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जमानत याचिकाओं में परिवादी या पीड़ित को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं : हाईकोर्ट

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 19, 2023, 10:35 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ की ओर से भेजे गए रेफरेंस को तय करते हुए कहा है कि सभी तरह की जमानत याचिकाओं में परिवादी या पीड़ित को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है.

Rajasthan High Court Hearing
राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ की ओर से भेजे गए रेफरेंस को तय करते हुए कहा है कि सभी तरह की जमानत याचिकाओं में परिवादी या पीड़ित को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है. जस्टिस अरुण भंसाली और पंकज भंडारी की खंडपीठ ने यह आदेश पूजा गुर्जर व अन्य की जमानत याचिकाओं पर भेजे गए रेफरेंस को तय करते हुए दिया.

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता और पीड़ित को सुनवाई का मौका देने के लिए कहा है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि उन्हें जमानत याचिकाओं में पक्षकार बनाया जाए. अदालत ने कहा कि पीड़ित पक्ष को कोई भी अधिकार देते समय यह भी जरूरी है कि आरोपी के अधिकारों की भी रक्षा की जाए.

पढ़ें. हाईकोर्ट ने दिए निर्देश पुराने राजस्व मामलों का किया जाए त्वरित निस्तारण, सीएस बनाए कमेटी

प्रकरण से जुड़े अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट की एक एकलपीठ ने 8 अगस्त 2023 के दिए अपने आदेश में कहा था कि सभी जमानत याचिकाओं में पीड़ित को भी पक्षकार बनाया जाए, ताकि वह भी अपना पक्ष रख सकें. इसके साथ ही एकलपीठ ने हाईकोर्ट प्रशासन को भी इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा था, जिस पर हाईकोर्ट प्रशासन ने 15 सितंबर को इस संबंध में निर्देश जारी कर जमानत याचिकाओं में पीड़ित या शिकायतकर्ता को जरूरी तौर पर पक्षकार बनाए जाने का निर्देश दिया.

बाद में दूसरी एकलपीठ ने पूजा गुर्जर व अन्य की जमानत याचिकाओं में अपना मत दिया कि ऐसे मामलों में परिवादी या पीड़ित पक्ष को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है. इसके साथ ही एकलपीठ ने प्रकरण में दो अलग-अलग मत होने के चलते इस बिंदु को तय करने के लिए खंडपीठ में भेज दिया था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ की ओर से भेजे गए रेफरेंस को तय करते हुए कहा है कि सभी तरह की जमानत याचिकाओं में परिवादी या पीड़ित को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है. जस्टिस अरुण भंसाली और पंकज भंडारी की खंडपीठ ने यह आदेश पूजा गुर्जर व अन्य की जमानत याचिकाओं पर भेजे गए रेफरेंस को तय करते हुए दिया.

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता और पीड़ित को सुनवाई का मौका देने के लिए कहा है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि उन्हें जमानत याचिकाओं में पक्षकार बनाया जाए. अदालत ने कहा कि पीड़ित पक्ष को कोई भी अधिकार देते समय यह भी जरूरी है कि आरोपी के अधिकारों की भी रक्षा की जाए.

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प्रकरण से जुड़े अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट की एक एकलपीठ ने 8 अगस्त 2023 के दिए अपने आदेश में कहा था कि सभी जमानत याचिकाओं में पीड़ित को भी पक्षकार बनाया जाए, ताकि वह भी अपना पक्ष रख सकें. इसके साथ ही एकलपीठ ने हाईकोर्ट प्रशासन को भी इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा था, जिस पर हाईकोर्ट प्रशासन ने 15 सितंबर को इस संबंध में निर्देश जारी कर जमानत याचिकाओं में पीड़ित या शिकायतकर्ता को जरूरी तौर पर पक्षकार बनाए जाने का निर्देश दिया.

बाद में दूसरी एकलपीठ ने पूजा गुर्जर व अन्य की जमानत याचिकाओं में अपना मत दिया कि ऐसे मामलों में परिवादी या पीड़ित पक्ष को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है. इसके साथ ही एकलपीठ ने प्रकरण में दो अलग-अलग मत होने के चलते इस बिंदु को तय करने के लिए खंडपीठ में भेज दिया था.

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