधिवक्ता एमएस सिंघवी से पूछा है कि क्या वे मुख्य सचिव की ओर से भी पैरवी करेंगे या नहीं. अदालत ने इस संबंध में एजी को निर्देश प्राप्त करने और जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. जस्टिस अशोक गौड और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश मिलाप चंद डांडिया की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता के जूनियर ने पेश होकर जवाब के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा. इस पर अदालत ने कहा कि प्रकरण में मुख्य सचिव के साथ महाधिवक्ता अलग से पक्षकार हैं. ऐसे में क्या महाधिवक्ता अपने साथ-साथ मुख्य सचिव की ओर से भी पैरवी करेंगे. अदालत ने महाधिवक्ता को इस संबंध में मुख्य सचिव से निर्देश प्राप्त करने और स्वयं का जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है.

पढ़ें: rajasthan high court order: पूर्व विधायकों को मिल रही पेंशन मामले में याचिकाकर्ता से मांगी ये जानकारी, अगली सुनवाई 30 को होगी

जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में 508 पूर्व एमएलए को करीब 26 करोड़ रुपए सालाना पेंशन दी जा रही है. इनमें कई मौजूदा एमएलए भी हैं और करीब आधा दर्जन से अधिक पूर्व एमएलए को 1 लाख रुपए मासिक से ज्यादा पेंशन राशि दी जा रही है. वहीं करीब 100 से अधिक पूर्व एमएलए को 50 हजार रुपए से अधिक की मासिक पेंशन मिल रही है. राज्य सरकार राजस्थान विधानसभा (अधिकारियों और सदस्यों की परिलब्धियां एवं पेंशन) अधिनियम, 1956 व राजस्थान विधानसभा सदस्य पेंशन नियम, 1977 बनाकर पूर्व एमएलए को पेंशन दे रही है. जबकि संविधान के अनुच्छेद 195 और राज्य सूची की 38वीं एंट्री में पूर्व एमएलए को पेंशन देने का प्रावधान नहीं है.

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