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भैरोंसिंह शेखावत की जन्म शताब्दी के बहाने गुटबाजी खत्म करने की कवायद, एक मंच पर आए भाजपा के सभी दिग्गज - राजस्थान विधानसभा चुनाव

राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में अब भाजपा केंद्रीय नेतृत्व गुटबाजी को खत्म करने की कवायद में लग गया है. वहीं, सोमवार को पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की जन्म शताब्दी के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा के सभी दिग्गज एक मंच पर (Rajasthan BJP veterans seen on stage) नजर आए.

Rajasthan BJP veterans seen on stage
Rajasthan BJP veterans seen on stage
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Published : May 15, 2023, 6:35 PM IST

Updated : May 15, 2023, 6:40 PM IST

जयपुर. राजस्थान में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. दलगत गुटबाजी से कांग्रेस के साथ ही भाजपा भी परेशान है. जिसकी बानगी समय-दर-समय देखने को मिलते रही है. एक ओर कांग्रेस के सचिन पायलट जनसंघर्ष यात्रा के जरिए अपने सियासी रुख को साफ कर चुके हैं तो वहीं, दूसरी ओर भाजपा भी अंदरूनी गुटबाजी से बेहाल है. वहीं, कर्नाटक चुनाव के बाद अब भाजपा के लिए राजस्थान भी बड़ी चुनौती बन गई है.

इस साल देश के 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें राजस्थान भी शामिल है. ऐसे में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की कोशिश है कि प्रदेश की सभी संसदीय सीटों पर पार्टी को जीत मिले. लेकिन इसके लिए सबसे पहले गुटबाजी को खत्म करने की जरूरत है. इसलिए पार्टी ने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की जन्म शताब्दी के बहाने सभी नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश की. साथ ही यह संदेश देने की कोशिश की प्रदेश भाजपा के नेता एकजुट हैं.

Rajasthan BJP veterans seen on stage
एक मंच पर आए भाजपा के सभी दिग्गज

हालांकि, भैरोंसिंह सिंह शेखावत की जन्म शताब्दी समारोह की शुरुआत उनके पैतृक गांव खाचरियावास से हुई, जहां प्रदेश भाजपा के तमाम बड़े नेता एक मंच पर नजर आए. इस बीच खास बात ये रही कि लंबे समय से एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने वाले पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व मौजूदा उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी एक साथ मंच बैठे नजर आए. इस दौरान मंच पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित तमाम पार्टी के नेता मौजूद रहे. कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे.

इसे भी पढ़ें - भैरोंसिंह शेखावत की पुण्यतिथि पर सीकर में कार्यक्रम, सतीश पूनिया बोले- भाजपा हमेशा उनकी ऋणी रहेगी

चरम पर गुटबाजी - राजस्थान में पिछले 4 साल से भाजपा आंतरिक गुटबाजी से लड़ रही है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बीच गुटबाजी कई बार सामने आ चुकी है. यहां तक कि राजे और उनके समर्थक नेताओं ने प्रदेश संगठन से दूरी तक बना ली थी. पार्टी में लगातार दिख रही इस गुटबाजी के बीच केंद्रीय नेतृत्व ने अब इसे खत्म करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष को ही बदल दिया. पार्टी ने पूनिया की जगह चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद सतीश पूनिया को उपनेता प्रतिपक्ष बनाया गया.

खुलकर तो नहीं, लेकिन अंदर खाने सतीश पूनिया उपनेता प्रतिपक्ष के पद से खुश नहीं है. यही वजह है कि उन्होंने अध्यक्ष पद से हटने के साथ ही प्रदेश संगठन के कार्यक्रमों से दूरी बना ली. पहले राजे और अब सतीश पूनिया अलग-थलग दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में पार्टी ने इन सभी नेताओं को एक मंच पर लाने के लिए पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की जन्म शताब्दी वर्ष को माध्यम बनाया है. ताकि चुनावी साल में जनता के बीच में एक सकारात्मक मैसेज दिया जा सके.

गुटबाजी की शुरुआत - दरअसल, प्रदेश भाजपा में गुटबाजी की शुरुआत डॉ. सतीश पूनिया को अध्यक्ष बनाने के साथ ही हुई थी. पूनिया के अध्यक्ष बनने के साथ ही पार्टी मुख्यालय के बाहर लगने वाले मुख्य होल्डिंग से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की फोटो को हटा दिया गया था. उस समय ये तर्क दिया गया कि फोटो सिर्फ नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की ही लगती है. उसके बाद प्रदेश संगठन के किसी भी कार्यक्रम में वसुंधरा राजे नहीं दिखती थी. फिर चाहे वह उपचुनाव हो या फिर प्रदेश भाजपा की ओर से किए जाने वाला कोई कार्यक्रम. यहां तक की जन आक्रोश यात्रा शुरुआत के दौरान भी राजे और उनके समर्थक विधायक यात्रा से दूरी बनाए रहे.

