जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे का लोकार्पण करने के लिए दौसा आ रहे हैं. यहां पीएम मोदी एक बड़ी जनसभा को भी संबोधित करेंगे. बीजेपी मोदी की सभा के जरिए पूर्वी राजस्थान में खोया हुआ जनाधार वापस पाना चाहती है. पीएम मोदी का ये राजस्थान का चौथा दौरा है. ऐसे में अब इस दौरे पर सियासत भी तेज हो गई है.
सरकारी कार्यक्रम होने के बावजूद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कार्यक्रम से दूरी बनाए जाने के संकेत बजट पेश करते हुए दे दिए थे. गहलोत ने कहा कि सरकारी कार्यक्रम को पॉलिटिकल कार्यक्रम बना दिया गया है. गहलोत के इस बयान के बाद बीजेपी ने भी हमलावर रुख अपना लिया है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि देश और प्रदेश को इतनी बड़ी सौगात मिल रही है और कांग्रेस पार्टी इस पर राजनीतिक रोटियां सेकने की कोशिश कर रही है.
शायराना अंदाज में निशाना : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री के राजस्थान दौरे पर दो बार निशाना साधा. बजट पेश करने के दौरान गहलोत ने कहा कि दिल्ली वालों को समझना जरूरी है. उन्होंने शायराना अंदाज में कहा कि 'सुख-भाग न सबका सम हो...नहीं किसी को बहुत अधिक हो...नहीं किसी को कम हो' यानी मानव जीवन में तब तक शांति स्थापित नहीं हो सकती, जब तक सभी मानव का सुख में समान अधिकार निश्चित नहीं हो जाता है. इसके अलावा गहलोत ने कहा कि दौसा में सड़क का प्रोग्राम हो रहा है, उस प्रोग्राम में औपचारिकता की गई है. कोई दूसरा मुख्यमंत्री नहीं आ पाए इसलिए पॉलिटिकल मीटिंग कह दिया.
ईआरसीपी के मुद्दे से बचने के लिए जगह बदला : दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे हाईवे के लोकार्पण कार्यक्रम में राज्यपाल कलराज मिश्र शामिल होंगे. सदन के बाद सीएम गहलोत ने मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कार्यक्रम में नहीं जाने की बात दोहराई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा की पीएम मोदी की सभा का स्थान इसलिए बदला क्योंकि जहां पहले सभा होनी थी वो ईआरसीपी के क्षेत्र में आ रही थी. इसलिए जगह बदल दी.
मुख्यमंत्री को आपत्ति क्यों ? : मुख्यमंत्री गहलोत के कार्यक्रम को लेकर दिए गए बयान पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पलटवार किया है. कटारिया ने कहा कि जब कार्यक्रम में राज्यपाल कलराज मिश्र जा रहे हैं तो मुख्यमंत्री को जाने में क्या आपत्ति है? जब हमारे क्षेत्रों में कांग्रेस के हारे हुए विधायक उद्घाटन करते हैं और हमें नहीं बुलाया जाता है, तब तो मुख्यमंत्री को कोई आपत्ति नहीं होती है. मुख्यमंत्री को लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए. देश में विकास के काम मोदी सरकार में हो रहे हैं. डेवलपमेंट पर राजनीति करना सही नहीं है.
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दौरे पर हो रही सियासत : प्रधानमंत्री मोदी 12 फरवरी को राजस्थान के दौसा में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लोकार्पण के लिए आ रहे हैं. पीएम का ये दौरा वैसे तो सरकारी दौरा है, लेकिन बीजेपी पूर्वी राजस्थान में खोए जनाधार को पाने की कोशिश में है. पूर्वी राजस्थान में बीजेपी को 2018 के चुनाव में सिर्फ और सिर्फ एक धौलपुर की सीट पर जीत मिली थी. जहां से शोभारानी कुशवाह विधायक बन सदन में पहुंची. हालांकि बीजेपी को बड़ा झटका तब लगा तब कांग्रेस की सियासी उठापटक के समय शोभारानी पार्टी से बगावत कर सीएम गहलोत के समर्थन में उतर गई थी.
ऐसे में भाजपा मौजूदा दौर में पूर्वी राजस्थान में खोए अपने जनाधार को मोदी के जरिए वापस प्राप्त करना चाहेगी. मोदी की इस सभा से न केवल मीणा बल्कि उसी क्षेत्र में गुर्जर बाहुल्य वोट बैंक पर असर डालने की कोशिश होगी. ये पिछले चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के समर्थन में बीजेपी से दूर चला गया था. बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री मोदी के इस सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को सीधे इसी बात से समझा जा सकता है कि पिछले तीन महीनों में प्रधानमंत्री मोदी का ये राजस्थान का चौथा दौरा होगा. इससे पहले प्रधानमंत्री ने राजस्थान के बांसवाड़ा और डूंगरपुर के मानगढ़ धाम पहुंचकर आदिवासी समाज और उसके बाद भीलवाड़ा के आसींद में गुर्जर समाज के बीच जाकर उनके धार्मिक आयोजन से जुड़कर बड़ा संदेश दिया था.
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पूर्वी राजस्थान के लिए जीवनदायिनी ईआरसीपी : 2017-18 के बजट में राजस्थान की तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार में ईआरसीपी की घोषणा हुई थी. इस दौरान सरकार ने ऐलान किया था कि ईआरसीपी में झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर जिले शामिल हैं. इन 13 जिलों में सिंचाई और पीने के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में मिल सकेगा. राजे ने अपने आखिरी बजट भाषण में कहा था कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के लिए प्रस्ताव भेजा था.
पीएम मोदी ने चुनावी माहौल में राजस्थान के दौरे पर इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की बात भी कही थी, जिसके बाद से गहलोत इसी मांग को पूरा करने की बात करते रहे हैं. वहीं पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरपीसी) का मुख्य उद्देश्य राजस्थान के जल प्रबंधन को नए सिरे से विकसित करना है. योजना के जरिए दक्षिणी राजस्थान में स्थित चंबल और उसकी सहायक नदियों जैसे कि कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध को भी आपस में जोड़ा जाना है. इसके साथ ही इन नदियों में बारिश के मौसम के दौरान इकट्ठे होने वाले पानी के लिए नई तकनीक विकसित करना है.