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Rajasthan Assembly Election 2023 : गठबंधन पर रार ! डोटासरा तैयार, लेकिन हरीश-पायलट वाली स्ट्रेटजी कमेटी का साफ इनकार

India Alliance in Rajasthan, राजस्थान में गठबंधन को लेकर तकरार नजर आने लगी है. हालांकि, पीसीसी चीफ डोटासरा तो तैयार दिखते हैं, लेकिन हरीश चौधरी और सचिन पायलट वाली स्ट्रेटजी कमेटी ने साफ इनकार कर दिया है. यहां समझिए पूरा समीकरण.

India in Rajasthan
गठबंधन पर रार
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 14, 2023, 1:17 PM IST

Updated : Sep 14, 2023, 2:35 PM IST

किसने क्या कहा, सुनिए

जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सरकार कैसे रिपीट करे, इसे लेकर तमाम रणनीतियों पर काम चल रहा है, लेकिन राजस्थान के चुनाव को लेकर एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि क्या कांग्रेस पार्टी इस बार भी अन्य दलों के साथ कोई गठबंधन करेगी या अकेले ही अपने दम पर चुनावी वैतरणी पार करेगी. यह सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है, क्योंकि इस बार राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी वर्तमान विपक्षी दलों का 'इंडिया' गठबंधन भी बन चुका है.

राजस्थान में इस गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी समेत कई ऐसे दल हैं, जो राजस्थान में भी चुनाव लड़ने की मंशा रखते हैं. ऐसे में अगर राजस्थान के चुनाव में यह दल आमने-सामने चुनाव लड़ें और राष्ट्रीय स्तर पर वही दल मिलकर एक दूसरे के लिए वोट मांगें, यह संभव नहीं दिखाई देता. लेकिन राजस्थान में बीते चुनाव के नतीजे देखते हुए स्थितियां गठबंधन को लेकर कांग्रेस के लिए उपयुक्त नहीं कही जा सकती हैं.

Congress Strategy Committee
हरीश-पायलट वाली स्ट्रेटजी कमेटी

हालांकि, राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने तो साफ कर दिया है कि अगर राष्ट्रीय स्तर पर कोई गठबंधन हुआ है तो उससे राजस्थान भी अछूता नहीं रहेगा और राजस्थान में भी समान विचारधारा वाले दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे. जबकि कांग्रेस पार्टी के ही हरीश चौधरी की अध्यक्षता वाली स्ट्रेटजी कमेटी ने जिसका हिस्सा सचिन पायलट भी हैं, उस कमेटी ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव प्रदेश कांग्रेस को भेजने का निर्णय किया है कि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में किसी भी दल से गठबंधन नहीं करे. इसके नतीजे तो पार्टी के सामने खराब आए हैं. इसके साथ ही जहां-जहां पार्टी ने गठबंधन किया वहां-वहां कांग्रेस का संगठन कमजोर हो गया है.

पढ़ें : ज्योति मिर्धा का पार्टी छोड़ना बहुत बड़ा नुकसान, नागौर में 'सौदेबाजी' कांग्रेस को महंगी पड़ेगी : हरीश चौधरी

बीते चुनाव में जहां गठबंधन, वहां पार्टी का संगठन हुआ कमजोर : साल 2018 के चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन करते हुए आरएलडी, एलजेडी और एनसीपी के साथ 5 सीट मालपुरा, भरतपुर, बाली, कुशलगढ़ और मुंडावर विधानसभा में गठबंधन किया. कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन किया और सरकार तो कांग्रेस की बनी, लेकिन पांच में से केवल एक सीट भरतपुर पर ही आरएलडी के टिकट पर सुभाष गर्ग गठबंधन कर चुनाव जीतने में कामयाब रहे. इसका एक नुकसान तो पार्टी को यह हुआ कि कांग्रेस पार्टी चुनाव नहीं जीत सकी, दूसरा सबसे बड़ा नुकसान यह भी हुआ कि जिन पांच सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने दूसरी पार्टियों से गठबंधन किया, वहां कांग्रेस का संगठन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया और इन पांच सीटों पर अभी भी संगठन काफी कमजोर है. यही कारण है कि कांग्रेस की स्ट्रेटजी कमेटी ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस पार्टी को इस बार राजस्थान में कोई गठबंधन नहीं करना चाहिए.

