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Rajasthan High Court : छात्र संघ चुनाव पर रोक के खिलाफ दायर याचिका खारिज, HC ने दी ये चेतावनी

राजस्थान हाईकोर्ट ने छात्र संघ चुनाव पर रोक के खिलाफ दायर याजिका को खारिज कर दिया. साथ ही याचिकाकर्ता से कहा कि अगर वो याचिका को वापस नहीं लेंगे तो कोर्ट इसे हर्जाने के साथ खारिज करेगा. इस पर याचिकाकर्ता ने याचिका को वापस ले लिया.

Rajasthan High Court
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Published : Aug 19, 2023, 1:19 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में इस साल छात्र संघ चुनाव नहीं कराने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. सीजे एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने अधिवक्ता शांतनु पारीक की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए. अदालत की ओर से जनहित याचिका पर नाराजगी जताते हुए कहा गया कि अगर इस याचिका को वापस नहीं लिया गया तो इसे हर्जाने के साथ खारिज किया जाएगा. इस पर याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका को वापस ले लिया.

सुनवाई के दौरान अदालत में याचिकाकर्ता से पूछा गया कि याचिका में जनहित के क्या मामले हैं. इसका जवाब याचिकाकर्ता नहीं दे सके. अदालत ने यह भी कहा कि यह पब्लिक इंटरेस्ट पिटीशन न होकर पब्लिकेशन इंटरेस्ट पिटीशन है. वहीं, आगे अदालत के पूछने पर याचिकाकर्ता ने कहा कि वो पेशे से अधिवक्ता हैं और विधिक जागरूकता के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करते हैं. इस पर अदालत ने कहा कि ये ही समस्या है कि वो इसे पब्लिसिटी के तौर पर ले रहे हैं. इधर, छात्र संघ चुनाव आयोजन के अधिकार पर अदालत ने कहा कि छात्र अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं. उनको लगेगा तो हाइकोर्ट में याचिका पेश करेंगे. इसके अलावा राज्य सरकार चुनाव कराने को लेकर परिस्थितियों के आधार पर निर्णय करती है. सरकार ने चुनाव बैन भी नहीं किया है.

इसे भी पढ़ें - Rajasthan Politics : छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाकर सीएम अशोक गहलोत ने स्वीकारी हार - वासुदेव देवनानी

जनहित याचिका में कहा गया था कि छात्र संघ चुनाव के जरिए छात्रों को उनका प्रतिनिधि चुनने का मौलिक अधिकार है. यह अधिकार उन्हें संविधान के अनुच्छेद 19(1)(अ) व अनुच्छेद 21 से मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में इसे मौलिक अधिकार का दर्जा दिया था. राज्य सरकार की ओर से केवल एक परिपत्र से ही तर्कहीन व असंवैधानिक कारणों से छात्र संघ चुनावों को नहीं कराने का निर्णय लिया है, जो गलत है.

परिपत्र में कहा गया है कि उच्च शिक्षा नीति की क्रियान्विति, कई विश्वविद्यालयों के परीक्षा परिणाम में देरी और मौजूदा शैक्षणिक सत्र में देरी से प्रवेश के कारण अध्यापन कार्य चुनौतीपूर्ण हो गए हैं. ऐसे में छात्र संघ चुनाव नहीं कराए जाने का निर्णय लिया गया है. वहीं, सरकार ने यह भी कहा है कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की पालना भी नहीं हो पा रही है. जबकि इन सिफारिशों की पालना करवाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार, विवि और कॉलेज प्रशासन की है.

हर विवि ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों पर एक कोड ऑफ कंडक्ट के नियम बना रखे हैं और यदि इन नियमों की अवहेलना होती है तो नियमानुसार कार्रवाई का प्रावधान है. ऐसे में प्रदेश के विवि और कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव कराए जाए. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने गत 12 अगस्त को आदेश जारी कर इस साल छात्र संघ चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में इस साल छात्र संघ चुनाव नहीं कराने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. सीजे एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने अधिवक्ता शांतनु पारीक की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए. अदालत की ओर से जनहित याचिका पर नाराजगी जताते हुए कहा गया कि अगर इस याचिका को वापस नहीं लिया गया तो इसे हर्जाने के साथ खारिज किया जाएगा. इस पर याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका को वापस ले लिया.

सुनवाई के दौरान अदालत में याचिकाकर्ता से पूछा गया कि याचिका में जनहित के क्या मामले हैं. इसका जवाब याचिकाकर्ता नहीं दे सके. अदालत ने यह भी कहा कि यह पब्लिक इंटरेस्ट पिटीशन न होकर पब्लिकेशन इंटरेस्ट पिटीशन है. वहीं, आगे अदालत के पूछने पर याचिकाकर्ता ने कहा कि वो पेशे से अधिवक्ता हैं और विधिक जागरूकता के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करते हैं. इस पर अदालत ने कहा कि ये ही समस्या है कि वो इसे पब्लिसिटी के तौर पर ले रहे हैं. इधर, छात्र संघ चुनाव आयोजन के अधिकार पर अदालत ने कहा कि छात्र अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं. उनको लगेगा तो हाइकोर्ट में याचिका पेश करेंगे. इसके अलावा राज्य सरकार चुनाव कराने को लेकर परिस्थितियों के आधार पर निर्णय करती है. सरकार ने चुनाव बैन भी नहीं किया है.

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जनहित याचिका में कहा गया था कि छात्र संघ चुनाव के जरिए छात्रों को उनका प्रतिनिधि चुनने का मौलिक अधिकार है. यह अधिकार उन्हें संविधान के अनुच्छेद 19(1)(अ) व अनुच्छेद 21 से मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में इसे मौलिक अधिकार का दर्जा दिया था. राज्य सरकार की ओर से केवल एक परिपत्र से ही तर्कहीन व असंवैधानिक कारणों से छात्र संघ चुनावों को नहीं कराने का निर्णय लिया है, जो गलत है.

परिपत्र में कहा गया है कि उच्च शिक्षा नीति की क्रियान्विति, कई विश्वविद्यालयों के परीक्षा परिणाम में देरी और मौजूदा शैक्षणिक सत्र में देरी से प्रवेश के कारण अध्यापन कार्य चुनौतीपूर्ण हो गए हैं. ऐसे में छात्र संघ चुनाव नहीं कराए जाने का निर्णय लिया गया है. वहीं, सरकार ने यह भी कहा है कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की पालना भी नहीं हो पा रही है. जबकि इन सिफारिशों की पालना करवाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार, विवि और कॉलेज प्रशासन की है.

हर विवि ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों पर एक कोड ऑफ कंडक्ट के नियम बना रखे हैं और यदि इन नियमों की अवहेलना होती है तो नियमानुसार कार्रवाई का प्रावधान है. ऐसे में प्रदेश के विवि और कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव कराए जाए. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने गत 12 अगस्त को आदेश जारी कर इस साल छात्र संघ चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया है.

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