जयपुर. कांग्रेस की नागौर से पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा सोमवार को भाजपा में शामिल हो गईं. दिल्ली में उन्हें भाजपा प्रभारी अरुण सिंह ने पार्टी की सदस्यता दिलाई. ज्योति मिर्धा की असल पहचान नागौर के उस दिग्गज जाट नेता नाथूराम मिर्धा से है, जो केवल नागौर ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान के सबसे बड़े जाट नेताओं में से एक थे. साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे थे. उन्हीं नाथूराम मिर्धा की पहचान से उनकी पोती ज्योति मिर्धा साल 2009 में नागौर से पहली बार सांसद बनी. हालांकि, उसके बाद साल 2014 और फिर 2019 में लगातार उन्हें दो बार पराजय का मुंह देखना पड़ा. बावजूद इसके कांग्रेस ने नागौर सीट से किसी दूसरे चेहरे को तवज्जो नहीं दिया.
अब ज्योति मिर्धा का होगा बेनीवाल से सीधा टकराव : ज्योति मिर्धा कांग्रेस पार्टी में तो एक बड़ी पहचान रखती थी, लेकिन इसके साथ ही उनकी एक पहचान यह भी थी कि वो नागौर में हनुमान बेनीवाल से सीधा टक्कर ले रही थी. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में ज्योति मिर्धा ही एकमात्र ऐसी नेत्री थी, जो मोदी लहर के बावजूद सबसे कम मार्जिन से हारी थी और उनके हारने का कारण भी हनुमान बेनीवाल बने थे, जो निर्दलीय चुनाव लड़े और मिर्धा का वोट काटे थे. वहीं, 2019 में भी ज्योति मिर्धा को हनुमान बेनीवाल का ही सामना करना पड़ा. हालांकि, इस बार अंतर यह था कि हनुमान बेनीवाल निर्दलीय न लड़कर भाजपा के साथ अलायंस में चुनावी मैदान थे और मिर्धा से उनकी सीधी टक्कर थी.
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#WATCH | Former Congress leader Jyoti Mirdha and Sawai Singh Chaudhary join BJP in the presence of Rajasthan BJP state president CP Joshi, in Delhi. pic.twitter.com/RRTG0jXpwf
— ANI (@ANI) September 11, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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खैर, अब आगे क्या होगा? क्या ज्योति भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ेंगी या फिर विधानसभा चुनाव में पार्टी उन्हें अपना प्रत्याशी बनाएगी? चलिए आगे क्या होगा, ये तो वक्त के साथ साफ हो जाएगा, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि भाजपा अब नागौर में हनुमान बेनीवाल की काट के रूप में ज्योति मिर्धा को इस्तेमाल करेगी. भले ही नागौर लोकसभा चुनाव में हो या फिर विधानसभा में.
राहुल गांधी की रही करीबी अब किया किनारा : पहली बार जब डॉ. ज्योति मिर्धा सांसद बनीं तो उस समय उन्हें राहुल गांधी के सबसे नजदीकी नेताओं में से एक माना जाता था. लेकिन लगातार दो चुनाव हारने के बाद अब ज्योति मिर्धा को पार्टी में कोई खास तवज्जो नहीं मिल रही थी. हालांकि, नागौर से ज्योति मिर्धा एआईसीसी सदस्य भी रहीं, लेकिन उनका जो कद कांग्रेस में था उसके मुकाबले उनको पार्टी में कोई तवज्जो नहीं मिल रही थी.
धनखड़ की मानी जा रही अहम भूमिका : राजस्थान भाजपा में फिलहाल कोई बड़ा किसान नेता नहीं है. ऐसे में पार्टी ज्योति मिर्धा को चेहरे के तौर पर इस्तेमाल करने की रणनीति बना रही है. ताकि प्रदेश के किसानों को मिर्धा के चहेरे पर साधा जा सके. वहीं, सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि ज्योति मिर्धा को भाजपा में शामिल कराने में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की बड़ी भूमिका है.
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अब हरेंद्र मिर्धा और रिछपाल मिर्धा का क्या होगा स्टैंड : नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा ही कांग्रेस में सक्रिय थी. उन्होंने अब भाजपा का दामन थाम लिया है, लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि रामनिवास मिर्धा का परिवार अब आगे क्या कदम उठाएगा. फिलहाल, हरेंद्र मिर्धा कांग्रेस में सक्रिय हैं तो रिछपाल मिर्धा के बेटे विजयपाल मिर्धा भी कांग्रेस से विधायक हैं.
सास भाजपा में तो बहन दीपेंद्र हुडा की पत्नी : ज्योति मिर्धा कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गई हैं, जो खुद कांग्रेस के एक बड़े किसान नेता के परिवार से ताल्लुक रखती हैं. वहीं, ज्योति की सास हरियाणा भाजपा की बड़ी नेत्री हैं. इसके अलावा उनकी बहन की शादी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा से हुई है.
पूर्व आईपीएस सवाई सिंह ने भी थामा भाजपा का दामन : ज्योति मिर्धा के साथ ही हनुमान बेनीवाल के सामने 2018 में खींवसर से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी सवाई सिंह चौधरी ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया. ऐसे में साफ है कि भाजपा नागौर के कांग्रेस नेताओं खास तौर पर हनुमान बेनीवाल के विरोधी नेताओं को साथ जोड़ रही है, जिसका असर आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा.