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राजस्थान में गहलोत और पायलट की बयानबाजी, पार्टी हाईकमान मौन है क्यों ? - Rajasthan congress latest news in Hindi

राजस्थान कांग्रेस अनुशासन हीनता का पर्याय बन गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बयान देते हैं फिर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट उसका जवाब देते हैं. दोनो के समर्थक पार्टी विरोधी बयानबाजी करते हैं. पार्टी हाईकमान मौन है क्या ये तूफान से पहले की शांति तो नहीं है?

राजस्थान में गहलोत और पायलट
राजस्थान में गहलोत और पायलट
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Published : May 17, 2023, 9:54 AM IST

जयपुर. कहते हैं कि जिस पार्टी में अनुशासनहीनता होती है वो पार्टी आगे नहीं बढ़ पाती, लेकिन इन दिनों राजस्थान में अनुशासनहीनता का पर्याय देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस बन चुकी है. राजस्थान में जिस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच राजनीतिक शीत युद्ध जारी है उसमें पार्टी का अनुशासन कहीं पीछे छूट गया है. हालांकि अनुशासनहीनता की शुरुआत तो साल 2018 में विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के चयन के बाद से ही शुरू हो गई थी. लेकिन साल 2020 में हुई सचिन पायलट की बगावत ने उसे और बल दिया. फिर 25 सितंबर 2022 को कांग्रेस आलाकमान के विधायक दल की बैठक बुलाने के फैसले का जब विधायकों ने विरोध करते हुए इस्तीफे सौंप दिए. इसके साथ रही सही कसर उस समय पूरी हो गई. 25 सितंबर के बाद तो राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के हालात ये हैं कि पहले अशोक गहलोत कोई बयान देते हैं उसके मायने निकालकर सचिन पायलट जवाब देते हैं. उसके बाद दोनों के समर्थक अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी बयानबाजी में जुट जाते हैं.

आलकमान ने साधी चुप्पी क्या तूफान से पहले की शांति : राजस्थान में हो रही बयानबाजी को लेकर कांग्रेस आलाकमान सर्कुलर जारी कर चुका है. प्रदेश के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा नेताओं को हिदायत दे चुके हैं. हालात यह है कि जिन नेताओं को राजस्थान का सह प्रभारी बनाकर आलाकमान और राजस्थान कांग्रेस के बीच की कड़ी के रूप में राजस्थान भेजा गया है. वो भी इस मामले को आलकमान के नाम पर टालते नजर आ रहे हैं. उधर इस मामले में पायलट के अल्टीमेटम के बाद छाई चुप्पी से लग रहा है कि आलाकमान अब कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के निर्णय के बाद राजस्थान कांग्रेस का स्थाई समाधान देगा.

पढ़ें सचिन पायलट के मुद्दे पर आलाकमान लेगा फैसला, प्रदेश में रिपीट होगी कांग्रेस की सरकार - सह प्रभारी अमृता

राजस्थान में विपक्ष गौण कांग्रेस ही सरकार कांग्रेस ही विपक्ष : राजस्थान में हालात ये है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार है और कांग्रेस पार्टी ही विपक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी की सरकार पर सवाल खड़े कर रही है. उसी कांग्रेस पार्टी का दूसरा धड़ा विपक्ष बनकर अपनी ही पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है. जिस तरह अशोक गहलोत ने कांग्रेस के विधायकों पर अमित शाह और भाजपा से करोड़ों रुपए लेकर सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाते हुए उन्हे वो पैसे लौटाने की बात कही. जिसे पायलट कैंप में अपने ऊपर लिया. नतीजा ये हुआ कि सचिन पायलट ने 5 दिन तक अजमेर से जयपुर तक न केवल पैदल मार्च किया बल्कि अपनी ही सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा किया. इतना ही नहीं 5 वें दिन जब जयपुर में सचिन पायलट की सभा हुई तो पायलट कैम्प के विधायक और मंत्री ने गहलोत कैंप के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के जमकर आरोप लगाए. उन्होंने यहां तक कहा कि राजस्थान भ्रष्टाचार के मामले में कर्नाटक की 40 परसेंट वाली भाजपा सरकार को भी पीछे छोड़ दिया है.

जयपुर. कहते हैं कि जिस पार्टी में अनुशासनहीनता होती है वो पार्टी आगे नहीं बढ़ पाती, लेकिन इन दिनों राजस्थान में अनुशासनहीनता का पर्याय देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस बन चुकी है. राजस्थान में जिस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच राजनीतिक शीत युद्ध जारी है उसमें पार्टी का अनुशासन कहीं पीछे छूट गया है. हालांकि अनुशासनहीनता की शुरुआत तो साल 2018 में विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के चयन के बाद से ही शुरू हो गई थी. लेकिन साल 2020 में हुई सचिन पायलट की बगावत ने उसे और बल दिया. फिर 25 सितंबर 2022 को कांग्रेस आलाकमान के विधायक दल की बैठक बुलाने के फैसले का जब विधायकों ने विरोध करते हुए इस्तीफे सौंप दिए. इसके साथ रही सही कसर उस समय पूरी हो गई. 25 सितंबर के बाद तो राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के हालात ये हैं कि पहले अशोक गहलोत कोई बयान देते हैं उसके मायने निकालकर सचिन पायलट जवाब देते हैं. उसके बाद दोनों के समर्थक अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी बयानबाजी में जुट जाते हैं.

आलकमान ने साधी चुप्पी क्या तूफान से पहले की शांति : राजस्थान में हो रही बयानबाजी को लेकर कांग्रेस आलाकमान सर्कुलर जारी कर चुका है. प्रदेश के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा नेताओं को हिदायत दे चुके हैं. हालात यह है कि जिन नेताओं को राजस्थान का सह प्रभारी बनाकर आलाकमान और राजस्थान कांग्रेस के बीच की कड़ी के रूप में राजस्थान भेजा गया है. वो भी इस मामले को आलकमान के नाम पर टालते नजर आ रहे हैं. उधर इस मामले में पायलट के अल्टीमेटम के बाद छाई चुप्पी से लग रहा है कि आलाकमान अब कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के निर्णय के बाद राजस्थान कांग्रेस का स्थाई समाधान देगा.

पढ़ें सचिन पायलट के मुद्दे पर आलाकमान लेगा फैसला, प्रदेश में रिपीट होगी कांग्रेस की सरकार - सह प्रभारी अमृता

राजस्थान में विपक्ष गौण कांग्रेस ही सरकार कांग्रेस ही विपक्ष : राजस्थान में हालात ये है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार है और कांग्रेस पार्टी ही विपक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी की सरकार पर सवाल खड़े कर रही है. उसी कांग्रेस पार्टी का दूसरा धड़ा विपक्ष बनकर अपनी ही पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है. जिस तरह अशोक गहलोत ने कांग्रेस के विधायकों पर अमित शाह और भाजपा से करोड़ों रुपए लेकर सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाते हुए उन्हे वो पैसे लौटाने की बात कही. जिसे पायलट कैंप में अपने ऊपर लिया. नतीजा ये हुआ कि सचिन पायलट ने 5 दिन तक अजमेर से जयपुर तक न केवल पैदल मार्च किया बल्कि अपनी ही सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा किया. इतना ही नहीं 5 वें दिन जब जयपुर में सचिन पायलट की सभा हुई तो पायलट कैम्प के विधायक और मंत्री ने गहलोत कैंप के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के जमकर आरोप लगाए. उन्होंने यहां तक कहा कि राजस्थान भ्रष्टाचार के मामले में कर्नाटक की 40 परसेंट वाली भाजपा सरकार को भी पीछे छोड़ दिया है.

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