जयपुर. प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी रणनीति बनाने में जुट गई है. इस बार राज्य में पार्टी की चुनाव की कमान किसके हाथ में होगी इसकी भी तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है. सूबे के सियासी हलकों में इस बात की चर्चा है कि इस बार चुनाव की कमान केंद्रीय नेतृत्व के हाथों में रहेगी. इसकी शुरुआत पीएम मोदी के राजस्थान दौरे से होगी. 28 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भीलवाड़ा जिले में (PM Modi Will Visit Bhilwara on 28 january) आयेंगे. यहां वह आसींद में गुर्जरों के आराध्य देव देवनारायण भगवान की 1111वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम हिस्सा ले सकते हैं. इस दौरान पीएम मोदी एक जनसभा को संबोधित कर सकते हैं.
पीएम मोदी की सभा के जरिए बीजेपी मिशन-2023 को हासिल करने के लिए जातिगत रणनीति है. बीजेपी प्रदेश के 7 प्रतिशत से अधिक गुर्जर समाज के वोट बैंक को साधने की कोशिश करेगी. पिछले चुनाव में गुर्जर समाज ने पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट समर्थन में कांग्रेस के साथ चला गया था. इस बार के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी गुर्जर समाज को अपनी तरफ करने के लिए चुनाव से पहले ही रणनीति पर काम कर रही है.
लोक देवता देवनारायण जन्मस्थली मालासेरी की डूंगरी इतिहास: देवनारायण राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता हैं, जिन्होंने बैसला कबीले की स्थापना की थी. इतिहास के अनुसार वह विष्णु के एक अवतार थे और उन्हें एक लोक देवता के रूप में पूजा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपना सारा जीवन लोग कल्याण में बिता दिया. बताया जाता है कि देवनारायण के पिता सवाई भोज भिनाय (अजमेर) के शासक दुर्जनशाल से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये थे और देवनारायण की माता साडू खटाणी उस समय गर्भवती थी. इसलिए वो अपने पीहर देवास (मध्य प्रदेश) जा रही थीं, तो रास्ते में मालासेरी के जंगलों (आसींद के पास) माघ शुक्ल 6 संवत 1243 में देवनारायण का जन्म हुआ. इसलिए मालासेरी को देवनारायण की जन्म स्थली माना जाता है. इस मालासेरी डूंगरी के प्रति गुर्जर समाज की बड़ी आस्था है.
वसुंधरा सरकार में बना पैनोरमा: पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भीलवाड़ा जिले के आसींद के पास मालासेरी की डूंगरी में गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण के जन्म स्थान पर पैनोरमा निर्माण कराया था. करीब चार करोड़ रुपए की लागत से बने इस पैनोरमा में लोक देवता भगवान देवनारायण की जीवन-गाथा, शौर्य-शक्ति और भक्ति को दिखाया गया है. सवाई भोज, साडू माता और भगवान देवनारायण के एक साथ दर्शन इस पैनोरमा में किए जा सकते है. पैनोरमा में प्रदर्शित चित्रकला और मूर्तियां बड़े आकर्षण का केंद्र हैं.
आदिवासियों के बाद अब गुर्जर समाज पर नजर: राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी अब जातिगत सेंधमारी की रणनीति बना रही है. इसके तहत पहले पार्टी ने आदिवासियों को रिझाने के लिए आदिवासी सम्मेलन का आयोजन किया, तो अब गुर्जरों पर बीजेपी नजरें गड़ाए हैं. गुर्जर वोट को साधने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी 28 जनवरी को भीलवाड़ा के आसींद में गुर्जरों के आराध्य देव देवनारायण भगवान की 1111वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा ले सकते हैं. बीजेपी प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि पीएम मोदी का राजस्थान दौरे पर आयेंगे. पार्टी कार्यकर्ताओं को सभा की आवश्यक तैयारियों को लेकर दिशा निर्देश दिए गए हैं.
14 जिलों की 60 से अधिक सीटों पर असर: प्रदेश के 200 सीटों पर नजर डाली जाएं, तो 14 जिले वो हैं जहां गुर्जर मतदाता सीधा असर रखते हैं. राजस्थान में गुर्जर समाज 7 प्रतिशत से ज्यादा हैं. 14 जिलों में पूरा और चार से पांच जिलों की कुछ विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखता हैं. करीब 60 विधानसभा सभा सीटें ऐसी है जहां गुर्जर बाहुल्य मानी जाती है. भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक, दौसा, बूंदी, कोटा, बारां, झालावाड़, अलवर, राजसमंद, अजमेर, भीलवाड़ा इन जिलों में गुर्जर बाहुल्य हैं, जबकि जयपुर ग्रामीण, झुंझुनू सीकर, चित्तौड़गढ़, पाली, उदयपुर जिलों की कुछ विधानसभा सीटों पर इस समाज का असर है.
गुर्जर नेता शैलेन्द्र सिंह की मानें तो पीएम मोदी की सभा से गुर्जर समाज में एक अच्छा संदेश जायेगा. पिछले चुनाव में किन्हीं कारणों से गुर्जर कांग्रेस के समर्थन में चला गया था वह फिर से बीजेपी से जुड़ेगा. शैलेन्द्र ने कहा कि बीजेपी ने लंबे समय से चली आ रही आरक्षण की मांग को पूरा किया. केंद्र की मोदी सरकार ने गुर्जर समाज को अति पिछड़ा वर्ग में कानूनी मान्यता दी. पीएम मोदी के इस दौरे से समाज में एक उत्साह का संचार होगा.
2018 में नहीं बना एक भी गुर्जर विधायक: 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डाली जाएं, तो बीजेपी से एक भी गुर्जर विधायक नहीं बन पाया था, जबकि कांग्रेस में 8 विधायक गुर्जर समाज से जीत कर आए हैं. उस समय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट थे और उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना होने की वजह से गुर्जरों ने एकतरफा कांग्रेस को वोट दिया था. हालांकि, पायलट सीएम नहीं बने तो लोकसभा चुनाव में यह वोट बीजेपी की तरफ डायवर्ट हो गया और प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को जीत मिली. लोकसभा के लिहाज से देखें तो जयपुर ग्रामीण, अजमेर, भीलवाडा, टोंक-सवाई माधोपुर, झालावाड-बारा, कोटा - बूंदी , कौरौजी-धौलपुर, दौसा, भरतपुर और राजसमन्द को गुर्जर मतदाता प्रभावित करते हैं.