जयपुर. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के बदलने के साथ ही बीजेपी के हरावल दस्ते में भी बदलाव की चर्चाएं जोरों पर है. माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक नए प्रदेश अध्यक्ष अपनी टीम में बदलाव कर सकते हैं, जिसमें मोर्चों और प्रदेश पदाधिकारियों में आने वाले दिनों में बदली हुई सूरत नजर आने की पूरी संभावना है. इसको लेकर कड़ी मशक्कत भी शुरू हो गई है. इसके लिए पार्टी जातिगत समीकरणों का पूरा ध्यान रखेगी, बीजेपी सूत्रों की माने तो युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, ओबीसी मोर्च और अल्पसंख्यक मोर्चा में बदलाव संभव है.
विधानसभा चुनाव के बीच आक्रामक हरावल दस्ता होगा तैयार
प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव है, बीजेपी के पास अब 7 महीने से भी कम का वक्त बचा है. जब प्रदेश की मौजूदा गहलोत सरकार के खिलाफ पूरे आक्रामक अंदाज में सड़कों पर उतर जाए. यही वजह है कि प्रदेश में नए अध्यक्ष के बदलाव के साथ अब बीजेपी के हरावल दस्ते में भी बदलाव को लेकर लगातार चर्चाएं तेज हो रही है. माना जा रहा है कि जिस तरह से प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने केंद्र की योजनाओं को घर घर तक पहुंचाने का संदेश दिया है, उसमें बीजेपी के मोर्चा और पदाधिकारियों की बड़ी भूमिका होगी. इसलिए बीजेपी निष्क्रिय पदाधिकारियों और मोर्चा में बदलाव करने की तैयारी में है. मोर्चों में बदलाव के लिए जातिगत समीकरण को भी साधने की कोशिश होगी. ये भी देखा जाएगा कि कौन कितना मजबूती के साथ राज्य सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर सकता है. बीजेपी की कोशिश है कि चुनाव से पहले आक्रामक हरावल दस्ता तैयार हो ताकि सरकार को सही तरीके से घेरा जा सके.
युवा मोर्चा में बदलाव तय
प्रदेशाध्यक्ष पद पर वर्तमान में ब्राह्मण के रूप में सीपी जोशी को बनाया गया है. वर्तमान में युवामोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु शर्मा भी ब्राह्मण हैं. ऐसे में पूरी संभावना है ब्राह्मण की जगह किसी और जाति को यह कमान सौंपी जाएगी. इस पद के लिए वर्तमान में राजपूत, जाट, यादव और गुर्जर समाज के नाम पर मंथन चल रहा है. इस दौड़ में विकास चौधरी, राजेश गुर्जर, महेंद्र शेखा, अभिमन्यु सिंह राजव, जेपी यादव का चर्चाओं में है. खास बात यह है कि युवा मोर्चा में 35 साल की उम्र का राइडर लगा हुआ है, इसलिए किसी मजबूत युवा नेता को ही यह कमान सौंपी जाएगी.
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महिला मोर्चा
प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर लगातार बीजेपी गहलोत सरकार पर हमलावर रही है . नाबालिक बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलों में भी प्रदेश बीजेपी भले ही सरकार को निशाने पर लेते हो, लेकिन महिला मोर्चा की ओर से इस संवेदनशील मुद्दे पर सरकार को घेरने में कहीं ना कहीं पार्टी ने कमी महसूस कर रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि चुनावी साल में महिला हिंसा जैसे मुद्दों पर महिला मोर्चा की सक्रियता जरूरी है और इस बात की ध्यान में रखते हुए महिला मोर्चा में बदलाव होना संभव है. मौजूदा महिला मोर्चा अलका मूंदड़ा का कार्यकाल वैसे भी पूरा होने वाला है. महिला मोर्चा में विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी, सरिता गेना और अनिता गुर्जर का प्रमुख रूप से माना जा रहा है, इसके अलावा एकता अग्रवाल और राखी राठौड़ के नाम पर चर्चाएं है, हालांकि ये भी बताया जा रहा है कि पूर्व महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रही सुमन शर्मा को भी फिर से ये जिम्मेदारी दी जा सकती है, क्योंकि पिछली गहलोत सरकार में सुमन शर्मा ने महिला दुष्कर्म के मामले जम कर सड़कों संघर्ष किया था और सरकार को घेरने में कामयाब रही थी.
ओबीसी मोर्चा में मूल OBC की चर्चाएं
पार्टी ने जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर ब्राह्मण, राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष बनाकर राजपूत और सतीश पूनियां को उपनेता प्रतिपक्ष बनाकर जाट समाज को साधने की कोशिश की है, अब ये माना जा रहा है कि ओबीसी मोर्चा में मूल ओबीसी में से किसी को इसकी जिम्मेदारी दी जा सकती है. पार्टी में लगातार ओबीसी मोर्चे में मूल ओबीसी के प्रतिनितत्व को लेकर भी मांग उठती रही है.
अल्पसंख्यक में गैर मुस्लिम पर दाव
वही अल्पसंख्यक मोर्चे में भी बदलाव की चर्चा है. माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार गैर मुस्लिम चेहरे को अल्पसंख्यक मोर्चा की जिम्मेदारी दे सकती है , जिसमें जैन समाज या सिख समाज में से किसी के नाम पर मूहर लग सकती है. हालांकि चर्चाएं ये भी है एसी-एसटी मोर्चे में बदलाव हो सकते हैं.
पदाधिकारी और जिला अध्यक्षों में भी बदलाव
सीपी जोशी ने अध्यक्ष पद संभालने के साथ ही सभी को एक जुट करने का संदेश दिया उससे ये साफ है कि आने वाले दिनों में प्रदेश कार्यकारिणी में भी बदलाव होगा. एक गुट जो पिछले साढ़े तीन साल से पार्टी में हास्य पर था उसे भी जिम्मेदारी दी जाएगी . इसके लिए पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस संबंध में बयान भी दे चुके हैं, कुछ निष्क्रिय पदाधिकारियों को बाहर निकालकर सक्रिय नेताओं को पद दे सकती है. ऐसे में पूनियां गुट के कुछ पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखा कर वसुंधरा खेमा से कुछ नेताओं को शामिल किया जा सकता है. वहीं चर्चा इस बात की भी करीब आधा दर्जन जिला और शहर अध्यक्षों को भी बदला जा सकता है.