Rajasthan PCC
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी

लगातार 3 या ज्यादा बार से हार रही सीटों को ही गठबंधन में देने पर चल रहा विचार : हालांकि, कांग्रेस पार्टी में एक धड़ा यह चाहता है कि गठबंधन हो तो दूसरा धड़ा और जिन सीटों पर गठबंधन होता है वहां से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की आवाज यही है कि गठबंधन नहीं होना चाहिए. इससे कांग्रेस पार्टी को उसे क्षेत्र में बड़ा नुकसान होता है. ऐसे में पहले तो कांग्रेस पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं को गठबंधन के लिए तैयार करना होगा और दूसरा पार्टी इस बात पर विचार कर रही है कि वह उन्हीं सीटों पर गठबंधन करे जहां कांग्रेस पार्टी तीन या उससे ज्यादा बार से चुनाव हार रही है.

पढ़ें : हनुमान बेनीवाल का बड़ा बयान, कहा- पायलट का कोई वजूद नहीं, वसुंधरा ने जेल से छुड़वाया था

इन सीटों पर हो सकता है गठबंधन :

भरतपुर- कांग्रेस पार्टी लगातार तीन चुनाव हारी तो चौथी बार यह सीट गठबंधन में दी और गठबंधन से सुभाष गर्ग चुनाव जीते. इस बार भी भरतपुर सीट को कांग्रेस पार्टी गठबंधन में दे सकती है.

कुशलगढ़- कुशलगढ़ सीट पर कांग्रेस पार्टी लगातार 6 चुनाव हारी तो 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट को लोकतांत्रिक जनता दल को इस सोच के साथ गठबंधन में सीट दी कि 6 बार विधायक रहे फतेह सिंह कांग्रेस के हटने से चुनाव जीत जाएंगे. लेकिन चुनाव में जीत कांग्रेस की ही बागी रमिला खड़िया को मिली. अब पार्टी इस बारे में विचार कर रही है कि वह रमिला खड़िया को कांग्रेस पार्टी का टिकट दे या फिर रमिला खड़िया जिस कांग्रेस पार्टी के समर्थक दल में शामिल हों उसे टिकट दे दे.

मालपुरा- मालपुरा विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी लगातार पांच चुनाव हारी, तो कांग्रेस पार्टी ने यह सीट आरएलडी को गठबंधन में दे दी, लेकिन नतीजा फिर भी खराब रहा. इस बार पार्टी मालपुरा सीट पर किसी दल से गठबंधन करें इसकी संभावना न के बराबर है.

एनसीपी- बाली विधानसभा से कांग्रेस पार्टी लगातार 6 चुनाव में हारी तो 2018 में 7वीं बार कांग्रेस पार्टी ने शरद पवार की एनसीपी कोई यह सीट गठबंधन में दी, लेकिन गठबंधन के बावजूद एनसीपी चुनाव नहीं जीत सकी और इस बार क्योंकि बाली से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे उमेद सिंह का निधन हो गया है, ऐसे में संभावना इसी बात की है कि कांग्रेस पार्टी यह सीट खुद लड़े.

इन सीटों पर 'आप' और सीपीएम से हो सकता है गठबंधन, लेकिन हनुमान पर सस्पेंस : I.N.D.I.A. गठबंधन में आम आदमी पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी हैं. ऐसे में इन पार्टियों के साथ कांग्रेस को राजस्थान में सामंजस्य बैठाना होगा. यही कारण है कि इस बार कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी भादरा, डूंगरगढ़ और धोध सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी के साथ अलाइंस करे. इनमें भी धोध विधानसभा को लेकर विवाद है, क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक परसराम मोरदिया इस सीट से चुनाव जीत रहे हैं और जीती हुई सीट कांग्रेस गठबंधन में नहीं देना चाहेगी.

