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इलाज में लापरवाही से मौत, अस्पतालों पर 97 लाख रुपए का हर्जाना - rajasthan

राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज में लापरवाही बरतने के चलते महिला की मौत के मामले में अजमेर के दो अस्पतालों पर कुल 97 लाख का हर्जाना लगाया है. आयोग ने मित्तल अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर पर यह हर्जाना लगाया है.

अस्पतालों पर 97 लाख रुपए का हर्जाना
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Published : Jul 1, 2019, 8:38 PM IST

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज में लापरवाही बरतने के चलते महिला की मौत के मामले में अजमेर के दो अस्पतालों पर कुल ₹97,00,000 का हर्जाना लगाया है. आयोग ने मित्तल अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर पर 91 लाख 91 हजार रुपए और गेटवेल अस्पताल एंड मेटरनिटी होम पर ₹5,00,000 का हर्जाना लगाया है.

आयोग ने हर्जाना राशि पर परिवाद दायर करने की तिथि 11 मई 2012 से 9 फीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है. वहीं हर्जाना राशि में से 50 लाख रुपए उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराने के निर्देश देते हुए शेष राशि परिवादी के पक्ष में अदा करने को कहा है.

आयोग ने आदेश की पालना के लिए आदेश की कॉपी प्रमुख स्वास्थ्य सचिव को भेजते हुए आयोग के रजिस्ट्रार को कहा है कि कल्याण कोष में हर्जाना राशि का हिस्सा दो माह में जमा नहीं होने पर मित्तल अस्पताल पर कार्रवाई की जाए. आयोग ने यह आदेश राजेंद्र कुमावत की ओर से दायर परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए.

जयपुर
अस्पतालों पर 97 लाख रुपए का हर्जाना

परिवाद में कहा गया कि उसकी पत्नी यशोदा देवी के पेट में दर्द होने पर 12 जुलाई 2011 को उसे गेटवेल अस्पताल में दिखाया गया. अस्पताल के चिकित्सक ने पित्त की थैली में पथरी होना बताकर 14 जुलाई को उसका ऑपरेशन किया. इस दौरान कई घंटों बाद परिवादी ने ऑपरेशन थिएटर में जाकर देखा तो यशोदा देवी के मुंह से झाग निकल रहे थे और गले में कट लगा कर नली डाली गई थी.

वहीं बाद में चिकित्सक ने परिजनों की सहमति के बिना मरीज को मित्तल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया. यहां अस्पताल संचालकों ने जांच और दवाइयों के नाम पर ₹90000 रुपए वसूल लिए. वहीं 16 जुलाई को मरीज की हालत गंभीर बता कर बाहर से चिकित्सक और हार्ट की मशीन लाने के लिए ₹5,00,000 और मांगे.

परिवादी ने जब रुपए नहीं दिए तो उसी समय मरीज के मरने की जानकारी परिवादी को दे दी गई. परिवाद में कहा गया कि चिकित्सकों की लापरवाही से उसकी पत्नी की मौत हुई है. ऐसे में उसे हर्जाना दिलाया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने दोनों अस्पतालों पर हर्जाना लगाया है.

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज में लापरवाही बरतने के चलते महिला की मौत के मामले में अजमेर के दो अस्पतालों पर कुल ₹97,00,000 का हर्जाना लगाया है. आयोग ने मित्तल अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर पर 91 लाख 91 हजार रुपए और गेटवेल अस्पताल एंड मेटरनिटी होम पर ₹5,00,000 का हर्जाना लगाया है.

आयोग ने हर्जाना राशि पर परिवाद दायर करने की तिथि 11 मई 2012 से 9 फीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है. वहीं हर्जाना राशि में से 50 लाख रुपए उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराने के निर्देश देते हुए शेष राशि परिवादी के पक्ष में अदा करने को कहा है.

आयोग ने आदेश की पालना के लिए आदेश की कॉपी प्रमुख स्वास्थ्य सचिव को भेजते हुए आयोग के रजिस्ट्रार को कहा है कि कल्याण कोष में हर्जाना राशि का हिस्सा दो माह में जमा नहीं होने पर मित्तल अस्पताल पर कार्रवाई की जाए. आयोग ने यह आदेश राजेंद्र कुमावत की ओर से दायर परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए.

