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Special : 20 हजार कैदियों पर कोरोना का ग्रहण...7 महीने से नहीं मिल पाए परिवार से

कोरोना काल में प्रदेश की जेलों में बंद कैदी अपने परिजनों से लम्बे अरसे से नहीं मिले हैं. मुलाकात पर पाबंदी लगाई गई है. यह नागरिकता के आधार पर भी कैदियों के मूल अधिकारों का हनन है. हालांकि राजस्थान जेल विभाग की ओर से ई-मुलाकात की एक पहल की गई थी लेकिन वह भी कारगर साबित नहीं हुई.

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कोरोना काल में परिजनों से नहीं मिल पा रहे कैदी
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Published : Nov 21, 2020, 10:28 PM IST

जयपुर. जेल में सजा काट रहे कैदी जब अपने परिजनों से महज कुछ मिनट के लिए भी मिलते हैं तो उन्हें भावनात्मक सुकून मिलता है. कोरोना संक्रमण के चलते कैदियों से मुलाकात पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है. प्रदेश की किसी भी जेल में परिजनों से कैदियों की बात कराने के लिए टेलीफोन की कोई सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में कैदी भावनात्मक स्तर पर कमजोर हो रहे हैं और उदास नजर आ रहे हैं. वहीं प्रदेश की जेल में लगातार बढ़ता कोरोना संक्रमण भी कैदियों को मानसिक रूप से कमजोर करता जा रहा है.

कोरोना काल में परिजनों से नहीं मिल पा रहे कैदी

ई-मुलाकात भी नहीं रही कारगर

प्रदेश की तमाम जेलों में बंद कैदियों को रिश्तेदारों और मित्रों से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के जरिए मुलाकात कराने के लिए जेल विभाग द्वारा ई-मुलाकात की शुरुआत की गई थी. लेकिन ई-मुलाकात की व्यवस्था भी कारगर सिद्ध नहीं हो पा रही है. ई-मुलाकात के लिए कैदियों के रिश्तेदार या मित्रों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है और फिर आवेदन प्राप्त होने पर जेल विभाग द्वारा एक निश्चित समय मुलाकात के लिए कैदियों के रिश्तेदारों व मित्रों को दिया जाता है. यदि उस निर्धारित समय पर सर्वर डाउन या इंटरनेट कनेक्शन कमजोर होता है तो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के जरिए मुलाकात हो पाना असंभव हो जाता है. वहीं प्रदेश की जेलों में बंद 20 हजार से अधिक कैदियों की उनके रिश्तेदारों या मित्रों से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मुलाकात करवा पाना जेल विभाग के लिए संभव भी नहीं है.

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प्रदेश की जेलों में हैं 20 हजार से ज्यादा कैदी

सरकार कैदियों की भावना का ध्यान रखे

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है कि जेल में सजा काट रहे कैदी समाज के उपेक्षित लोग हैं. इनकी भावनाओं का ख्याल रखते हुए सरकार को कैदियों की उनके रिश्तेदारों व मित्रों से मुलाकात कराने के संबंध में आवश्यक कदम उठाने चाहिए. जेल में बंद कैदियों की उनके रिश्तेदारों या मित्रों से मुलाकात कराने के अन्य तरीकों के बारे में सरकार को गंभीरता के साथ विचार करना चाहिए. जो कैदी पूरी तरह से स्वस्थ है उनकी लिस्ट तैयार कर ऐसे कैदियों की उनके रिश्तेदारों या मित्रों से 2 गज की दूरी की पालना के साथ मुलाकात करवाने के संबंध में सरकार को सोचना चाहिए. जब अन्य विभागों में कामकाज शुरू हो चुका है तो फिर जेल विभाग भी इस संबंध में कोरोना गाइड लाइन की पालना करते हुए कैदियों से उनके रिश्तेदारों व मित्रों की मुलाकात कराने के संबंध में कोई तरीका इजाद कर सकता है.

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ई-मुलाकात का सिस्टम भी बेअसर

जेल विभाग कर रहा काम चोरी

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है कि इस गंभीर मसले पर जेल विभाग कामचोरी कर रहा है. जहां अन्य सभी विभागों में कामकाज सुचारू हो चुका है, कोर्ट में भी काम हो रहा है, सरकार के विभागों में भी कामकाज शुरू हो चुका है तो जेल विभाग इस ओर कोई पहल क्यों नहीं कर रहा है.

जेल विभाग की लापरवाही से जेल में फैल रहा कोरोना

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है कि जेल विभाग की लापरवाही के चलते ही कैदियों में कोरोना का संक्रमण फैला है. जेल के अंदर एक ही बैरक में 15 से 20 कैदियों को बंद करके रखा जाता है और ऐसे में यदि एक भी कैदी संक्रमित होता है तो बैरक में बंद अन्य कैदियों के संक्रमित होने की संभावनाएं प्रबल हो जाती है. इसके साथ ही जेल में खाने के वक्त कैदियों की लंबी लाइन लगती है. जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग की पालना भी नहीं होती है. जिसके चलते भी जेल में कैदियों में तेजी के साथ कोरोना संक्रमण फैल रहा है. इसके साथ ही जेल में कैदियों के लिए मास्क व सैनिटाइजर की भी व्यवस्था सही तरीके से नहीं की गई है.

