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दक्षिण भारतीय शैली में बने झारखंड महादेव मंदिर में सावन सोमवार के मौके पर उमड़े शिवभक्त

श्रावण प्रतिपदा में सूर्य प्रधान उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 17 जुलाई से सावन की शुरुआत हुई और आज सावन का पहला सोमवार है. सुबह से ही शिवालयों में हर-हर महादेव का जयघोष सुनाई देने लगा. श्रद्धालुओं ने हर- हर महादेव के घोष के साथ भोलेनाथ को जलार्पण किया.ऐसे में छोटी काशी के झारखंड महादेव मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा.

दक्षिण भारतीय शैली में बने झारखंड महादेव मंदिर में सावन सोमवार के मौके पर उमड़े शिवभक्त
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Published : Jul 22, 2019, 1:51 PM IST

जयपुर.जिले में कृष्ण पक्ष पंचमी कुमार योग में सावन के पहले सोमवार के अवसर पर आज सुबह से ही जिले के प्राचीन शिवालयों में भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा.सहस्त्रघट, रुद्राभिषेक सहित अन्य अनुष्ठानों के लिए दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा.सुबह से ही शिवालयों में ॐ नमः शिवाय गूंज उठा.ऐसे में सावन के पहले सोमवार के दिन हम आपको एक ऐसे मंदिर के दर्शन करवाते है जो बना तो जयपुर में है,लेकिन उसकी एक-एक झलक झारखंड के मंदिरों जैसी है.

दक्षिण भारतीय शैली में बने झारखंड महादेव मंदिर में सावन सोमवार के मौके पर उमड़े शिवभक्त

जी हां,नाम से आश्चर्य में मत पड़िए,क्योंकि ऐसा अक्सर होता है जब लोगों को लगता है कि किसी शिवालय का नाम झारखंड कैसे हो सकता है.दरअसल,छोटीकाशी जयपुर के वैशाली के पास जिस गांव में यह मंदिर स्थित है उसका नाम प्रेमपुरा है.एक समय में यहां बड़ी संख्या में झाड़ियां ही झाड़ियां हुआ करती थी.तो झाड़ियों में से झाड़ और खंड अथार्त क्षेत्र को मिलाकर इस मंदिर का नाम झारखंड महादेव मंदिर पड़ा.

भगवान शिव को समर्पित यह एक अनोखा मंदिर है क्योंकि इस मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया है.दरअसल, वर्ष 1918 तक ये मंदिर बहुत छोटा हुआ करता था.यहां शिवलिंग की सुरक्षा के लिए मात्र एक कमरा बना हुआ था.लेकिन आज से करीब 18 साल पहले जब इसका जीर्णोद्धार किया गया,तो उसका निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया. हालांकि,इस मंदिर का केवल मुख्य द्वार ही दक्षिण भारतीय शैली जैसा है.अंदर गर्भ गृह उत्तर भारतीय मंदिरों से प्रेरित है,लेकिन कुछ अलग है.क्योंकि गर्भ गृह निर्माण के समय शिवालय में स्वत उग आए और पेड़ भी नहीं काटे गए.बल्कि पेड़ के साथ ही मंदिर का निर्माण कर दिया गया.

ऐसे में सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां शिवलिंग का अभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की कतारें लगती है.इस बार भी सावन के पहले सोमवार के दिन सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा.क्या बच्चे, क्या महिला, क्या पुरुष हर कोई भोले भंडारी को रिझाने में लगा रहा.श्रद्धालु पूरे भक्तिमय माहौल में भगवान शिव का जलाभिषेक कर उनसे मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद लेते दिखे.साथ ही बम -बम भोले के जयकारों के साथ दूरदराज से कावड़िये भी झारखंड शिवालय पहुंचे और भोलेनाथ के चरणों में मथा टेक जलाभिषेक किया.

ऐसे में अगर आप सावन में छोटीकाशी जयपुर आए हैं तो झारखंड महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन करना न भूलें.क्योंकि इस मंदिर में दक्षिण भारतीय शैली के एक से बढ़कर एक अद्भुत कलाकृतिया मिलेगी. जिसमें दक्षिण भारत के मंदिरों की झलक दिखेगी.

जयपुर.जिले में कृष्ण पक्ष पंचमी कुमार योग में सावन के पहले सोमवार के अवसर पर आज सुबह से ही जिले के प्राचीन शिवालयों में भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा.सहस्त्रघट, रुद्राभिषेक सहित अन्य अनुष्ठानों के लिए दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा.सुबह से ही शिवालयों में ॐ नमः शिवाय गूंज उठा.ऐसे में सावन के पहले सोमवार के दिन हम आपको एक ऐसे मंदिर के दर्शन करवाते है जो बना तो जयपुर में है,लेकिन उसकी एक-एक झलक झारखंड के मंदिरों जैसी है.

दक्षिण भारतीय शैली में बने झारखंड महादेव मंदिर में सावन सोमवार के मौके पर उमड़े शिवभक्त

जी हां,नाम से आश्चर्य में मत पड़िए,क्योंकि ऐसा अक्सर होता है जब लोगों को लगता है कि किसी शिवालय का नाम झारखंड कैसे हो सकता है.दरअसल,छोटीकाशी जयपुर के वैशाली के पास जिस गांव में यह मंदिर स्थित है उसका नाम प्रेमपुरा है.एक समय में यहां बड़ी संख्या में झाड़ियां ही झाड़ियां हुआ करती थी.तो झाड़ियों में से झाड़ और खंड अथार्त क्षेत्र को मिलाकर इस मंदिर का नाम झारखंड महादेव मंदिर पड़ा.

