जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चिकित्सा विभाग में प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों विद मशीन मैन को नियमित सेवा के दायरे में नहीं लेने और उनके समान ही सीधे संविदा पर काम कर रहे कार्मिकों को नियमित करने पर राज्य सरकार व चिकित्सा विभाग से जवाब देने के लिए कहा है. अदालत ने यह निर्देश ब्रजभूषण व अन्य की याचिका पर दिया.
अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि प्रार्थी करौली जिले के कई अस्पतालों में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत साल 2021 से प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए नियुक्ति होकर लगातार मशीन विद मैन के पद पर कार्यरत हैं. हाईकोर्ट ने जयप्रकाश के मामले में राज्य सरकार व चिकित्सा विभाग को निर्देश दिया था कि वह कार्मिकों को प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए लेने की बजाय सीधे ही संविदा से लें, लेकिन फिर भी प्रार्थियों की सेवाएं प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए ही ली जा रही हैं.
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इसके अलावा राज्य सरकार 2023-24 में स्वीकृत 2532 कंप्यूटर ऑपरेटर विद मशीन के पद पर केवल बिना प्लेसमेंट एजेंसी वालों की बजाय सीधे संविदा पर कार्यरत संविदाकर्मियों को ही नियमित सेवा में हायरिंग नियम 2022 के तहत ले रही है. समान काम होते हुए भी प्रार्थियों को नियमित सेवा में नहीं लिया जा रहा जो उनके साथ भेदभाव है. ऐसे में उन्हें भी नियमित सेवा के दायरे में लेते हुए पदों पर नियमित किया जाए. इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व चिकित्सा विभाग से जवाब देने के लिए कहा है.