जयपुर. विधानसभा में अधिकारियों की पुरानी आदत सवालों का जवाब नहीं देना है. वहीं इससे पीड़ित रहे मंत्री रमेश मीणा ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. वहीं शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने भी अधिकारियों को नोट शीट थमाई है.
राजस्थान की15 वीं विधानसभा का दूसरा सत्र 27 जून से शुरू होने जा रहा है, लेकिन विधानसभा के सत्र में अगर विधायकों की कोई सबसे बड़ी शिकायत होती है तो वह है उनके सवालों का जवाब सही समय पर नहीं मिलता. जबकि नियम है कि तारांकित और ए तारांकित प्रश्नों के जवाब सत्र खत्म होने के 21 दिन के अंदर विधायकों को मिल जाना चाहिए, लेकिन हालात यह है कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते विधायक अपने इस अधिकार से वंचित हो जाते हैं. अब यह आदत अधिकारियों पर भारी पढ़ने वाली है. इसको लेकर प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों ने आपत्ति व्यक्त की है. ये मंत्री खुद पिछली विधानसभा में विपक्ष में रहकर सर्वाधिक सवाल करते थे, लेकिन उन्हें सभी प्रश्नों को जवाब नहीं मिल पाते थे.
ऐसे में दोनों विधायक जब अब मंत्री बन गए हैं तो अधिकारियों को उन्होंने आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया है. यह दोनों मंत्री है खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा सवालों के जवाब नहीं मिलने को दोनों ही मंत्रियों ने गंभीर माना है. इसके चलते रमेश मीणा ने तो अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिए हैं. वहीं इस मामले पर बोलते हुए विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा है कि विधायकों को उनके सवाल सही समय पर मिलने चाहिए. इसे लेकर स्पीकर सीपी जोशी काफी गंभीर हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस बात को पसंद नहीं करते. विधायकों को उनके सवालों के जवाब समय पर नहीं मिले लेटलतीफी करने वाले अधिकारियों को चेतावनी दे दी गई है.
विपक्ष में थे तो रमेश मीणा के विधानसभा में पांचवें से 11वीं सत्र में 417 में से 48 सवालों के जवाब नहीं आए. वहीं गोविंद डोटासरा के 390 में से 54 सवाल के जवाब नहीं दिए गए. अब इन अधिकारियों के खिलाफ मंत्री बनने पर मंत्री रमेश मीणा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के 27 में से 5 सवालों का जवाब नहीं आना और शिक्षा विभाग का 94 में से 69 सवाल के जवाब नहीं देना अधिकारियों को पड़ सकता है. इसके लिए अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं.
सरकार बदलने के बाद उनकी पहली नजर उन्हीं अधिकारियों पर है जो समय पर विधायकों को उनके जवाब नहीं देते हैं. यह नाराजगी तब बढ़ गई जब इनके मंत्री बनने के बाद 15वीं विधानसभा के पहले सत्र में शिक्षा विभाग में पूछे गए 94 सवालों में से 69 सवालों के जवाब अधिकारियों ने विधायकों को तय समय पर नहीं दिए. वही मंत्री रमेश मीणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के पहले सत्र में 27 सवालों में से 5 सवालों के जवाब विधायकों को नहीं मिले. ऐसे में रमेश मीणा थे तो नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी दे दिया है और साफ हिदायत दी है कि विधायकों को उनका हक मिलना चाहिए.
दरअसल, अधिकारियों की लेटलतीफी का क्या अंजाम होता है इसका असर दसवीं विधानसभा से लेकर तेरी विधानसभा तक देखने को मिला जब 3000 सवालों को ड्रॉप मान लिया गया. क्योंकि उनके सवालों का या तो समय ज्यादा हो गया था. उनके जवाब अब किसी काम के नहीं रह गए थे. ऐसा दोबारा नहीं हो इससे बचने के लिए इन मंत्रियों ने तो आगे होकर कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन इसके लिए से चलने वाले स्पीकर सीपी जोशी का रुख सबसे महत्वपूर्ण होगा.