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Special : जयपुर की इन पांच सीटों पर हर बार बदल जाता है मतदाताओं का रुझान, जानें इसके पीछे की वजह

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 24, 2023, 3:01 PM IST

Updated : Nov 25, 2023, 6:00 AM IST

Rajasthan Assembly Election 2023, जयपुर की इन पांच रिजर्व सीटों पर हर विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का रुझान बदलता रहा है. यहां के मतदाताओं ने कभी हाथ के पंजे पर बटन दबाया तो कभी कमल को पसंद किया. यही नहीं भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ इन सीटों पर निर्दलीय भी चुनाव जीतते रहे हैं.

Rajasthan Assembly Election 2023
Rajasthan Assembly Election 2023

जयपुर. जिले की 19 विधानसभा सीटों में से पांच सीट आरक्षित हैं, जिसमें दूदू, बगरू और चाकसू अनुसूचित जाति के लिए, जबकि बस्सी और जमवारामगढ़ अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. खास बात यह है कि इन पांचों ही सीटों पर हर विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का रुझान बदलता रहा है. मतदाताओं ने कभी हाथ के पंजे के निशान पर बटन दबाया तो कभी कमल को पसंद किया. यही नहीं भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ इन सीटों पर निर्दलीय भी जीत कर आए हैं.

2018 में यहां मतदाताओं ने भाजपा से बनाई दूरी : जिले की तीन अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में से वर्तमान में दो पर कांग्रेस, जबकि एक पर निर्दलीय विधायक काबिज है. इसके अलावा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित दो सीटों में से एक पर निर्दलीय और एक पर कांग्रेस विधायक है यानी कि 2018 के चुनाव में जयपुर जिले की अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर मतदाताओं ने भाजपा को पूरी तरह से नकार दिया था.

Rajasthan Assembly Election 2023
इन पांच सीटों पर हर बार बदल जाता है मतदाताओं का रुझान

इसे भी पढ़ें - मुस्लिम बाहुल्य सीट पर ब्राह्मण चेहरे, मोदी-गहलोत भी यहां बना रहे समीकरण

2013 में भाजपा को मिली थी कामयाबी : हालांकि, ऐसा नहीं है कि इन सीटों पर भाजपा को कभी पसंद नहीं किया गया. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में पांच में से चार सीटों पर भाजपा, जबकि एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली थी. ऐसे में दूदू, बगरू, चाकसू, बस्सी और जमवारामगढ़ के लिए स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा जा सकता कि यहां के वोटर किसे पसंद करते हैं और किसे नहीं. इन पांचों ही आरक्षित सीटों पर वोटर का रुझान हर चुनाव में बदलता रहा है. इनमें बस्सी तो ऐसी सीट रही है, जहां बीते तीन चुनाव से दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों को यहां के वोटर्स ने ठेंगा दिखाया है. बहरहाल, साल 2018 में इन पांचों ही सीटों पर कांग्रेस व निर्दलीय उम्मीदवार जीत कर आए, जबकि भाजपा को यहां पराजय का मुंह देखना पड़ा था. यदि पिछले तीन बार के चुनाव परिणाम को देखें तो पांचों ही सीटों के वोटर सत्ताधारी दल से नाखुश होकर विपक्षी दल को मौका देते आए हैं. ऐसे में इस बार यहां भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के लिए चुनौती रहने वाली है.

जयपुर. जिले की 19 विधानसभा सीटों में से पांच सीट आरक्षित हैं, जिसमें दूदू, बगरू और चाकसू अनुसूचित जाति के लिए, जबकि बस्सी और जमवारामगढ़ अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. खास बात यह है कि इन पांचों ही सीटों पर हर विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का रुझान बदलता रहा है. मतदाताओं ने कभी हाथ के पंजे के निशान पर बटन दबाया तो कभी कमल को पसंद किया. यही नहीं भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ इन सीटों पर निर्दलीय भी जीत कर आए हैं.

2018 में यहां मतदाताओं ने भाजपा से बनाई दूरी : जिले की तीन अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में से वर्तमान में दो पर कांग्रेस, जबकि एक पर निर्दलीय विधायक काबिज है. इसके अलावा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित दो सीटों में से एक पर निर्दलीय और एक पर कांग्रेस विधायक है यानी कि 2018 के चुनाव में जयपुर जिले की अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर मतदाताओं ने भाजपा को पूरी तरह से नकार दिया था.

Rajasthan Assembly Election 2023
इन पांच सीटों पर हर बार बदल जाता है मतदाताओं का रुझान

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2013 में भाजपा को मिली थी कामयाबी : हालांकि, ऐसा नहीं है कि इन सीटों पर भाजपा को कभी पसंद नहीं किया गया. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में पांच में से चार सीटों पर भाजपा, जबकि एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली थी. ऐसे में दूदू, बगरू, चाकसू, बस्सी और जमवारामगढ़ के लिए स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा जा सकता कि यहां के वोटर किसे पसंद करते हैं और किसे नहीं. इन पांचों ही आरक्षित सीटों पर वोटर का रुझान हर चुनाव में बदलता रहा है. इनमें बस्सी तो ऐसी सीट रही है, जहां बीते तीन चुनाव से दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों को यहां के वोटर्स ने ठेंगा दिखाया है. बहरहाल, साल 2018 में इन पांचों ही सीटों पर कांग्रेस व निर्दलीय उम्मीदवार जीत कर आए, जबकि भाजपा को यहां पराजय का मुंह देखना पड़ा था. यदि पिछले तीन बार के चुनाव परिणाम को देखें तो पांचों ही सीटों के वोटर सत्ताधारी दल से नाखुश होकर विपक्षी दल को मौका देते आए हैं. ऐसे में इस बार यहां भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के लिए चुनौती रहने वाली है.

Last Updated : Nov 25, 2023, 6:00 AM IST
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