अनूपगढ़ और गंगानगर सीट जा सकती है 'आप' के गठबंधन में : राजस्थान में इस बार आम आदमी पार्टी भी सक्रियता दिखा रही है. आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस का राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन हुआ है, ऐसे में हो सकता है कि राजस्थान में पंजाब से जुड़ी गंगानगर और हनुमानगढ़ की सीटों पर कांग्रेस पार्टी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करें. इनमें अनूपगढ़ और गंगानगर सीट जो कांग्रेस लगातार तीन बार से ज्यादा से हार रही है, उसे आम आदमी पार्टी को दे दे. हालांकि, आम आदमी पार्टी ज्यादा सीटों पर अपना दावा पेश करेगी. ऐसे में इसी क्षेत्र की कुछ और सीटें और अलवर की कोई सीट भी आम आदमी पार्टी को गठबंधन में मिल सकती है.

हनुमान बेनीवाल की आरएलपी पर विवाद : कांग्रेस पार्टी आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी के साथ तो उन सीटों पर गठबंधन कर सकती है, जहां कांग्रेस लगातार 3 से ज़्यादा चुनाव हार रही है, लेकिन हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से कांग्रेस गठबंधन करेगी या नहीं, इस पर बड़ा विवाद है. कहा जा रहा है कि ज्योति मिर्धा जैसी परंपरागत कांग्रेस परिवार की नेता ने हनुमान बेनीवाल के चलते ही कांग्रेस पार्टी से किनारा किया है तो वहीं खींवसर से हनुमान बेनीवाल के सामने चुनाव लड़े सवाई सिंह भी इसी कारण भाजपा में शामिल हुए हैं.

हालत यह है कि मदेरणा परिवार भी हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन नहीं चाहता, तो वहीं हरीश चौधरी तो खुलकर हनुमान बेनीवाल के खिलाफत करना शुरू कर चुके हैं. ऐसे में हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के साथ अगर कांग्रेस का गठबंधन होता है तो कांग्रेस में बड़ी उथल-पुथल होना तय है. कहा यह भी जा रहा है कि हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से गठबंधन न हो, इसी के चलते कांग्रेस पार्टी के अंदर से किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करने की आवाज शुरू हो गई है.

किसने क्या कहा, सुनिए

जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सरकार कैसे रिपीट करे, इसे लेकर तमाम रणनीतियों पर काम चल रहा है, लेकिन राजस्थान के चुनाव को लेकर एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि क्या कांग्रेस पार्टी इस बार भी अन्य दलों के साथ कोई गठबंधन करेगी या अकेले ही अपने दम पर चुनावी वैतरणी पार करेगी. यह सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है, क्योंकि इस बार राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी वर्तमान विपक्षी दलों का 'इंडिया' गठबंधन भी बन चुका है.

राजस्थान में इस गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी समेत कई ऐसे दल हैं, जो राजस्थान में भी चुनाव लड़ने की मंशा रखते हैं. ऐसे में अगर राजस्थान के चुनाव में यह दल आमने-सामने चुनाव लड़ें और राष्ट्रीय स्तर पर वही दल मिलकर एक दूसरे के लिए वोट मांगें, यह संभव नहीं दिखाई देता. लेकिन राजस्थान में बीते चुनाव के नतीजे देखते हुए स्थितियां गठबंधन को लेकर कांग्रेस के लिए उपयुक्त नहीं कही जा सकती हैं.

