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विधायकों को सवालों का जवाब नहीं मिलने पर अधिकारियों पर हो सकती है कार्रवाई

विधानसभा में विधायकों के सवालों का जवाब देने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर अब कार्रवाई हो सकती है. मंत्री रमेश मीणा ने नोटिस जारी कर ऐसे अधिकारियों को सचेत किया है. विपक्ष में रहने के दौरान विधायक रमेश मीणा के विधानसभा में पांचवें से 11वीं सत्र के बीच हुए 417 में से 48 सवालों के जवाब नहीं मिल पाए थे. वहीं गोविंद डोटासरा के 390 में से 54 सवाल के जवाब नहीं दिए गए.

रमेश मीणा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री
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Published : Jun 24, 2019, 5:30 PM IST

जयपुर. विधानसभा में अधिकारियों की पुरानी आदत सवालों का जवाब नहीं देना है. वहीं इससे पीड़ित रहे मंत्री रमेश मीणा ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. वहीं शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने भी अधिकारियों को नोट शीट थमाई है.

राजस्थान की15 वीं विधानसभा का दूसरा सत्र 27 जून से शुरू होने जा रहा है, लेकिन विधानसभा के सत्र में अगर विधायकों की कोई सबसे बड़ी शिकायत होती है तो वह है उनके सवालों का जवाब सही समय पर नहीं मिलता. जबकि नियम है कि तारांकित और ए तारांकित प्रश्नों के जवाब सत्र खत्म होने के 21 दिन के अंदर विधायकों को मिल जाना चाहिए, लेकिन हालात यह है कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते विधायक अपने इस अधिकार से वंचित हो जाते हैं. अब यह आदत अधिकारियों पर भारी पढ़ने वाली है. इसको लेकर प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों ने आपत्ति व्यक्त की है. ये मंत्री खुद पिछली विधानसभा में विपक्ष में रहकर सर्वाधिक सवाल करते थे, लेकिन उन्हें सभी प्रश्नों को जवाब नहीं मिल पाते थे.

ऐसे में दोनों विधायक जब अब मंत्री बन गए हैं तो अधिकारियों को उन्होंने आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया है. यह दोनों मंत्री है खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा सवालों के जवाब नहीं मिलने को दोनों ही मंत्रियों ने गंभीर माना है. इसके चलते रमेश मीणा ने तो अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिए हैं. वहीं इस मामले पर बोलते हुए विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा है कि विधायकों को उनके सवाल सही समय पर मिलने चाहिए. इसे लेकर स्पीकर सीपी जोशी काफी गंभीर हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस बात को पसंद नहीं करते. विधायकों को उनके सवालों के जवाब समय पर नहीं मिले लेटलतीफी करने वाले अधिकारियों को चेतावनी दे दी गई है.

विपक्ष में थे तो रमेश मीणा के विधानसभा में पांचवें से 11वीं सत्र में 417 में से 48 सवालों के जवाब नहीं आए. वहीं गोविंद डोटासरा के 390 में से 54 सवाल के जवाब नहीं दिए गए. अब इन अधिकारियों के खिलाफ मंत्री बनने पर मंत्री रमेश मीणा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के 27 में से 5 सवालों का जवाब नहीं आना और शिक्षा विभाग का 94 में से 69 सवाल के जवाब नहीं देना अधिकारियों को पड़ सकता है. इसके लिए अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं.

विधायकों को सवालों का जवाब नहीं मिलने पर अधिकारियों पर हो सकती है कार्रवाई

सरकार बदलने के बाद उनकी पहली नजर उन्हीं अधिकारियों पर है जो समय पर विधायकों को उनके जवाब नहीं देते हैं. यह नाराजगी तब बढ़ गई जब इनके मंत्री बनने के बाद 15वीं विधानसभा के पहले सत्र में शिक्षा विभाग में पूछे गए 94 सवालों में से 69 सवालों के जवाब अधिकारियों ने विधायकों को तय समय पर नहीं दिए. वही मंत्री रमेश मीणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के पहले सत्र में 27 सवालों में से 5 सवालों के जवाब विधायकों को नहीं मिले. ऐसे में रमेश मीणा थे तो नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी दे दिया है और साफ हिदायत दी है कि विधायकों को उनका हक मिलना चाहिए.

दरअसल, अधिकारियों की लेटलतीफी का क्या अंजाम होता है इसका असर दसवीं विधानसभा से लेकर तेरी विधानसभा तक देखने को मिला जब 3000 सवालों को ड्रॉप मान लिया गया. क्योंकि उनके सवालों का या तो समय ज्यादा हो गया था. उनके जवाब अब किसी काम के नहीं रह गए थे. ऐसा दोबारा नहीं हो इससे बचने के लिए इन मंत्रियों ने तो आगे होकर कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन इसके लिए से चलने वाले स्पीकर सीपी जोशी का रुख सबसे महत्वपूर्ण होगा.

