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गुर्जर आरक्षण आंदोलन: हक की आवाज Vs सियासी जज्बात

राजस्थान में एक समय आकाल, सूखे की स्थितियां सुर्खियों में रहती आई हैं. लेकिन, डेढ़ दशक में अगर सर्वाधिक कोई चीज सुर्खियों में रही है तो वह है गुर्जर आंदोलन. मांगों को लेकर रेलवे ट्रैक से लेकर सड़कों तक को जाम करने और उसके बाद सरकार से समझौते होते रहे. इन सब के बीच क्या गुर्जरों की समस्या का समाधान भी हुआ है या फिर केवल राजनीति ही चमकी है. गुर्जर आंदोलन के सभी पहलुओं की पड़ताल...देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

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हक की आवाज Vs सियासी जज्बात
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Published : Nov 2, 2020, 10:02 PM IST

Updated : Nov 3, 2020, 10:56 PM IST

जयपुर. राजस्थान में एक वक्त अकाल, सूखे की स्थितियां सुर्खियों में रहा करती थी. मगर बीते डेढ़ दशक में कमोबेश हर साल, सुर्खियों में गुर्जर आरक्षण आंदोलन रहता है. आंदोलन का वो अतीत भुलाए नहीं भूलता जिसमें 70 से ज्यादा गुर्जर समाज के लोग मारे गए.

गुर्जर आरक्षण आंदोलन पर ईटीवी भारत की खास बातचीत PART-1

हिंसा का वो रौद्र रूप कि सुप्रीम कोर्ट को भी उस वक्त की हिंसा को राष्ट्रीय शर्म कहना पड़ा था. इतने सालों में फिर उसी मोड़ पर आ कर खड़ा हो जाए तो जाहिर है कि अलग-अलग वक्त में सरकार के प्रतिनिधियों और गुर्जर नेताओं ने सिर्फ अपनी राजनीति चमकाई है.

गुर्जर आरक्षण आंदोलन पर ईटीवी भारत की खास बातचीत PART-2

समझौते होते रहे और नए वादे घोषणा पत्रों में शामिल हो रहे. नई सरकार में नई भर्तियां जब भी खुली गुर्जर आंदोलन होते रहे. आज फिर गुर्जर आंदोलन शुरू होने से राजस्थान की आवाम डरी-सहमी है. क्योंकि किसी भी पक्ष का रूख, विश्वास नहीं जगा पा रहा. कोरोना काल, कारोबार बेहाल और उस पर आंदोलन की ये मार.

गुर्जर आरक्षण आंदोलन पर ईटीवी भारत की खास बातचीत PART-3

पढ़ेंः गुर्जर आंदोलन : रेलवे प्रशासन ने ट्रेनों के रूटों में किया बदलाव, रोडवेज ने भी रद्द की बसें

संवाद के लिए सरकार की ओर से भी अपनी 'पसंद' के नेता हैं तो गुर्जर समाज की ओर से भी अपनी 'पसंद' के नेताओं को आगे किया जा रहा है. अपने-अपने चहेते आगे करने की इस बिसात में अगर कोई पीछे जा रहा है तो वो है राजस्थान और राजस्थान की जनता.

गुर्जर आरक्षण आंदोलन पर ईटीवी भारत की खास बातचीत PART-4

मांग पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन

गुर्जर आरक्षण आंदोलन पर ईटीवी भारत की खास बातचीत PART-5

आरक्षण समेत विभिन्न मांगों को लेकर एक बार फिर गुर्जर समाज पुराने ट्रैक पर आ डटा है. हर बार की तरह इस बार भी गुर्जर आंदोलन का केंद्र भरतपुर जिले के बयाना तहसील स्थित पीलू का पुरा ही बना हुआ है. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निर्देश के बाद दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक को जाम करके समाज के लोग बैठे हुए हैं.

शाम होते-होते समाज की महिलाएं भी बच्चों को साथ में लेकर रेलवे ट्रैक पर पहुंचकर आंदोलन का समर्थन किया. महिलाओं ने हाथों में लाठियां ले रखी थी. आंदोलन के दूसरे दिन रेलवे ट्रैक पर पहुंचे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने सरकार को दो-टूक जवाब देते हुए कहा कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा.

जयपुर. राजस्थान में एक वक्त अकाल, सूखे की स्थितियां सुर्खियों में रहा करती थी. मगर बीते डेढ़ दशक में कमोबेश हर साल, सुर्खियों में गुर्जर आरक्षण आंदोलन रहता है. आंदोलन का वो अतीत भुलाए नहीं भूलता जिसमें 70 से ज्यादा गुर्जर समाज के लोग मारे गए.

गुर्जर आरक्षण आंदोलन पर ईटीवी भारत की खास बातचीत PART-1

हिंसा का वो रौद्र रूप कि सुप्रीम कोर्ट को भी उस वक्त की हिंसा को राष्ट्रीय शर्म कहना पड़ा था. इतने सालों में फिर उसी मोड़ पर आ कर खड़ा हो जाए तो जाहिर है कि अलग-अलग वक्त में सरकार के प्रतिनिधियों और गुर्जर नेताओं ने सिर्फ अपनी राजनीति चमकाई है.

गुर्जर आरक्षण आंदोलन पर ईटीवी भारत की खास बातचीत PART-2

समझौते होते रहे और नए वादे घोषणा पत्रों में शामिल हो रहे. नई सरकार में नई भर्तियां जब भी खुली गुर्जर आंदोलन होते रहे. आज फिर गुर्जर आंदोलन शुरू होने से राजस्थान की आवाम डरी-सहमी है. क्योंकि किसी भी पक्ष का रूख, विश्वास नहीं जगा पा रहा. कोरोना काल, कारोबार बेहाल और उस पर आंदोलन की ये मार.

गुर्जर आरक्षण आंदोलन पर ईटीवी भारत की खास बातचीत PART-3

पढ़ेंः गुर्जर आंदोलन : रेलवे प्रशासन ने ट्रेनों के रूटों में किया बदलाव, रोडवेज ने भी रद्द की बसें

संवाद के लिए सरकार की ओर से भी अपनी 'पसंद' के नेता हैं तो गुर्जर समाज की ओर से भी अपनी 'पसंद' के नेताओं को आगे किया जा रहा है. अपने-अपने चहेते आगे करने की इस बिसात में अगर कोई पीछे जा रहा है तो वो है राजस्थान और राजस्थान की जनता.

गुर्जर आरक्षण आंदोलन पर ईटीवी भारत की खास बातचीत PART-4

मांग पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन

गुर्जर आरक्षण आंदोलन पर ईटीवी भारत की खास बातचीत PART-5

आरक्षण समेत विभिन्न मांगों को लेकर एक बार फिर गुर्जर समाज पुराने ट्रैक पर आ डटा है. हर बार की तरह इस बार भी गुर्जर आंदोलन का केंद्र भरतपुर जिले के बयाना तहसील स्थित पीलू का पुरा ही बना हुआ है. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निर्देश के बाद दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक को जाम करके समाज के लोग बैठे हुए हैं.

शाम होते-होते समाज की महिलाएं भी बच्चों को साथ में लेकर रेलवे ट्रैक पर पहुंचकर आंदोलन का समर्थन किया. महिलाओं ने हाथों में लाठियां ले रखी थी. आंदोलन के दूसरे दिन रेलवे ट्रैक पर पहुंचे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने सरकार को दो-टूक जवाब देते हुए कहा कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा.

Last Updated : Nov 3, 2020, 10:56 PM IST
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