जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान नर्सिंग कौंसिल के रजिस्ट्रार पद पर अपात्र को लगाने पर प्रमुख चिकित्सा सचिव और उप स्वास्थ्य सचिव व अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश श्याम सिंह की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता आशीष शर्मा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने 6 अक्टूबर, 2021 को आदेश जारी कर नर्स ग्रेड द्वितीय शशिकांत शर्मा को राजस्थान नर्सिंग कौंसिल के रजिस्ट्रार पद का काम भी सौंप दिया. जबकि उनके पास तय पात्रता नहीं है और वे सिर्फ अस्थाई रूप से असिस्टेंट लेक्चरर के पद पर लगे हुए हैं. याचिका में कहा गया कि देश में भारतीय नर्सिंग कौंसिल नर्सिंग कार्यक्रमों को रेगुलेट करने के लिए सर्वोच्च संस्था है. जिसने 24 अप्रैल, 2000 को परिपत्र जारी कर राज्य स्तरीय कौंसिल में रजिस्ट्रार नियुक्ति की योग्यता तय की है.
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इसके तहत मान्यता प्राप्त विवि से एमएससी के साथ ही आठ से दस साल का नर्सिंग शिक्षा और प्रशासन का अनुभव व इसमें भी कम से कम पांच साल अध्यापन का अनुभव होना जरूरी है. जबकि शशिकांत शर्मा के पास तय पांच साल का अध्यापन का अनुभव नहीं है. इसके अलावा वर्ष 1964 के नियमों के तहत गठित कौंसिल ही राजस्थान नर्सिंग कौंसिल के रजिस्ट्रार को नियुक्ति दे सकती है. जबकि इस मामले में नियमों के खिलाफ जाकर उप स्वास्थ्य सचिव ने रजिस्ट्रार पद पर अपात्र को नियुक्त कर दिया. इस दौरान वरिष्ठता की भी अनदेखी की गई. याचिका में कहा गया कि शशिकांत शर्मा आरपीएससी की ओर से आयोजित नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती-2010 में कोर्ट के अंतरिम आदेश से नियुक्त हुए थे. इस भर्ती में पेपर लीक होना भी सामने आया था. रजिस्ट्रार की परीक्षा के गोपनीय कार्य में भी भूमिका रहती है. ऐसे में इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उनको रजिस्ट्रार के पद का सौंपा गया काम वापस लिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों व शशिकांत शर्मा से जवाब तलब किया है.