जयपुर
अस्पतालों पर 97 लाख रुपए का हर्जाना

परिवाद में कहा गया कि उसकी पत्नी यशोदा देवी के पेट में दर्द होने पर 12 जुलाई 2011 को उसे गेटवेल अस्पताल में दिखाया गया. अस्पताल के चिकित्सक ने पित्त की थैली में पथरी होना बताकर 14 जुलाई को उसका ऑपरेशन किया. इस दौरान कई घंटों बाद परिवादी ने ऑपरेशन थिएटर में जाकर देखा तो यशोदा देवी के मुंह से झाग निकल रहे थे और गले में कट लगा कर नली डाली गई थी.

वहीं बाद में चिकित्सक ने परिजनों की सहमति के बिना मरीज को मित्तल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया. यहां अस्पताल संचालकों ने जांच और दवाइयों के नाम पर ₹90000 रुपए वसूल लिए. वहीं 16 जुलाई को मरीज की हालत गंभीर बता कर बाहर से चिकित्सक और हार्ट की मशीन लाने के लिए ₹5,00,000 और मांगे.

परिवादी ने जब रुपए नहीं दिए तो उसी समय मरीज के मरने की जानकारी परिवादी को दे दी गई. परिवाद में कहा गया कि चिकित्सकों की लापरवाही से उसकी पत्नी की मौत हुई है. ऐसे में उसे हर्जाना दिलाया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने दोनों अस्पतालों पर हर्जाना लगाया है.

Intro:जयपुर। राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज में लापरवाही बरतने के चलते महिला की मौत के मामले में अजमेर के दो अस्पतालों पर कुल ₹9700000 का हर्जाना लगाया है। आयोग ने मित्तल अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर पर 91 लाख 91 हजार रुपए और गेटवेल अस्पताल एंड मेटरनिटी होम पर ₹500000 का हर्जाना लगाया है।


Body:आयोग ने हर्जाना राशि पर परिवाद दायर करने की तिथि 11 मई 2012 से 9 फ़ीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है। वहीं हर्जाना राशि में से ₹5000000 उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराने के निर्देश देते हुए शेष राशि परिवादी के पक्ष में अदा करने को कहा है। आयोग ने आदेश की पालना के लिए आदेश की कॉपी प्रमुख स्वास्थ्य सचिव को भेजते हुए आयोग के रजिस्ट्रार को कहा है कि कल्याण कोष में हर्जाना राशि का हिस्सा दो माह में जमा नहीं होने पर मित्तल अस्पताल पर कार्रवाई की जाए। आयोग ने यह आदेश राजेंद्र कुमावत की ओर से दायर परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए।
परिवाद में कहा गया कि उसकी पत्नी यशोदा देवी के पेट में दर्द होने पर 12 जुलाई 2011 को उसे गेटवेल अस्पताल में दिखाया गया। अस्पताल के चिकित्सक ने पित्त की थैली में पथरी होना बताकर 14 जुलाई को उसका ऑपरेशन किया। इस दौरान कई घंटों बाद परिवादी ने ऑपरेशन थिएटर में जाकर देखा तो यशोदा देवी के मुंह से झाग निकल रहे थे और गले में कट लगा कर नली डाली गई थी। वहीं बाद में चिकित्सक ने परिजनों की सहमति के बिना मरीज को मित्तल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया। यहां अस्पताल संचालकों ने जांच और दवाइयों के नाम पर ₹90000 रुपए वसूल लिए। वहीं 16 जुलाई को मरीज की हालत गंभीर बता कर बाहर से चिकित्सक और हार्ट की मशीन लाने के लिए ₹500000 और मांगे। परिवादी ने जब रुपए नहीं दिए तो उसी समय मरीज के मरने की जानकारी परिवादी को दे दी गई। परिवाद में कहा गया कि चिकित्सकों की लापरवाही से उसकी पत्नी की मौत हुई है। ऐसे में उसे हर्जाना दिलाया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने दोनों अस्पतालों पर हर्जाना लगाया है।


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