जयपुर. चुनावी वर्ष में चिकित्सकों के बाद अब डॉक्टर्स के राइट हैंड माने जाने वाले नर्सेज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है. नर्सेज ने शनिवार को एसएमएस अस्पताल में वेतनमान विसंगति दूर करने, नई भर्तियां करने और पदोन्नति जैसी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए विरोध दर्ज कराया. साथ ही 7 दिन का अल्टीमेटम देते हुए मांगें नहीं माने जाने पर 10 जुलाई को राज्यव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी दी.
एक ही पद से सेवानिवृत हो रहे नर्स : राजस्थान नर्सेज संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर नर्सिंग ऑफिसर, ट्यूटर, एएनएम, एलएचवी और नर्सिंग छात्रों ने 2 घंटे का कार्य बहिष्कार करते हुए 11 मांगों पर राज्य सरकार का ध्यानाकर्षण कराया. संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक प्यारेलाल चौधरी ने बताया कि नर्सेज को पहली नियुक्ति पर 7 हजार 100 रुपए प्रतिमाह और 27 वर्ष की सेवा तक 22 हजार 700 रुपए प्रतिमाह मिलता है. बजट घोषणा 2023 के अनुसार राज्य स्तर पर ही 9, 18, 27 वर्ष पर समकक्ष वेतनमान धारी संवर्गों से दो से तीन गुना कम वेतनमान होने से नर्सेज कर्मी आक्रोशित हैं. अपेक्षित पदोन्नति पद नहीं होने से नर्सेज एक ही पद से सेवानिवृत हो रहे हैं.
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साढ़े 4 साल में निराकरण नहीं : उन्होंने बताया कि नर्सिंग प्रशिक्षण संस्थानों के वाइस प्रिंसिपल, प्रिंसिपल पद और एएनएम एलएचवी वर्ग का भी तृतीय पदोन्नति पद ही सृजित नहीं हैं. साथ ही अन्य कैडर के समान उच्च शिक्षा भत्ता, ग्रामीण भत्ता शुरू करने, विशेष वेतन भत्ता, वर्दी भत्ता, नर्सिंग भत्ता, हार्ड ड्यूटी भत्ता, नर्सिंग छात्रों के स्टाइपेंड में वृद्धि, संविदा नर्सिंग का नियमितीकरण, प्लेसमेंट भर्ती पर रोक, आदि मांगे राज्य सरकार के स्तर पर लंबित हैं, जिनका बीते साढ़े 4 साल में कोई निराकरण नहीं किया जा सका है.
10 जुलाई को आंदोलन : प्यारेलाल चौधरी ने बताया कि मजबूरन नर्सिंग संगठनों की ओर से गठित राज्य स्तरीय संयुक्त नर्सेज संघर्ष समिति के आह्वान पर राज्यव्यापी आंदोलन के पहले चरण में एसएमएस अस्पताल से ध्यानाकर्षण प्रदर्शन शुरू किया गया है. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने 7 दिन में अपेक्षित कार्रवाई नहीं की तो 10 जुलाई को जयपुर में राज्य भर के नर्सेज नेता एकत्रित होकर प्रदेश भर में आंदोलन शुरू करेंगे, जिसकी जवाबदेही राज्य सरकार की होगी.