जयपुर. जेल में सजा काट रहे कैदी जब अपने परिजनों से महज कुछ मिनट के लिए भी मिलते हैं तो उन्हें भावनात्मक सुकून मिलता है. कोरोना संक्रमण के चलते कैदियों से मुलाकात पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है. प्रदेश की किसी भी जेल में परिजनों से कैदियों की बात कराने के लिए टेलीफोन की कोई सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में कैदी भावनात्मक स्तर पर कमजोर हो रहे हैं और उदास नजर आ रहे हैं. वहीं प्रदेश की जेल में लगातार बढ़ता कोरोना संक्रमण भी कैदियों को मानसिक रूप से कमजोर करता जा रहा है.

कोरोना काल में परिजनों से नहीं मिल पा रहे कैदी

ई-मुलाकात भी नहीं रही कारगर

प्रदेश की तमाम जेलों में बंद कैदियों को रिश्तेदारों और मित्रों से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के जरिए मुलाकात कराने के लिए जेल विभाग द्वारा ई-मुलाकात की शुरुआत की गई थी. लेकिन ई-मुलाकात की व्यवस्था भी कारगर सिद्ध नहीं हो पा रही है. ई-मुलाकात के लिए कैदियों के रिश्तेदार या मित्रों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है और फिर आवेदन प्राप्त होने पर जेल विभाग द्वारा एक निश्चित समय मुलाकात के लिए कैदियों के रिश्तेदारों व मित्रों को दिया जाता है. यदि उस निर्धारित समय पर सर्वर डाउन या इंटरनेट कनेक्शन कमजोर होता है तो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के जरिए मुलाकात हो पाना असंभव हो जाता है. वहीं प्रदेश की जेलों में बंद 20 हजार से अधिक कैदियों की उनके रिश्तेदारों या मित्रों से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मुलाकात करवा पाना जेल विभाग के लिए संभव भी नहीं है.

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प्रदेश की जेलों में हैं 20 हजार से ज्यादा कैदी

सरकार कैदियों की भावना का ध्यान रखे

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है कि जेल में सजा काट रहे कैदी समाज के उपेक्षित लोग हैं. इनकी भावनाओं का ख्याल रखते हुए सरकार को कैदियों की उनके रिश्तेदारों व मित्रों से मुलाकात कराने के संबंध में आवश्यक कदम उठाने चाहिए. जेल में बंद कैदियों की उनके रिश्तेदारों या मित्रों से मुलाकात कराने के अन्य तरीकों के बारे में सरकार को गंभीरता के साथ विचार करना चाहिए. जो कैदी पूरी तरह से स्वस्थ है उनकी लिस्ट तैयार कर ऐसे कैदियों की उनके रिश्तेदारों या मित्रों से 2 गज की दूरी की पालना के साथ मुलाकात करवाने के संबंध में सरकार को सोचना चाहिए. जब अन्य विभागों में कामकाज शुरू हो चुका है तो फिर जेल विभाग भी इस संबंध में कोरोना गाइड लाइन की पालना करते हुए कैदियों से उनके रिश्तेदारों व मित्रों की मुलाकात कराने के संबंध में कोई तरीका इजाद कर सकता है.

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ई-मुलाकात का सिस्टम भी बेअसर

जेल विभाग कर रहा काम चोरी

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है कि इस गंभीर मसले पर जेल विभाग कामचोरी कर रहा है. जहां अन्य सभी विभागों में कामकाज सुचारू हो चुका है, कोर्ट में भी काम हो रहा है, सरकार के विभागों में भी कामकाज शुरू हो चुका है तो जेल विभाग इस ओर कोई पहल क्यों नहीं कर रहा है.

जेल विभाग की लापरवाही से जेल में फैल रहा कोरोना

पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है कि जेल विभाग की लापरवाही के चलते ही कैदियों में कोरोना का संक्रमण फैला है. जेल के अंदर एक ही बैरक में 15 से 20 कैदियों को बंद करके रखा जाता है और ऐसे में यदि एक भी कैदी संक्रमित होता है तो बैरक में बंद अन्य कैदियों के संक्रमित होने की संभावनाएं प्रबल हो जाती है. इसके साथ ही जेल में खाने के वक्त कैदियों की लंबी लाइन लगती है. जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग की पालना भी नहीं होती है. जिसके चलते भी जेल में कैदियों में तेजी के साथ कोरोना संक्रमण फैल रहा है. इसके साथ ही जेल में कैदियों के लिए मास्क व सैनिटाइजर की भी व्यवस्था सही तरीके से नहीं की गई है.

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