जयपुर. विधानसभा में अधिकारियों की पुरानी आदत सवालों का जवाब नहीं देना है. वहीं इससे पीड़ित रहे मंत्री रमेश मीणा ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. वहीं शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने भी अधिकारियों को नोट शीट थमाई है.

राजस्थान की15 वीं विधानसभा का दूसरा सत्र 27 जून से शुरू होने जा रहा है, लेकिन विधानसभा के सत्र में अगर विधायकों की कोई सबसे बड़ी शिकायत होती है तो वह है उनके सवालों का जवाब सही समय पर नहीं मिलता. जबकि नियम है कि तारांकित और ए तारांकित प्रश्नों के जवाब सत्र खत्म होने के 21 दिन के अंदर विधायकों को मिल जाना चाहिए, लेकिन हालात यह है कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते विधायक अपने इस अधिकार से वंचित हो जाते हैं. अब यह आदत अधिकारियों पर भारी पढ़ने वाली है. इसको लेकर प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों ने आपत्ति व्यक्त की है. ये मंत्री खुद पिछली विधानसभा में विपक्ष में रहकर सर्वाधिक सवाल करते थे, लेकिन उन्हें सभी प्रश्नों को जवाब नहीं मिल पाते थे.

ऐसे में दोनों विधायक जब अब मंत्री बन गए हैं तो अधिकारियों को उन्होंने आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया है. यह दोनों मंत्री है खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा सवालों के जवाब नहीं मिलने को दोनों ही मंत्रियों ने गंभीर माना है. इसके चलते रमेश मीणा ने तो अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिए हैं. वहीं इस मामले पर बोलते हुए विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा है कि विधायकों को उनके सवाल सही समय पर मिलने चाहिए. इसे लेकर स्पीकर सीपी जोशी काफी गंभीर हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस बात को पसंद नहीं करते. विधायकों को उनके सवालों के जवाब समय पर नहीं मिले लेटलतीफी करने वाले अधिकारियों को चेतावनी दे दी गई है.

विपक्ष में थे तो रमेश मीणा के विधानसभा में पांचवें से 11वीं सत्र में 417 में से 48 सवालों के जवाब नहीं आए. वहीं गोविंद डोटासरा के 390 में से 54 सवाल के जवाब नहीं दिए गए. अब इन अधिकारियों के खिलाफ मंत्री बनने पर मंत्री रमेश मीणा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के 27 में से 5 सवालों का जवाब नहीं आना और शिक्षा विभाग का 94 में से 69 सवाल के जवाब नहीं देना अधिकारियों को पड़ सकता है. इसके लिए अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं.

विधायकों को सवालों का जवाब नहीं मिलने पर अधिकारियों पर हो सकती है कार्रवाई

सरकार बदलने के बाद उनकी पहली नजर उन्हीं अधिकारियों पर है जो समय पर विधायकों को उनके जवाब नहीं देते हैं. यह नाराजगी तब बढ़ गई जब इनके मंत्री बनने के बाद 15वीं विधानसभा के पहले सत्र में शिक्षा विभाग में पूछे गए 94 सवालों में से 69 सवालों के जवाब अधिकारियों ने विधायकों को तय समय पर नहीं दिए. वही मंत्री रमेश मीणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के पहले सत्र में 27 सवालों में से 5 सवालों के जवाब विधायकों को नहीं मिले. ऐसे में रमेश मीणा थे तो नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी दे दिया है और साफ हिदायत दी है कि विधायकों को उनका हक मिलना चाहिए.

दरअसल, अधिकारियों की लेटलतीफी का क्या अंजाम होता है इसका असर दसवीं विधानसभा से लेकर तेरी विधानसभा तक देखने को मिला जब 3000 सवालों को ड्रॉप मान लिया गया. क्योंकि उनके सवालों का या तो समय ज्यादा हो गया था. उनके जवाब अब किसी काम के नहीं रह गए थे. ऐसा दोबारा नहीं हो इससे बचने के लिए इन मंत्रियों ने तो आगे होकर कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन इसके लिए से चलने वाले स्पीकर सीपी जोशी का रुख सबसे महत्वपूर्ण होगा.

