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World Human Rights Day: जयपुर में सर्वधर्म संगोष्ठी के जरिए बाल सुरक्षा के लिए बुलंद की गई आवाज - भारत में बाल सुरक्षा

मानवाधिकार दिवस के मौके पर गुरुवार को जयपुर स्थित सिविल लाइंस में बाल सुरक्षा को लेकर सर्वधर्म संगोष्ठी आयोजित की गई. इस संगोष्ठी में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई के धर्मगुरुओं के अलावा और भी कई गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने बाल शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद की.

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जयपुर में सर्वधर्म संगोष्ठी के जरिए बाल सुरक्षा के लिए बुलंद की गई आवाज
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Published : Dec 10, 2020, 7:10 PM IST

जयपुर. मानवाधिकार दिवस पर जयपुर में बाल सुरक्षा को लेकर सर्वधर्म की एक अहम संगोष्ठी हुई. संगोष्ठी में हिंदू धर्म के प्रतिनिधि के रूप में महामंडलेश्वर पुरुषोत्तम भारती ने कहा कि, हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान के बाल स्वरूप को बहुत अधिक महत्व दिया गया है. भगवान राम और कृष्ण की बाल लीलाएं आज भी रोमांचित करती है. हिंदू धर्म में बच्चों को भगवान का ही एक रूप मानकर उसके लालन-पालन शिक्षा संस्कार पर जोर दिया गया है. पहले उनकी पढ़ाई लिखाई के लिए गुरुकुल की व्यवस्थाएं हुआ करतीं थीं जो राज्याश्रित थीं और पूरी तरह निशुल्क थीं.

जयपुर में सर्वधर्म संगोष्ठी के जरिए बाल सुरक्षा के लिए बुलंद की गई आवाज

वहीं फादर विजयपाल सिंह ने कहा कि, बच्चों की सुरक्षा परिवार, समाज और विभिन्न संगठनों की सामूहिक जिम्मेदारी है. माता-पिता ध्यान रखें की उनके बच्चे किस संगति में हैं. क्योंकि संगति का ही असर बच्चों पर सर्वाधिक रूप से पड़ता है. उन्होंने कहा कि, बाइबिल में बच्चों को ईश्वर का स्वरूप और वरदान है. स्वयं का पड़ोसी का या किसी अन्य का बच्चा हमारे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि हमारे स्वयं का बच्चा है.

दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस...

हर वर्ष 10 दिसंबर को दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है. सबसे पहले 10 दिसंबर 1948 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों को अपनाने की घोषणा की. हालांकि आधिकारिक तौर पर इस दिन की घोषणा वर्ष 10 दिसंबर, 1950 में की गई.

ये भी पढ़ें: सरकार वार्ता को तैयार, तारीख तय करें किसान, एमएसपी पर देंगे लिखित भरोसा : कृषि मंत्री

मानवाधिकार दिवस मनाने का मकसद लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है. मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक, और शिक्षा का अधिकार भी शामिल हैं. मानवाधिकार वे मूलभूत अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि के आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जा सकता और उन्हें देने से वंचित नहीं किया जा सकता.

भारत में मानवाधिकार...

भारत के संविधान में मानवाधिकार की गारंटी दी गई है. भारत में शिक्षा का अधिकार इसी गारंटी के तहत है. हमारे देश में 28 सितंबर, 1993 से मानवाधिकार कानून अमल में आया और सरकार ने 12 अक्टूबर को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया.

जयपुर. मानवाधिकार दिवस पर जयपुर में बाल सुरक्षा को लेकर सर्वधर्म की एक अहम संगोष्ठी हुई. संगोष्ठी में हिंदू धर्म के प्रतिनिधि के रूप में महामंडलेश्वर पुरुषोत्तम भारती ने कहा कि, हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान के बाल स्वरूप को बहुत अधिक महत्व दिया गया है. भगवान राम और कृष्ण की बाल लीलाएं आज भी रोमांचित करती है. हिंदू धर्म में बच्चों को भगवान का ही एक रूप मानकर उसके लालन-पालन शिक्षा संस्कार पर जोर दिया गया है. पहले उनकी पढ़ाई लिखाई के लिए गुरुकुल की व्यवस्थाएं हुआ करतीं थीं जो राज्याश्रित थीं और पूरी तरह निशुल्क थीं.

जयपुर में सर्वधर्म संगोष्ठी के जरिए बाल सुरक्षा के लिए बुलंद की गई आवाज

वहीं फादर विजयपाल सिंह ने कहा कि, बच्चों की सुरक्षा परिवार, समाज और विभिन्न संगठनों की सामूहिक जिम्मेदारी है. माता-पिता ध्यान रखें की उनके बच्चे किस संगति में हैं. क्योंकि संगति का ही असर बच्चों पर सर्वाधिक रूप से पड़ता है. उन्होंने कहा कि, बाइबिल में बच्चों को ईश्वर का स्वरूप और वरदान है. स्वयं का पड़ोसी का या किसी अन्य का बच्चा हमारे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि हमारे स्वयं का बच्चा है.

दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस...

हर वर्ष 10 दिसंबर को दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है. सबसे पहले 10 दिसंबर 1948 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों को अपनाने की घोषणा की. हालांकि आधिकारिक तौर पर इस दिन की घोषणा वर्ष 10 दिसंबर, 1950 में की गई.

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मानवाधिकार दिवस मनाने का मकसद लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है. मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक, और शिक्षा का अधिकार भी शामिल हैं. मानवाधिकार वे मूलभूत अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि के आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जा सकता और उन्हें देने से वंचित नहीं किया जा सकता.

भारत में मानवाधिकार...

भारत के संविधान में मानवाधिकार की गारंटी दी गई है. भारत में शिक्षा का अधिकार इसी गारंटी के तहत है. हमारे देश में 28 सितंबर, 1993 से मानवाधिकार कानून अमल में आया और सरकार ने 12 अक्टूबर को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया.

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