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जयपुर का प्राचीन वैभव लौटाने की कवायद शुरू, ये हैं चुनौतियां

जयपुर में इकोमॉस की ओर से शहर में हो रहे अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने की योजना बनाई जा रही है. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में परकोटा को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित करने का फैसला लिया गया है.

जयपुर का प्राचीन वैभव लौटाने की कवायद शुरू
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Published : Jul 13, 2019, 8:29 PM IST

जयपुर. परकोटा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुए अवैध निर्माण विरासत को बचाने के लिए लागू कानून को मुंह चिढ़ाते दिखते हैं. बीते साल पूर्ववर्ती सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को यूनेस्को की ओर से ठुकरा दिया गया था. हालांकि अब जयपुर विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है.

जयपुर का प्राचीन वैभव लौटाने की कवायद शुरू

राजधानी जयपुर का प्राचीन वैभव लौटाने के लिए फसाड़, अवैध अतिक्रमण, पार्किंग, यातायात व्यवस्था और नॉन वेंडिंग जोन पर काम करने की दरकार है. गुलाबी नगरी को विश्व धरोहर की सूची में शामिल कराने के लिए सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी. पूर्ववर्ती सरकार का प्रस्ताव मिलने के बाद इसकी वास्तविकता जानने के लिए यूनेस्को की संस्था इकोमॉस के विशेषज्ञ पिछले साल सितंबर में मौका मुआयना करने जयपुर आए. सरकार के पेश दस्तावेजों की पड़ताल के बाद संस्थान ने 23 नवंबर को अतिरिक्त मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों को बैठक के लिए पेरिस भी बुलाया गया. यहीं से जयपुर का प्रस्ताव होने की कहानी शुरू हुई.

इकोमॉस की ओर से शहर में हो रहे अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने की योजना बनाई जा रही है. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में परकोटा को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित करने का फैसला लिया गया है. वहीं नए प्रेजेंटेशन के साथ पहले मेयर पेरिस गए. उसके बाद निगम की टीम बाकू पहुंची. जहां जयपुर को भी विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने की घोषणा की गई. हालांकि में अब शहर और राज्य की सरकार के सामने चुनौतियां पहले से ज्यादा हैं.

वहीं शहर के मेयर विष्णु लाटा ने एक कमेटी बनाकर उसके फैसलों की पालना की बात कही है. उन्होंने कहा है कि परकोटे में हो रहे अवैध निर्माणों का मामला उच्च न्यायालय में भी लंबित है. ऐसे में न्यायालय जो भी आदेश देगा, उसी का अनुसरण जनता, सरकार और निगम करेगा. उन्होंने कहा कि जयपुर हेरिटेज सिटी में शामिल हुआ है. उसे बरकरार रखने के पूरे प्रयास किए जाएंगे. अब नियमित कार्रवाई कर परकोटे को सुव्यवस्थित किया जाएगा.

परकोटा क्षेत्र में विकास की चुनौतियां-

  • बाजारों के बरामदों का जीर्णोद्धार
  • मुख्य बाजारों का फसाड़ वर्क
  • परकोटे में प्राचीन डिजाइन लागू करना
  • परकोटे के आसपास हुए निर्माणों पर कार्रवाई
  • अवैध निर्माणों पर कार्रवाई
  • यातायात व्यवस्था सुनिश्चित करना
  • पार्किंग की उचित व्यवस्था
  • कानून के तहत स्ट्रीट वेंडिंग जोन तैयार करना
  • सफाई का एक बेहतर प्लान लागू करना

बहरहाल, शहर और राज्य की सरकार के सामने चुनौतियां कई है. ऐसे में यूनेस्को की गाइडलाइन को फॉलो करते हुए इन चुनौतियों पर पार किस तरह पाया जाता है, यह देखने वाली बात होगी.

जयपुर. परकोटा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुए अवैध निर्माण विरासत को बचाने के लिए लागू कानून को मुंह चिढ़ाते दिखते हैं. बीते साल पूर्ववर्ती सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को यूनेस्को की ओर से ठुकरा दिया गया था. हालांकि अब जयपुर विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है.

जयपुर का प्राचीन वैभव लौटाने की कवायद शुरू

राजधानी जयपुर का प्राचीन वैभव लौटाने के लिए फसाड़, अवैध अतिक्रमण, पार्किंग, यातायात व्यवस्था और नॉन वेंडिंग जोन पर काम करने की दरकार है. गुलाबी नगरी को विश्व धरोहर की सूची में शामिल कराने के लिए सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी. पूर्ववर्ती सरकार का प्रस्ताव मिलने के बाद इसकी वास्तविकता जानने के लिए यूनेस्को की संस्था इकोमॉस के विशेषज्ञ पिछले साल सितंबर में मौका मुआयना करने जयपुर आए. सरकार के पेश दस्तावेजों की पड़ताल के बाद संस्थान ने 23 नवंबर को अतिरिक्त मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों को बैठक के लिए पेरिस भी बुलाया गया. यहीं से जयपुर का प्रस्ताव होने की कहानी शुरू हुई.

इकोमॉस की ओर से शहर में हो रहे अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने की योजना बनाई जा रही है. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में परकोटा को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित करने का फैसला लिया गया है. वहीं नए प्रेजेंटेशन के साथ पहले मेयर पेरिस गए. उसके बाद निगम की टीम बाकू पहुंची. जहां जयपुर को भी विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने की घोषणा की गई. हालांकि में अब शहर और राज्य की सरकार के सामने चुनौतियां पहले से ज्यादा हैं.

