जयपुर. मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान एमएनआईटी में गुरुवार को 'जलवायु परिवर्तन के खिलाफ युद्ध' पर व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया. नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रोफेसर जीन तिरोल ने व्याख्यान दिया. उन्होंने जलवायु परिवर्तन को एक टाइम बम के रूप में मानते हुए कहा (Jean Tirole warning on climate change) कि यदि इस समस्या का निवारण जल्दी नहीं होता है, तो इसके खतरनाक परिणाम होगें.
प्रो. तिरोल ने संसाधनों की कमी और जलवायु को बनाए रखने के लिए योगदान की पुनरुत्थान आवश्यकता पर विस्तार से बात की. उन्होंने वर्तमान दुर्दशा के लिए लालच, औद्योगीकरण और निरंतर शोषण को जिम्मेदार ठहराया. व्याख्यान का आयोजन इंडो-फ्रेंच सेंटर फॉर द प्रमोशन ऑफ एडवांस्ड रिसर्च (सीईएफआईपीआरए) के सहयोग से किया गया. जो दोनों देशों के बीच गुणवत्तापूर्ण सूचना आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का प्रयास करता है.
उन्होंने आसन्न भयावह अंधकार से बचने के लिए हर एक से योगदान का आह्वान किया. उन्होंने जलवायु परिवर्तन की राजनीतिक अर्थव्यवस्था और CO2 उत्सर्जन को स्थायी रूप से कम करने के बारे में भ्ज्ञी चर्चा की. विश्व स्तर पर समन्वित उपायों की आवश्यकता की महत्वता बताई. उन्होंने उन ठोस उपायों पर चर्चा की जो व्यवहार्य, टिकाऊ और वैश्विक स्तर पर सामाजिक रूप से स्वीकार्य हैं. प्रो. जीन तिरोल ने अपने व्याख्यान में संस्थानों, नीतियों और विनियमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग की महत्वपूर्ण आवश्यकता बताई.
प्रो. तिरोल ने बाजार की शक्ति और विनियमों के व्यापक विश्लेषण के लिए वर्ष 2014 में आर्थिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीता. उन्हें कई पुरस्कार मिले चुके हैं. वे एमआईटी के साथ विशिष्ट विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में जुड़े हुए हैं. वह जे जे लाफोंट-टूलूस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स फाउंडेशन (टीएसई) के मानद अध्यक्ष भी हैं. उनके प्रमुख शिक्षाविदों, आर्थिक विज्ञान में नोबेल मेमोरियल पुरस्कार जीतने के अलावा, यूरोपीय आर्थिक संघ के यर्जो जानसन पुरस्कार, 2007 में सीएनआरएस का स्वर्ण पदक, अर्थशास्त्र, वित्त और प्रबंधन में बीबीवीए फ्रंटियर्स ऑफ नॉलेज अवार्ड शामिल हैं. उन्होंने 12 पुस्तकें और 200 से अधिक लेख लिखे हैं. उनके डिजाइन ढाचों का प्रयोग वित से लेकर दूरसंचार तक अनेक उद्योगो में किया जाता है.
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एमएनआईटी के निदेशक प्रो. एनपी पाढ़ी ने युवा पीढ़ी की ओर से गहन समझ के लिए इस तरह के अकादमिक विचार-विमर्श और चर्चाओं को जारी रखने पर जोर देते हुए स्वागत भाषण दिया. मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने के महत्व पर वैश्विक सहमति बढ़ी है और भारत सरकार ने इस दिशा में गहरी रुचि दिखाई है. कार्यक्रम में सीईएफआईपीआरए के निदेशक प्रोफेसर नितिन सेठ, मुख्य सचिव उषा शर्मा भी मौजूद रहीं.