जयपुर. राजस्थान में हर दिन साइबर क्राइम के दर्जनों मामले सामने आ रहे हैं. मोबाइल और लैपटॉप से निजी डाटा चुराने के बाद साइबर ठगों द्वारा या फिर अपने ही किसी परिचित द्वारा ब्लैकमेल किया जा रहा है. पर्सनल डाटा चुराने के बाद लोगों को ब्लैकमेल करने के साथ ही उनसे लाखों रुपए की राशि वसूली जा रही है. या फिर हैकिंग के जरिये बैंक खाते से पैसे निकाल लिए जाते हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में ही एक ऐसी वारदात हाल ही में सामने आई थी, यहां पर एक दोस्त ने ही अपने दोस्त के लैपटॉप और मोबाइल से निजी डाटा चुराया था. इसके बाद आरोपी ने दोस्त की पत्नी को ब्लैकमेल कर तीन लाख 50 हजार रुपए की डिमांड की थी.
लैपटॉप और मोबाइल से निजी डाटा चुराकर ना केवल लोगों की निजता का हनन किया जा रहा है बल्कि हैकर्स लोगों को आर्थिक क्षति भी पहुंचा रहे हैं. कुछ मिनट और घंटों में ये हैकर्स इंसान को कंगाल कर दे रहे हैं. ऐसे में अब यूजर के लिए यह एक चुनौती हो गई है कि आखिर वो अपने मोबाइल और लैपटॉप के डाटा का कैसे बचाए. बड़ी संख्या में यूजर की लापरवाही के चलते ही उनका पर्सनल डाटा सुरक्षित नहीं होता है और बड़े ही आसानी से हैकर्स द्वारा या साइबर ठगों द्वारा उनका डाटा कॉपी या ट्रांसफर कर लिया जाता है.
इसके बाद साइबर ठगों द्वारा यूजर को ब्लैकमेल भी किया जाता है. हालांकि कुछ सावधानियां बरसते हुए यूजर अपने पर्सनल डाटा को पूरी तरह से सुरक्षित रख सकता है और हैकर या साइबर ठगों के हाथों ब्लैकमेलिंग का शिकार होने से या कंगाल होने से बच सकता है.
जानकार और नजदीकी लोगों से ज्यादा खतरा!
यूजर के मोबाइल या लैपटॉप से पर्सनल डाटा चुराने के अधिकांश प्रकरणों में यूजर के किसी जानकार या नजदीकी व्यक्ति का ही हाथ होता है. यूज़र द्वारा अपने मोबाइल या लैपटॉप में पासवर्ड या तो उनकी डेट ऑफ बर्थ या फिर मोबाइल नंबर रखी जाती है. जिसके चलते उनका जानकार व्यक्ति बड़ी आसानी से पासवर्ड से मोबाइल या लैपटॉप का लॉक खोलकर पेनड्राइव में पर्सनल डाटा को कॉपी कर लेता है.
करप्ट और क्रैक वर्जन ऑपरेटिंग सिस्टम से भी खतरा
अधिकांश यूजर लैपटॉप या कंप्यूटर में करप्ट या क्रैक वर्जन के ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग करते हैं. जिसके चलते ऑपरेटिंग सिस्टम कि सिक्योरिटी का लेवल बेहद कम होता है या फिर ना के बराबर होता है. ऐसे में हैकर्स द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम को क्रैक करने वाली विभिन्न एप्लीकेशन या फिर मॉलवेयर के जरिए डाटा कॉपी करने का काम किया जाता है. यूजर के मोबाइल या लैपटॉप में मॉलवेयर इंस्टॉल करके उसका पूरा एक्सेस हैकर्स द्वारा ले लिया जाता है और बड़ी आसानी से तमाम डाटा चुरा लिया जाता है.
प्री- बूटेड पेनड्राइव के जरिए डाटा की चोरी
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के मुताबिक, हैकर्स प्री बूटेड पेनड्राइव के माध्यम से भी यूजर के मोबाइल और लैपटॉप से तमाम डाटा बड़ी आसानी से चुरा लेते हैं. हैकर द्वारा प्री बूटेड पेनड्राइव के जरिए ऑपरेटिंग सिस्टम के पासवर्ड सेक्शन को बाईपास करते हुए तमाम डाटा चुरा लिया जाता है. यूजर द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम को समय पर अपडेट नहीं किया जाता है जिसके चलते हैकर्स द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम को बड़ी आसानी से क्रैक कर लेता है.
फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन के बजाय पिन बेस्ड पासवर्ड रखें -
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि अगर यूजर मोबाइल का प्रयोग कर रहे हैं तो फिर वह मोबाइल में फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन के स्थान पर पिन बेस्ड पासवर्ड का इस्तेमाल करें. हैकर द्वारा फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन को बड़ी आसानी से फिंगरप्रिंट का क्लोन बनाकर क्रैक किया जा सकता है. इसके लिए कई चाइनीस इक्विपमेंट्स भी हैकर्स के पास पहले से ही मौजूद हैं. इसके साथ ही पासवर्ड को फेस रिकॉग्नाइज बेस्ड भी ना रखें और पासवर्ड केवल पिन बेस्ड रखें.
इसके साथ ही मोबाइल के सॉफ्टवेयर को ऑटो अपडेट मोड़ पर रखें ताकि कंपनी द्वारा समय-समय पर बग्स हटाने के लिए जो सॉफ्टवेयर अपडेट दिया जाता है उसके जरिए सॉफ्टवेयर को सिक्योर रखा जा सके.
लैपटॉप में बिटलॉकर इंक्रिप्शन को ऑन रखें
अगर यूजर लैपटॉप का इस्तेमाल करता है तो उसे हैकर्स से बचाने के लिए लैपटॉप में बिटलॉकर इंक्रिप्शन को हमेशा ऑन रखना चाहिए. इसके साथ ही लैपटॉप में पिन बेस्ड पासवर्ड लगाकर रखें और जितना भी पर्सनल डाटा है उसे क्लाउड पर सेव कर टू स्टेप वेरिफिकेशन का ऑप्शन चुनकर पूरी तरह से सुरक्षित रखें. टू स्टेप वेरिफिकेशन रखने की वजह से अगर हैकर्स को लैपटॉप का पासवर्ड पता भी चल जाता है तो यूजर के मोबाइल पर आने वाले ओटीपी को एंटर किए बिना हैकर पर्सनल डाटा का एक्सेस नहीं प्राप्त कर सकता है.
अपना पासवर्ड और पिन मोबाइल या लैपटॉप में लिखकर ना रखें-
इसके साथ ही आयुष भारद्वाज ने बताया कि यूजर अपने मोबाइल या लैपटॉप में अपने इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग एप या फिर अन्य किसी भी तरह के पासवर्ड अथवा पिन को लिखकर सेव ना रखें. अगर मोबाइल या लैपटॉप में पासवर्ड और पिन लिखकर सेव किया गया है और हैकर्स ने आपके मोबाइल फोन को एक्सेस कर लिया तो फिर बड़ी ही आसानी से पिन और पासवर्ड का एक्सेस भी उसे मिल जायेगा.
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इसके साथ ही यूजर यह भी कोशिश करें कि उसका मोबाइल फोन 3 यह 4 साल से ज्यादा पुराना ना हो. क्योंकि 3 से 4 साल बाद कंपनी भी सॉफ्टवेयर अपडेट देना बंद कर देती है जिसके चलते मोबाइल में मौजूद बग्स के जरिए साइबर हैकर मोबाइल या लैपटॉप का एक्सेस प्राप्त करते हैं और फिर वो आपका डाटा चुरा सकते हैं.
लैपटॉप या कंप्यूटर का USB एक्सेस ऑफ रखें
भारद्वाज ने बताया कि यदि लैपटॉप या कंप्यूटर में यूजर का पर्सनल डाटा है तो फिर यूजर द्वारा लैपटॉप या कंप्यूटर की यूएसबी एक्सेस को ऑफ रखना चाहिए, यूएसबी एक्सेस के माध्यम से ही हैकर्स पेनड्राइव लगाकर मॉलवेयर के जरिए यूजर का डाटा चुराते हैं. अगर यूएसबी एक्सेस ऑफ होगा तो हैकर्स पेनड्राइव का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. इसके साथ ही लैपटॉप और मोबाइल में इंटरनेट सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर और एंटीवायरस को लगातार अपडेट रखें ताकि हैकर्स मॉलवेयर के जरिए मोबाइल या लैपटॉप का एक्सेस नहीं कर पाए.
फ्री WiFi और हॉटस्पॉट का ना करें उपयोग
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज के मुताबिक, आजकल हर शहर में फ्री वाईफाई हॉटस्पॉट उपलब्ध है. ऐसे में हैकर्स फ्री वाईफाई हॉटस्पॉट का झांसा देकर तरह-तरह के सॉफ्टवेयर के माध्यम से यूज़र के मोबाइल या लैपटॉप में मॉलवेयर अपडेट कर देते हैं. इसके बाद आरोपी मोबाइल का एक्सेस लेकर डाटा चुरा लेते हैं. इसलिए भारद्वाज कहते हैं कि यूजर के जिस मोबाइल या लैपटॉप में पर्सनल और महत्वपूर्ण डाटा हो उसे फ्री वाईफाई या हॉटस्पॉट से कनेक्ट नहीं करना चाहिए.