जयपुर. कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को मानहानि मामले में 2 साल की सजा का ऐलान और फिर लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने के बाद देश में कांग्रेस में भूचाल आ गया है. देश की कांग्रेस की राजनीति के साथ-साथ राजस्थान की राजनीति पर भी इसका सीधा असर देखने को मिल रहा है.
राजस्थान में 2 दिन पहले तक राजस्थान में सचिन पायलट विधायक दल की बैठक की मांग कर रहे थे, उनके समर्थकों भी 25 सितंबर की घटना के लिए दोषी नेताओं पर कार्रवाई की बात कर रहे थे. अब ताजा परिस्थितियों में लगता है कि राजस्थान से जुड़े ये सब मुद्दे पूरी तरीके से गौण हो गए हैं. हर किसी का ध्यान राहुल गांधी पर चला गया है. संभावना ये भी है कि अगले 1 महीने तक इन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं होगी. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि राजस्थान को लेकर निर्णय करने वाला कांग्रेस आलाकमान यानी राहुल गांधी अभी खुद ही अपनी चुनौतियों से लड़ रहे हैं.
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राहुल के लिए कांग्रेस सड़क पर - पूरी कांग्रेस राहुल गांधी के समर्थन में सड़क पर उतर चुकी है. इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी का अब पहला उद्देश्य राहुल गांधी मामले में केंद्र की मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करना है. साथ ही जनता के बीच यह संदेश पहुंचाना है कि मोदी सरकार द्वेषपूर्ण कार्रवाई कर संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है. ऐसे में 27 मार्च से कांग्रेस पार्टी सड़कों पर भी उतरेगी और यह धरने प्रदर्शन लंबे भी चल सकते हैं. इसी बीच अप्रैल महीने में कांग्रेस पार्टी दिल्ली के रामलीला मैदान में बड़ी रैली भी करना चाहती है. इससे सबसे नजदीकी राज्य होने और कांग्रेस का सत्ताधारी राज्य होने के चलते भीड़ की जिम्मेदारी भी राजस्थान कांग्रेस पर ही होगी.
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राजस्थान के मुद्दे गौण - राष्ट्रीय मुद्दे कांग्रेस पार्टी में हावी हो हुए हैं तो फिर राजस्थान के मुद्दे गौण हो चुके हैं, चाहे गहलोत पायलट के बीच चल रहा शीत युद्ध हो या फिर राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों की बात, यह सभी मामले दूसरी प्राथमिकता में जा चुके हैं. अब कैसे जनता के बीच अपनी बात पहुंचाई जाए, इसे लेकर पूरी कांग्रेस सक्रिय हो चुकी है और आने वाले 1 महीने तक तो कम से कम यह हालात बने रहेंगे.
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