जयपुर. राजस्थान में जब भी आंदोलनों का जिक्र होता है तो सियासी गलियारों में सबसे पहला नाम राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा का आता है. अपनी सुनियोजित रणनीति से इंटेलिजेंस को चकमा देने में माहिर मीणा को आंदोलन का मास्टर 'बाबा' कहा जाता है. बड़ी बात यह है कि जब भी किरोड़ी लाल मीणा ने कोई मुद्दा उठाया तो उसे पार्टी स्तर पर फॉलो किया जाता रहा है. फिर चाहे वो पेपर लीक प्रकरण हो, पुजारियों की हत्या मामला हो या फिर वर्तमान में चल रहा है वीरांगनाओं का आंदोलन. जब भी मीणा ने इन मुद्दों को आंदोलन की शक्ल दी तो पार्टी उनके राह पर चल पड़ी.
पहले किनारा और फिर अनुसरण - पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से राजनीतिक अदावत और फिर मौजूदा प्रदेश संगठन से आंतरिक मतभेद की बातें किसी से छुपी नहीं है. शायद यही वजह है कि राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा जब भी कोई आंदोलन करते हैं तो वह अकेले अपने दम पर उसे शुरू करते हैं. उनके आंदोलनों को कभी प्रदेश पार्टी नेतृत्व का खुलकर समर्थन नहीं मिलता है. बावजूद इसके वो हर बार सफल होते हैं. जिसकी बानगी समय-दर-समय देखने को भी मिलती रही है. चाहे अवैध खनन मामला हो, पुजारियों की हत्या का मामला हो या फिर पेपर लीक प्रकरण या वीरांगनाओं का मौजूदा आंदोलन. हर बार किरोड़ी लाल मीणा अकेले ही आंदोलन को शुरू करते हैं और उसे मंजिल तक पहुंचाते हैं.
जब पुजारी के शव को लेकर जयपुर पहुंचे मीणा - किरोड़ी लाल मीणा ने जमीन के मामले में पुजारी की मौत के मुद्दे को उठाया था. इतना ही नहीं 11 अप्रैल, 2021 को मीणा पुलिस को चकमा देकर दौसा गए और वहां से पुजारी के शव को लेकर सिविल लाइन पहुंच थे. दरअसल, दौसा जिले के महुआ में मंदिर की जमीन को लेकर पुजारी शंभु शर्मा की हत्या हो गई थी. इसके बाद किरोड़ी लाल मीणा पुजारी का शव लेकर धरने पर बैठ गए थे. बाद में आईबी को चकमा देकर शव को लेकर समर्थकों के साथ सिविल लाइन पहुंचे थे. इस मामले पर भी बाद में भाजपा को मीणा के समर्थन में उतरना पड़ा था.
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ERCP के मुद्दे को उठाया - पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लिए ईआरसीपी योजना में संशोधन कर राज्य सरकार की ओर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भिजवाने की मांग को लेकर अगस्त 2022 में सांसद किरोड़ी लाल मीणा हजारों समर्थकों के साथ जयपुर कूच किया था. इससे पहले जनवरी 2020 में मीणा ने दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे को लेकर किसानों के मुआवजे की मांग को लेकर जमीन समाधि आंदोलन शुरू किया था. उस आंदोलन में सैकड़ों की तादाद में महिला, पुरुषों ने हाईवे में मुआवजे की मांग को लेकर जिले के लाडली के बास गांव में समाधि लेनी शुरू की थी.
सीएचए के समर्थन में किया आंदोलन - इसी तरह से साल 2022 में राज्य सरकार की ओर से 25 हजार कोविड स्वास्थ्य सहायकों को हटाए जाने पर उनके समर्थन में किरोड़ी लाल मीणा ने एक बड़ा आंदोलन किया था. इसमें शहीद स्मारक पर कई दिनों तक करोड़ी लाल मीणा ने सीएचए के साथ धरना भी दिया था. इस आंदोलन के दौरान वो कई बार पुलिस को चकमा भी दिए.
रीट चीट मामला - पिछले साल शिक्षक भर्ती परीक्षा में चीट के मामले को लेकर किरोड़ी लाल मीणा ने एक आंदोलन किया था. फरवरी 2022 को रीट पेपर लीक मामले को लेकर ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गए थे. मीणा ने पेपर लीक करने और उसे बेचने से जुड़े मामले में 400 करोड़ की डील का आरोप लगया था. इसके बाद इसी मुद्दे को लेकर वो लगातार पार्टी लाइन से हटकर आंदोलन करते रहे. इतना ही नही इसी साल पेपर लीक की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर दौसा से जयपुर कूच किए थे. बाद में इस मामले को प्रदेश भाजपा ने उठा लिया था.
वीरांगनाओं के समर्थन में उतरे मीणा - वहीं, बीते 28 फरवरी से पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं को लेकर किरोड़ी लाल मीणा लगातार आंदोलन कर रहे हैं. इस आंदोलन में अब भाजपा को भी उनके समर्थन में खुले रुप से उतरना पड़ा है. मीणा पिछले 11 दिन से तीन वीरांगनाओं को लेकर पहले शहीद स्मारक और फिर सिविल लाइन स्थित पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बंगले के बाहर धरना दे रहे थे. लेकिन इस बीच पुलिस ने मीणा के साथ दुर्व्यवहार किया. जिसके विरोध में जिलेवार धरना प्रदर्शन का कारवां शुरू हो गया.
पीएम मोदी ने की थी तारीफ - राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा हमेशा आम जनता से जुड़े मुद्दे उठाते रहे हैं. चाहे वो बेरोजगारी का मामला हो, अवैध खनन का मामला हो या फिर वीरांगनाओं का आंदोलन. उनके आंदोलन से युवाओं के साथ ही महिलाएं और आमजनों तक का जुड़ाव खुद-ब-खुद हो जाता है. उनके इस अंदाज के पीएम मोदी भी कायल हैं और वो कई बार सियासी मंचों से उनकी तारीफ तक कर चुके हैं.