जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरा स्थापित करने के संबंध में गत 23 अगस्त को दिए आदेश की पालना में अब तक क्या प्रगति हुई है?. अदालत ने कहा कि इस संबंध में पेश किए जाने वाले शपथ पत्र में इन कैमरे की स्टोरेज क्षमता का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाए.
इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि शपथ पत्र संबंधित विभाग के जिम्मेदार राजपत्रित अधिकारी की ओर से पेश किया जाए. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश मोनिका कुमारी चौधरी व अन्य की आपराधिक याचिका पर दिए. याचिका में याचिकाकर्ताओं के साथ बजाज नगर थाने में हुई मारपीट और अवैध हिरासत में रखने को चुनौती दी गई है. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने गत 28 जून को आदेश दिए थे कि बजाज नगर थाने में लगे सीसीटीवी के 13 अप्रैल 2022 से 17 अप्रैल 2022 तक की अवधि के फुटेज पेश किए जाएं.
वहीं बाद में डीसीपी वेस्ट ने पेश होकर कहा था कि थानों में राज्य सरकार ने सीसीटीवी नहीं लगाए हैं. थानों में आमजन के सहयोग से सीसीटीवी लगे हैं, लेकिन उनमें सिर्फ 32 घंटे की रिकॉर्डिंग की सुरक्षित रहती है. वहीं दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत को बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने परमवीर सिंह के मामले में थानों में छह माह की रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखने वाली क्षमता के सीसीटीवी लगाने के निर्देश दे रखे हैं. इस पर अदालत ने संबंधित अधिकारियों से थानों में सीसीटीवी लगाने की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा था. गौरतलब है कि प्रदेश के कई पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हुए हैं. वहीं जिन थानों में आमजन का सहयोग लेकर सीसीटीवी लगाए गए हैं, उनकी क्षमता भी कुछ घंटों के स्टोरेज की ही है. जिसके चलते वहां सीसीटीवी स्थापित करने का उद्देश्य सफल नहीं हो पाता है.