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हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती में गर्भवती और प्रसूता महिला को दी राहत, फिजिकल बाद में लेने को कहा

High Court gives relief राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती 2023 से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए गर्भवती और प्रसूता महिलाओं को राहत दी है.

Rajasthan High Court,  Court gives relief
राजस्थान हाईकोर्ट.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 28, 2023, 8:13 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती 2023 में गर्भवती और प्रसूता महिला अभ्यर्थियों को राहत देते हुए उनका फिजिकल बाद में लेने को कहा है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश ममता गुर्जर व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि गर्भावस्था एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और महिला से मातृत्व सुख नहीं छीना जा सकता.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने गत 3 अगस्त को कांस्टेबल भर्ती के लिए आवेदन मांगे. जिसमें समान पात्रता परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर शामिल किया गया. याचिकाकर्ता पूर्व में समान पात्रता परीक्षा पास कर चुकी हैं. ऐसे में उन्हें कांस्टेबल भर्ती की शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए बुलाया गया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता गर्भवती और प्रसूता हैं. इसलिए उनके लिए फिलहाल दक्षता परीक्षा देना संभव नहीं है.

पढ़ेंः कांस्टेबल भर्ती 2023 में पात्रता परीक्षा में से 15 गुना अभ्यर्थियों को नहीं बुलाने पर मांगा जवाब

याचिकाकर्ताओं की ओर से पूर्व में विभाग में प्रार्थना पत्र पेश कर दक्षता परीक्षा बाद में लेने का निवेदन किया गया, लेकिन विभाग ने याचिकाकर्ताओं को तय तिथि पर ही दक्षता परीक्षा में शामिल होने को कहा. याचिकाकर्ताओं को मातृत्व लाभ अधिनियम के प्रावधानों के तहत लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता. इसके अलावा विवाहित महिला का यह प्राकृतिक अधिकार है कि वह मातृत्व सुख हासिल करे. इसलिए उनकी दक्षता परीक्षा उनके फिट होने के बाद लिया जाए. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यदि याचिकाकर्ता गर्भवती थी तो उन्हें भर्ती के लिए आवेदन नहीं करना चाहिए था. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने उनके फिट होने पर दक्षता परीक्षा लेने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती 2023 में गर्भवती और प्रसूता महिला अभ्यर्थियों को राहत देते हुए उनका फिजिकल बाद में लेने को कहा है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश ममता गुर्जर व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि गर्भावस्था एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और महिला से मातृत्व सुख नहीं छीना जा सकता.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने गत 3 अगस्त को कांस्टेबल भर्ती के लिए आवेदन मांगे. जिसमें समान पात्रता परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर शामिल किया गया. याचिकाकर्ता पूर्व में समान पात्रता परीक्षा पास कर चुकी हैं. ऐसे में उन्हें कांस्टेबल भर्ती की शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए बुलाया गया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता गर्भवती और प्रसूता हैं. इसलिए उनके लिए फिलहाल दक्षता परीक्षा देना संभव नहीं है.

पढ़ेंः कांस्टेबल भर्ती 2023 में पात्रता परीक्षा में से 15 गुना अभ्यर्थियों को नहीं बुलाने पर मांगा जवाब

याचिकाकर्ताओं की ओर से पूर्व में विभाग में प्रार्थना पत्र पेश कर दक्षता परीक्षा बाद में लेने का निवेदन किया गया, लेकिन विभाग ने याचिकाकर्ताओं को तय तिथि पर ही दक्षता परीक्षा में शामिल होने को कहा. याचिकाकर्ताओं को मातृत्व लाभ अधिनियम के प्रावधानों के तहत लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता. इसके अलावा विवाहित महिला का यह प्राकृतिक अधिकार है कि वह मातृत्व सुख हासिल करे. इसलिए उनकी दक्षता परीक्षा उनके फिट होने के बाद लिया जाए. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यदि याचिकाकर्ता गर्भवती थी तो उन्हें भर्ती के लिए आवेदन नहीं करना चाहिए था. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने उनके फिट होने पर दक्षता परीक्षा लेने को कहा है.

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