Intro:विधानसभा में अधिकारियों की पुरानी आदत सवालों का जवाब नहीं देना लेकिन आदत के पीड़ित रहे पूर्व में विधायक और अब मंत्री रमेश मीणा ने दिया सवाल के जवाब नहीं देने वाले अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस तो वही शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा नेवी अधिकारियों नहीं देने पर चलाई नोट शीट के सचेतक नहीं जोशी बोले स्पीकर और मुख्यमंत्री दोनों इस बात पर गंभीर


Body:राजस्थान की15 वी विधानसभा का दूसरा सत्र 27 जून से शुरू होने जा रहा है लेकिन विधानसभा के सत्र में अगर विधायकों की कोई सबसे बड़ी शिकायत होती है तो वह है उनके सवालों का जवाब सही समय पर नहीं मिलना जबकि नियम बना हुआ है कि तारांकित और ए तारांकित प्रश्नों के जवाब सत्र खत्म होने के 21 दिन के अंदर विधायकों को मिल जाना चाहिए लेकिन हालात यह है कि अधिकारियों की लेटलतीफी के चलते विधायक अपने हक से महरूम रह जाते हैं लेकिन अब यह आदत अधिकारियों पर भारी पढ़ने जा रही है इसे लेकर प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों ने तो गहरी नाराजगी दर्ज करते हुए कार्रवाई भी शुरू कर दी है और वह दो मंत्री भी ऐसे हैं जो खुद पिछली विधानसभा में विपक्ष में होते हुए सर्वाधिक सवाल लगाते थे उनको सब सवालों के जवाब नहीं मिलते थे ऐसे में दोनों विधायक जब अब मंत्री बन गए हैं तो अधिकारियों को उन्होंने आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया है यह दोनों मंत्री है खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा सवालों के जवाब नहीं मिलने को दोनों ही मंत्रियों ने गंभीर माना है और इसके चलते रमेश मीणा ने तो अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिए हैं कि सवालों के जवाब समय पर गायकों को क्यों नहीं मिले शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने भी एक नोट सीट चलाकर अधिकारियों को सख्त चेतावनी दे दी है कि वह प्रश्नों का जवाब समय पर भी दे और सही भाषा में भी दे वहीं इस मामले पर बोलते हुए विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि विधायकों को उनके सवाल सही समय पर मिलने चाहिए और इसे लेकर स्पीकर सीपी जोशी काफी गंभीर हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस बात को पसंद नहीं करते कि विधायकों को उनके सवालों के जवाब समय पर नहीं मिले लेटलतीफी करने वाले अधिकारियों को चेतावनी दे दी गई है
विपक्ष में थे तो रमेश मीणा के चौधरी विधानसभा में पांचवे से 11वीं सत्र में 417 में से 48 सवालों के जवाब नहीं आए तो गोविंद डोटासरा के 390 में से 54 सवाल के जवाब नहीं दिए अधिकारियों ने अब मंत्री बनने पर मंत्री रमेश मीणा केप खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के 27 में से 5 सवालों का जवाब नहीं आना और शिक्षा विभाग का 94 में से 69 सवाल के जवाब नहीं देना अधिकारियों को पड़ा भारी मिले नोटिस चली नोट शीट
दरअसल खाद्य आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा हो या फिर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा विपक्ष में रहते हुए इन्होंने सरकार से विभिन्न विभागों के सवाल पूछे थे बीती सरकार में विपक्ष में उपनेता प्रतिपक्ष रमेश मीणा की बात करें तो उन्होंने चौधरी विधानसभा के पांचवे सत्र से लेकर 11वीं सत्र तक 417 सवाल पूछे थे उनमें से 48 सवालों के जवाब सरकार बदलने के बाद भी उन्हें नहीं मिले तो वही गोविंद डोटासरा जो बीती सरकार के समय विपक्ष के सचेतक रहते हुए उन्होंने चौधरी विधानसभा के पांचवे सत्र से 11वीं सत्र तक कुल 390 सवाल पूछे थे जिनमें से 54 सवालों के जवाब तो अब तक नहीं मिले हैं लेकिन अब यह दोनों विधायक मंत्री बन चुके हैं और सरकार बदलने के बाद उनकी पहली नजर उन्हीं अधिकारियों पर है जो समय पर विधायकों को उनके जवाब नहीं देते हैं और यह नाराजगी तब बढ़ गई जब इनके मंत्री बनने के बाद 15वीं विधानसभा के पहले सत्र में शिक्षा विभाग में पूछे गए 94 सवालों में से 69 सवालों के जवाब अधिकारियों ने विधायकों को तय समय पर नहीं दिए वही मंत्री रमेश मीणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के पहले सत्र में 27 सवालों में से 5 सवालों के जवाब विधायकों को नहीं मिले ऐसे में रमेश मीणा थे तो नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी दे दिया है और साफ हिदायत दी है कि विधायकों को उनका हक मिलना चाहिए


Conclusion:दरअसल अधिकारियों की लेटलतीफी का क्या अंजाम होता है इसका असर दसवीं विधानसभा से लेकर तेरी विधानसभा तक देखने को मिला जब 3000 सवालों को ड्रॉप मान लिया गया क्योंकि उनके सवालों का या तो समय ज्यादा हो गया था उनके जवाब अब किसी काम के नहीं रह गए थे ऐसा दोबारा नहीं हो इससे बचने के लिए इन मंत्रियों ने तो आगे होकर कार्रवाई शुरू कर दी है लेकिन इसके लिए से चलने वाले स्पीकर सीपी जोशी का रुख सबसे महत्वपूर्ण होगा
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