Congress Strategy Committee
हरीश-पायलट वाली स्ट्रेटजी कमेटी

हालांकि, राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने तो साफ कर दिया है कि अगर राष्ट्रीय स्तर पर कोई गठबंधन हुआ है तो उससे राजस्थान भी अछूता नहीं रहेगा और राजस्थान में भी समान विचारधारा वाले दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे. जबकि कांग्रेस पार्टी के ही हरीश चौधरी की अध्यक्षता वाली स्ट्रेटजी कमेटी ने जिसका हिस्सा सचिन पायलट भी हैं, उस कमेटी ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव प्रदेश कांग्रेस को भेजने का निर्णय किया है कि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में किसी भी दल से गठबंधन नहीं करे. इसके नतीजे तो पार्टी के सामने खराब आए हैं. इसके साथ ही जहां-जहां पार्टी ने गठबंधन किया वहां-वहां कांग्रेस का संगठन कमजोर हो गया है.

पढ़ें : ज्योति मिर्धा का पार्टी छोड़ना बहुत बड़ा नुकसान, नागौर में 'सौदेबाजी' कांग्रेस को महंगी पड़ेगी : हरीश चौधरी

बीते चुनाव में जहां गठबंधन, वहां पार्टी का संगठन हुआ कमजोर : साल 2018 के चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन करते हुए आरएलडी, एलजेडी और एनसीपी के साथ 5 सीट मालपुरा, भरतपुर, बाली, कुशलगढ़ और मुंडावर विधानसभा में गठबंधन किया. कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन किया और सरकार तो कांग्रेस की बनी, लेकिन पांच में से केवल एक सीट भरतपुर पर ही आरएलडी के टिकट पर सुभाष गर्ग गठबंधन कर चुनाव जीतने में कामयाब रहे. इसका एक नुकसान तो पार्टी को यह हुआ कि कांग्रेस पार्टी चुनाव नहीं जीत सकी, दूसरा सबसे बड़ा नुकसान यह भी हुआ कि जिन पांच सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने दूसरी पार्टियों से गठबंधन किया, वहां कांग्रेस का संगठन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया और इन पांच सीटों पर अभी भी संगठन काफी कमजोर है. यही कारण है कि कांग्रेस की स्ट्रेटजी कमेटी ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस पार्टी को इस बार राजस्थान में कोई गठबंधन नहीं करना चाहिए.

Rajasthan PCC
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी

लगातार 3 या ज्यादा बार से हार रही सीटों को ही गठबंधन में देने पर चल रहा विचार : हालांकि, कांग्रेस पार्टी में एक धड़ा यह चाहता है कि गठबंधन हो तो दूसरा धड़ा और जिन सीटों पर गठबंधन होता है वहां से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की आवाज यही है कि गठबंधन नहीं होना चाहिए. इससे कांग्रेस पार्टी को उसे क्षेत्र में बड़ा नुकसान होता है. ऐसे में पहले तो कांग्रेस पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं को गठबंधन के लिए तैयार करना होगा और दूसरा पार्टी इस बात पर विचार कर रही है कि वह उन्हीं सीटों पर गठबंधन करे जहां कांग्रेस पार्टी तीन या उससे ज्यादा बार से चुनाव हार रही है.

पढ़ें : हनुमान बेनीवाल का बड़ा बयान, कहा- पायलट का कोई वजूद नहीं, वसुंधरा ने जेल से छुड़वाया था

इन सीटों पर हो सकता है गठबंधन :

भरतपुर- कांग्रेस पार्टी लगातार तीन चुनाव हारी तो चौथी बार यह सीट गठबंधन में दी और गठबंधन से सुभाष गर्ग चुनाव जीते. इस बार भी भरतपुर सीट को कांग्रेस पार्टी गठबंधन में दे सकती है.

कुशलगढ़- कुशलगढ़ सीट पर कांग्रेस पार्टी लगातार 6 चुनाव हारी तो 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट को लोकतांत्रिक जनता दल को इस सोच के साथ गठबंधन में सीट दी कि 6 बार विधायक रहे फतेह सिंह कांग्रेस के हटने से चुनाव जीत जाएंगे. लेकिन चुनाव में जीत कांग्रेस की ही बागी रमिला खड़िया को मिली. अब पार्टी इस बारे में विचार कर रही है कि वह रमिला खड़िया को कांग्रेस पार्टी का टिकट दे या फिर रमिला खड़िया जिस कांग्रेस पार्टी के समर्थक दल में शामिल हों उसे टिकट दे दे.