राजस्थान के सियासी जानकारों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रदेश संगठन से दूरी का खामियाजा भाजपा को उपचुनाव में उठाना पड़ा था. जन आक्रोश यात्रा को भी कोई खास समर्थन नहीं मिला था. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व भी इस बात को महसूस कर रहा था कि राजे को नजरअंदाज करने का खामियाजा 2023 के विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. यही वजह है कि लगातार मिलती गुटबाजी की खबरें के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने करीब 6 महीने पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की तस्वीर को पार्टी मुख्यालय के बाहर होर्डिंग में लगाया और उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष को भी बदल दिया.

जयपुर. राजस्थान में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. दलगत गुटबाजी से कांग्रेस के साथ ही भाजपा भी परेशान है. जिसकी बानगी समय-दर-समय देखने को मिलते रही है. एक ओर कांग्रेस के सचिन पायलट जनसंघर्ष यात्रा के जरिए अपने सियासी रुख को साफ कर चुके हैं तो वहीं, दूसरी ओर भाजपा भी अंदरूनी गुटबाजी से बेहाल है. वहीं, कर्नाटक चुनाव के बाद अब भाजपा के लिए राजस्थान भी बड़ी चुनौती बन गई है.

इस साल देश के 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें राजस्थान भी शामिल है. ऐसे में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की कोशिश है कि प्रदेश की सभी संसदीय सीटों पर पार्टी को जीत मिले. लेकिन इसके लिए सबसे पहले गुटबाजी को खत्म करने की जरूरत है. इसलिए पार्टी ने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की जन्म शताब्दी के बहाने सभी नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश की. साथ ही यह संदेश देने की कोशिश की प्रदेश भाजपा के नेता एकजुट हैं.

Rajasthan BJP veterans seen on stage
एक मंच पर आए भाजपा के सभी दिग्गज

हालांकि, भैरोंसिंह सिंह शेखावत की जन्म शताब्दी समारोह की शुरुआत उनके पैतृक गांव खाचरियावास से हुई, जहां प्रदेश भाजपा के तमाम बड़े नेता एक मंच पर नजर आए. इस बीच खास बात ये रही कि लंबे समय से एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने वाले पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व मौजूदा उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी एक साथ मंच बैठे नजर आए. इस दौरान मंच पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित तमाम पार्टी के नेता मौजूद रहे. कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे.

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चरम पर गुटबाजी - राजस्थान में पिछले 4 साल से भाजपा आंतरिक गुटबाजी से लड़ रही है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बीच गुटबाजी कई बार सामने आ चुकी है. यहां तक कि राजे और उनके समर्थक नेताओं ने प्रदेश संगठन से दूरी तक बना ली थी. पार्टी में लगातार दिख रही इस गुटबाजी के बीच केंद्रीय नेतृत्व ने अब इसे खत्म करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष को ही बदल दिया. पार्टी ने पूनिया की जगह चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद सतीश पूनिया को उपनेता प्रतिपक्ष बनाया गया.

खुलकर तो नहीं, लेकिन अंदर खाने सतीश पूनिया उपनेता प्रतिपक्ष के पद से खुश नहीं है. यही वजह है कि उन्होंने अध्यक्ष पद से हटने के साथ ही प्रदेश संगठन के कार्यक्रमों से दूरी बना ली. पहले राजे और अब सतीश पूनिया अलग-थलग दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में पार्टी ने इन सभी नेताओं को एक मंच पर लाने के लिए पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की जन्म शताब्दी वर्ष को माध्यम बनाया है. ताकि चुनावी साल में जनता के बीच में एक सकारात्मक मैसेज दिया जा सके.

गुटबाजी की शुरुआत - दरअसल, प्रदेश भाजपा में गुटबाजी की शुरुआत डॉ. सतीश पूनिया को अध्यक्ष बनाने के साथ ही हुई थी. पूनिया के अध्यक्ष बनने के साथ ही पार्टी मुख्यालय के बाहर लगने वाले मुख्य होल्डिंग से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की फोटो को हटा दिया गया था. उस समय ये तर्क दिया गया कि फोटो सिर्फ नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की ही लगती है. उसके बाद प्रदेश संगठन के किसी भी कार्यक्रम में वसुंधरा राजे नहीं दिखती थी. फिर चाहे वह उपचुनाव हो या फिर प्रदेश भाजपा की ओर से किए जाने वाला कोई कार्यक्रम. यहां तक की जन आक्रोश यात्रा शुरुआत के दौरान भी राजे और उनके समर्थक विधायक यात्रा से दूरी बनाए रहे.

राजस्थान के सियासी जानकारों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रदेश संगठन से दूरी का खामियाजा भाजपा को उपचुनाव में उठाना पड़ा था. जन आक्रोश यात्रा को भी कोई खास समर्थन नहीं मिला था. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व भी इस बात को महसूस कर रहा था कि राजे को नजरअंदाज करने का खामियाजा 2023 के विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. यही वजह है कि लगातार मिलती गुटबाजी की खबरें के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने करीब 6 महीने पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की तस्वीर को पार्टी मुख्यालय के बाहर होर्डिंग में लगाया और उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष को भी बदल दिया.

Last Updated : May 15, 2023, 6:40 PM IST
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