जयपुर. राजस्थान स्टेट एग्रो इंडस्ट्री डेवलपमेंट बोर्ड के गठन के बाद सोमवार को चेयरमैन रामेश्वर डूडी की अध्यक्षता में (Meeting of Rajasthan Agro Board) बोर्ड की पहली बैठक हुई. इसमें उपाध्यक्ष सुचित्रा आर्य और बोर्ड के सदस्यों समेत अधिकारियों ने शिरकत की. बैठक के बाद रामेश्वर डूडी ने राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति 2019 पर सवाल खड़े करते हुए इस नीति में मौजूद विसंगतियों को हटाने के लिए सरकार को प्रस्ताव देने की बात कही.
उन्होंने कहा कि पॉलिसी के तहत जो टर्म और कंडीशन बनाई (Agriculture Export Promotion Policy) गई हैं, उनमें कई विसंगतियां हैं, उन्हें दूर करने के लिए हमारा बोर्ड सरकार को सुझाव दे सकता है. सुझाव देने के साथ ही हमारे बोर्ड को पावर भी मिलने चाहिए ताकि किसानों को तुरंत लाभ मिल सके. रामेश्वर डूडी ने कहा कि आज की बैठक से पहले हमने बीकानेर, सीकर, सवाई माधोपुर, कोटा ओर जयपुर के प्रोग्रेसिव किसानों से संवाद किया कि उस किसान को किन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसान को 2019 की पॉलिसी का फायदा मिल रहा है या नहीं.
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डूडी ने कहा कि इस चर्चा में जो मुख्य बातें निकलकर आईं उसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है पॉलिसी के अनुसार फार्मर और नॉन फार्मर की परिभाषा. इसमें फार्मर की परिभाषा में काफी विसंगतियां हैं, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है. ऐसे में आज हम सरकार को प्रस्ताव भेजेंगे कि यह विसंगतियां दूर हो सके ताकि किसान को फायदा मिले. उन्होंने कहा कि किसान की परिभाषा में यह लिखा है कि अगर किसान के पास इंटरेस्ट का पैसा आता है या वह डॉक्टर, वकील या वास्तुकार है तो वह किसान की कैटेगरी में नहीं आएगा. इसके साथ ही अगर किसान का चाहे 10 रुपये भी इनकम टैक्स लग रहा है या किसी भी स्थिति में उसे बैंक से इंटरेस्ट मिलता है तो भी उसे किसान नहीं माना जाएगा.
डूडी ने कहा कि इस पॉलिसी में ऐसी कई भ्रांतियां हैं, इसके चलते यह किसान के (Rameshwar Dudi Raised question on policy of 2019) साथ छलावा है. किसान को हमने लॉलीपॉप देने का काम कर दिया है. डूडी ने कहा कि किसानों से संवाद में हमें पता चला कि किसान के साथ यह राइडर लगाया गया है कि इसका फायदा उसे तभी मिलेगा जब बैंक आपको लोन देगा. बैंक किसान की जमीन की वैल्यू नहीं मानता तो उसे लोन भी नहीं देता. ऐसे में जब किसानों को बैंकों से लोन ही नहीं मिलेगा तो उसे इस नीति का फायदा भी नहीं मिलेगा.
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डूडी ने कहा कि यही कारण है कि हम हम सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजेंगे और मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा कि अगर हम इस पॉलिसी को सही मायने में फायदा पहुंचाना चाहते हैं तो हमें इन सभी राइडर को हटाना पड़ेगा. इसके साथ ही रामेश्वर डूडी ने कहा कि सुझाव देने के लिए हमारा बोर्ड बनाया गया है लेकिन पॉलिसी के तहत जो तहत टर्म्स और कंडीशन दी गई है, उसमें कई राइडर लगाए गए हैं. उसको दूर करने के लिए हम सुझाव दे सकते हैं. हम सुझाव देंगे भी.
इसके साथ ही हम मुख्यमंत्री से यह भी कहेंगे कि बोर्ड बना है तो बोर्ड के अपने पावर भी होने चाहिए. अगर बोर्ड के पास पावर हो तो बोर्ड यह काम तुरंत कर सकता है. लेकिन अगर हम अधिकारियों से चर्चा करते रहेंगे तो उसमें समय ज्यादा लगेगा और किसानों को फायदा नहीं मिलेगा. तो वहीं बोर्ड के उपाध्यक्ष सुचित्रा आर्य ने कहा कि किसान के लिए बोर्ड बना है और किसान को बैंक लोन नहीं दे रहा. इसका फायदा पूंजीपति उठा रहा है, तो फिर इस बोर्ड का फायदा क्या है. उन्होंने कहा कि बोर्ड के पास अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि व्यापारियों ने बैठकर इस नीति को बना लिया और किसान खेती करने वालों का कोई नुमाइंदा उसमें नहीं था.