वहीं शहर के मेयर विष्णु लाटा ने एक कमेटी बनाकर उसके फैसलों की पालना की बात कही है. उन्होंने कहा है कि परकोटे में हो रहे अवैध निर्माणों का मामला उच्च न्यायालय में भी लंबित है. ऐसे में न्यायालय जो भी आदेश देगा, उसी का अनुसरण जनता, सरकार और निगम करेगा. उन्होंने कहा कि जयपुर हेरिटेज सिटी में शामिल हुआ है. उसे बरकरार रखने के पूरे प्रयास किए जाएंगे. अब नियमित कार्रवाई कर परकोटे को सुव्यवस्थित किया जाएगा.

परकोटा क्षेत्र में विकास की चुनौतियां-

  • बाजारों के बरामदों का जीर्णोद्धार
  • मुख्य बाजारों का फसाड़ वर्क
  • परकोटे में प्राचीन डिजाइन लागू करना
  • परकोटे के आसपास हुए निर्माणों पर कार्रवाई
  • अवैध निर्माणों पर कार्रवाई
  • यातायात व्यवस्था सुनिश्चित करना
  • पार्किंग की उचित व्यवस्था
  • कानून के तहत स्ट्रीट वेंडिंग जोन तैयार करना
  • सफाई का एक बेहतर प्लान लागू करना

बहरहाल, शहर और राज्य की सरकार के सामने चुनौतियां कई है. ऐसे में यूनेस्को की गाइडलाइन को फॉलो करते हुए इन चुनौतियों पर पार किस तरह पाया जाता है, यह देखने वाली बात होगी.

Intro:जयपुर - परकोटा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुए अवैध निर्माण विरासत को बचाने के लिए लागू कानून को मुंह चिढ़ाते दिखते हैं। यही वजह थी कि बीते साल पूर्वर्ती सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को यूनेस्को की ओर से ठुकरा दिया गया था। हालांकि अब जयपुर विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है। लेकिन अभी भी जयपुर का प्राचीन वैभव लौटाने के लिए फसाड़, अवैध अतिक्रमण, पार्किंग, यातायात व्यवस्था और नॉन वेंडिंग जोन पर काम करने की दरकार है।


Body:गुलाबी नगरी को विश्व धरोहर की सूची में शामिल कराने के लिए सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी। पूर्वर्ती सरकार का प्रस्ताव मिलने के बाद इसकी वास्तविकता जानने के लिए यूनेस्को की संस्था इकोमॉस के विशेषज्ञ पिछले साल सितंबर में मौका मुआयना करने जयपुर आए। सरकार के पेश दस्तावेजों की पड़ताल के बाद संस्थान ने 23 नवंबर को अतिरिक्त मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों को बैठक के लिए पेरिस भी बुलाया। और यहीं से जयपुर का प्रस्ताव डेफर होने की कहानी शुरू हुई। हालांकि इकोमॉस की ओर से शहर में हो रहे अवैध निर्माण पर किस तरह की कार्रवाई की जाएगी, इस संबंध में लिखा गया। जिसके बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में परकोटा को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित करने का फैसला लिया गया। वहीं नये प्रेजेंटेशन के साथ पहले मेयर पेरिस गये और उसके बाद निगम की टीम बाकू पहुंची। जहां जयपुर को भी विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने की घोषणा की गई। हालांकि में अब शहर और राज्य की सरकार के सामने चुनौतियां पहले से ज्यादा हैं। इनमें...
- बाजारों के बरामदों का जीर्णोद्धार
- मुख्य बाजारों का फसाड़ वर्क
- परकोटे में प्राचीन डिजाइन लागू करना
- परकोटे के आसपास हुए निर्माणों पर कार्रवाई
- अवैध निर्माणों पर कार्रवाई
- यातायात व्यवस्था सुनिश्चित करना
- पार्किंग की उचित व्यवस्था
- कानून के तहत स्ट्रीट वेंडिंग जोन तैयार करना
- सफाई का एक बेहतर प्लान लागू करने
जैसी चुनौतियां सामने हैं।
बाईट - अरुण गर्ग, एडिशनल कमिश्नर, नगर निगम

वहीं शहर के मेयर विष्णु लाटा ने एक कमेटी बनाकर उसके फैसलों की पालना की बात कही। उन्होंने बताया कि परकोटे में हो रहे अवैध निर्माणों का मामला उच्च न्यायालय में भी लंबित है। ऐसे में न्यायालय जो भी आदेश देगा, उसी का अनुसरण जनता, सरकार और निगम करेगा। उन्होंने कहा कि जयपुर हेरिटेज सिटी में शामिल हुआ है। उसे बरकरार रखने के पूरे प्रयास किए जाएंगे। और अब नियमित कार्रवाई कर परकोटे को सुव्यवस्थित किया जाएगा।
बाईट - विष्णु लाटा, मेयर


Conclusion:बहरहाल, शहर और राज्य की सरकार के सामने चुनौतियां कई है। ऐसे में यूनेस्को की गाइडलाइन को फॉलो करते हुए इन चुनौतियों पर पार किस तरह पाया जाता है, ये देखने वाली बात होगी।
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