भगवान शिव को समर्पित यह एक अनोखा मंदिर है क्योंकि इस मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया है.दरअसल, वर्ष 1918 तक ये मंदिर बहुत छोटा हुआ करता था.यहां शिवलिंग की सुरक्षा के लिए मात्र एक कमरा बना हुआ था.लेकिन आज से करीब 18 साल पहले जब इसका जीर्णोद्धार किया गया,तो उसका निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया. हालांकि,इस मंदिर का केवल मुख्य द्वार ही दक्षिण भारतीय शैली जैसा है.अंदर गर्भ गृह उत्तर भारतीय मंदिरों से प्रेरित है,लेकिन कुछ अलग है.क्योंकि गर्भ गृह निर्माण के समय शिवालय में स्वत उग आए और पेड़ भी नहीं काटे गए.बल्कि पेड़ के साथ ही मंदिर का निर्माण कर दिया गया.

ऐसे में सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां शिवलिंग का अभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की कतारें लगती है.इस बार भी सावन के पहले सोमवार के दिन सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा.क्या बच्चे, क्या महिला, क्या पुरुष हर कोई भोले भंडारी को रिझाने में लगा रहा.श्रद्धालु पूरे भक्तिमय माहौल में भगवान शिव का जलाभिषेक कर उनसे मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद लेते दिखे.साथ ही बम -बम भोले के जयकारों के साथ दूरदराज से कावड़िये भी झारखंड शिवालय पहुंचे और भोलेनाथ के चरणों में मथा टेक जलाभिषेक किया.

ऐसे में अगर आप सावन में छोटीकाशी जयपुर आए हैं तो झारखंड महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन करना न भूलें.क्योंकि इस मंदिर में दक्षिण भारतीय शैली के एक से बढ़कर एक अद्भुत कलाकृतिया मिलेगी. जिसमें दक्षिण भारत के मंदिरों की झलक दिखेगी.

Intro:श्रावण प्रतिपदा में सूर्य प्रधान उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में 17 जुलाई से सावन की शुरुआत हुई.. और आज सावन का पहला सोमवार है. सुबह से ही शिवालयों में हर-हर महादेव का जयघोष सुनाई देने लगा. श्रद्धालुओं ने हर हर महादेव के घोष के साथ भोलेनाथ को जलार्पण किया. ऐसे में छोटी काशी के झारखंड महादेव मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. क्या है इस मंदिर की विशेषताएं और क्यों इस मंदिर का नाम झारखंड महादेव रखा गया. इसके लिए देखिए ईटीवी भारत की ये विशेष रिपोर्ट...


Body:एंकर : कृष्ण पक्ष पंचमी कुमार योग में सावन के पहले सोमवार पर अलसुबह से जयपुर के प्राचीन शिवालयों में भक्तों का सैलाब उमड़ा. सहस्त्रघट, रुद्राभिषेक सहित अन्य अनुष्ठानों के लिए दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. भोर से ही शिवालयों में ॐ नमः शिवाय गूंज उठा. ऐसे में सावन के पहले सोमवार को हम आपको एक ऐसे मंदिर के दर्शन करवाते है. जो बना तो जयपुर में है लेकिन उसकी एक एक झलक झारखंड के मंदिरों जैसी है.

जी हां, नाम से आश्चर्य में मत पड़िए, क्योंकि ऐसा अक्सर होता है जब लोगों को लगता है कि किसी शिवालय का नाम झारखंड कैसे हो सकता है. दरअसल छोटीकाशी जयपुर के वैशाली के पास जिस गांव में यह मंदिर स्थित है उसका नाम प्रेमपुरा है. एक समय में यहां बड़ी संख्या में झाड़ियां ही झाड़ियां हुआ करती थी. तो झाड़ियों में से झाड़ और खंड अथार्त क्षेत्र को मिलाकर इस मंदिर का नाम झारखंड महादेव मंदिर पड़ा.

भगवान को शिव को समर्पित अपनी तरह का यह एक अनोखा मंदिर है. क्योंकि इस मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया है. दरअसल वर्ष 1918 तक ये मंदिर बहुत छोटा हुआ करता था. यहां शिवलिंग की सुरक्षा के लिए मात्र एक के कमरा बना हुआ था. फिर आज से करीब 18 साल पहले जब इसका जीर्णोद्धार किया गया, तो उसका निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया. हालांकि इस मंदिर का केवल मुख्य द्वार दक्षिण भारतीय शैली जैसा है अंदर गर्भ गृह उत्तर भारतीय मंदिरों से प्रेरित है, लेकिन कुछ अलग है. क्योंकि गर्भ गृह निर्माण के समय शिवालय में स्वत उग आए पेड़ को काटा नहीं गया बल्कि पेड़ के साथ ही मंदिर का निर्माण कर दिया गया.

ऐसे में सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां शिवलिंग का अभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की कतारें लगती है. इस बार भी सावन के पहले सोमवार के दिन अलसुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा. क्या बच्चे, क्या महिला, क्या पुरुष हर कोई भोले भंडारी को रिझाने में लगा रहा. श्रद्धालु पूरे भक्तिमय माहौल में भगवान शिव के जलाभिषेक कर उनसे मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद लेते दिखे. साथ ही बम बम भोले के जयकारों के साथ दूरदराज से कावड़िये भी झारखंड शिवालय पहुंचे और भोलेनाथ के चरणों में मथा टेक जलाभिषेक किया.

ऐसे में अगर आप सावन में छोटीकाशी जयपुर आए हैं तो झारखंड महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन करना न भूलें. क्योंकि इस मंदिर में दक्षिण भारतीय शैली के एक से बढ़कर एक अद्भुत कलाकृतिया मिलेगी. जिसमें दक्षिण भारत के मंदिरों की झलक दिखेगी.

वॉकथ्रु- विशाल शर्मा, संवाददाता, जयपुर


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