मालपुरा- मालपुरा विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी लगातार पांच चुनाव हारी, तो कांग्रेस पार्टी ने यह सीट आरएलडी को गठबंधन में दे दी, लेकिन नतीजा फिर भी खराब रहा. इस बार पार्टी मालपुरा सीट पर किसी दल से गठबंधन करें इसकी संभावना न के बराबर है.

एनसीपी- बाली विधानसभा से कांग्रेस पार्टी लगातार 6 चुनाव में हारी तो 2018 में 7वीं बार कांग्रेस पार्टी ने शरद पवार की एनसीपी कोई यह सीट गठबंधन में दी, लेकिन गठबंधन के बावजूद एनसीपी चुनाव नहीं जीत सकी और इस बार क्योंकि बाली से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे उमेद सिंह का निधन हो गया है, ऐसे में संभावना इसी बात की है कि कांग्रेस पार्टी यह सीट खुद लड़े.

इन सीटों पर 'आप' और सीपीएम से हो सकता है गठबंधन, लेकिन हनुमान पर सस्पेंस : I.N.D.I.A. गठबंधन में आम आदमी पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी हैं. ऐसे में इन पार्टियों के साथ कांग्रेस को राजस्थान में सामंजस्य बैठाना होगा. यही कारण है कि इस बार कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी भादरा, डूंगरगढ़ और धोध सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी के साथ अलाइंस करे. इनमें भी धोध विधानसभा को लेकर विवाद है, क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक परसराम मोरदिया इस सीट से चुनाव जीत रहे हैं और जीती हुई सीट कांग्रेस गठबंधन में नहीं देना चाहेगी.

अनूपगढ़ और गंगानगर सीट जा सकती है 'आप' के गठबंधन में : राजस्थान में इस बार आम आदमी पार्टी भी सक्रियता दिखा रही है. आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस का राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन हुआ है, ऐसे में हो सकता है कि राजस्थान में पंजाब से जुड़ी गंगानगर और हनुमानगढ़ की सीटों पर कांग्रेस पार्टी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करें. इनमें अनूपगढ़ और गंगानगर सीट जो कांग्रेस लगातार तीन बार से ज्यादा से हार रही है, उसे आम आदमी पार्टी को दे दे. हालांकि, आम आदमी पार्टी ज्यादा सीटों पर अपना दावा पेश करेगी. ऐसे में इसी क्षेत्र की कुछ और सीटें और अलवर की कोई सीट भी आम आदमी पार्टी को गठबंधन में मिल सकती है.

हनुमान बेनीवाल की आरएलपी पर विवाद : कांग्रेस पार्टी आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी के साथ तो उन सीटों पर गठबंधन कर सकती है, जहां कांग्रेस लगातार 3 से ज़्यादा चुनाव हार रही है, लेकिन हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से कांग्रेस गठबंधन करेगी या नहीं, इस पर बड़ा विवाद है. कहा जा रहा है कि ज्योति मिर्धा जैसी परंपरागत कांग्रेस परिवार की नेता ने हनुमान बेनीवाल के चलते ही कांग्रेस पार्टी से किनारा किया है तो वहीं खींवसर से हनुमान बेनीवाल के सामने चुनाव लड़े सवाई सिंह भी इसी कारण भाजपा में शामिल हुए हैं.

हालत यह है कि मदेरणा परिवार भी हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन नहीं चाहता, तो वहीं हरीश चौधरी तो खुलकर हनुमान बेनीवाल के खिलाफत करना शुरू कर चुके हैं. ऐसे में हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के साथ अगर कांग्रेस का गठबंधन होता है तो कांग्रेस में बड़ी उथल-पुथल होना तय है. कहा यह भी जा रहा है कि हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से गठबंधन न हो, इसी के चलते कांग्रेस पार्टी के अंदर से किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करने की आवाज शुरू हो गई है.

Last Updated : Sep 14, 2023, 2:35 PM IST
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