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Nityananda Trayodashi 2023 : श्रीकृष्ण बलराम मंदिर में मनाया गया नित्यानंद त्रयोदशी महोत्सव

छोटी काशी के श्रीकृष्ण बलराम मंदिर में शुक्रवार को श्री नित्यानंद त्रयोदशी मनाई गई. श्री नित्यानंद त्रयोदशी श्री नित्यानंद प्रभु का प्राकट्य दिवस है. मंदिर में भगवान को 108 भोग अर्पित किए गए और वैदिक मंत्रों के साथ के श्री निताई गौरांग का महाभिषेक किया गया.

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Published : Feb 3, 2023, 10:15 PM IST

Nityananda Trayodashi 2023
श्रीकृष्ण बलराम मंदिर में मनाया गया नित्यानंद त्रयोदशी महोत्सव

जयपुर. राजधानी जयपुर में शुक्रवार को श्रीकृष्ण बलराम मंदिर में नित्यानंद त्रयोदशी महोत्सव मनाया गया. इस मौके पर श्री गौर निताई के उत्सव विग्रह को पालकी से मंदिर के सुधर्मा हॉल लाया गया, जहां भगवान का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और मीठा पानी), पंचगव्य, विभिन्न प्रकार के फलों के रस, औषधियों (जड़ी-बूटियों) के साथ मिश्रित जल और नारियल पानी से अभिषेक कराया गया. इसके बाद भगवान की महाआरती की गई. ब्रह्म संहिता की प्रार्थना के साथ श्री गौर निताई को 108 कलशों के पवित्र जल से अभिषेक कराया गया और पुष्प वर्षा की गई. मंदिर में ठाकुर जी को विशेष प्रकार के 108 भोग अर्पित किए गए.

मंदिर के अध्यक्ष अमितासना दास ने बताया कि श्री नित्यानंद प्रभु बीरभूम (पश्चिम बंगाल) जिले के एकचक्र गांव में प्रकट हुए. उनका जन्म 1474 ईस्वी में माघ (माघ शुक्ल त्रयोदशी) के शुक्ल पक्ष के तेरहवें दिन पद्मावती और हढाई पंडित के पुत्र के रूप में हुआ था. उन्होंने बताया कि 'नित्यानंद' का अर्थ है चिरस्थायी आनंद. भगवान श्री कृष्ण नवदीप (पश्चिम बंगाल) में श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में संकीर्तन आंदोलन (भगवान के पवित्र नाम का सामूहिक जप, इस युग के लिए युग-धर्म) की स्थापना के लिए प्रकट हुए.

पढ़ें : Love Rashifal : रोमांटिक होगी लव लाइफ, गिफ्ट्स और सरप्राइज डेट की प्लानिंग से

भगवान को उनके उद्देश्य में मदद करने के लिए भगवान बलराम नित्यानंद प्रभु के रूप में प्रकट हुए. उन्होंने पूरे बंगाल में भगवान के पवित्र नाम का प्रचार-प्रसार करके श्री चैतन्य महाप्रभु की सहायता की. समारोह में भगवान का हरीनाम संकीर्तन के साथ भव्य पालकी निकाली गई साथ ही महाआरती और महा संकीर्तन का आयोजन भी किया गया. आखिर में मंदिर में आए सभी भक्तों को प्रसादी वितरित की गई.

जयपुर. राजधानी जयपुर में शुक्रवार को श्रीकृष्ण बलराम मंदिर में नित्यानंद त्रयोदशी महोत्सव मनाया गया. इस मौके पर श्री गौर निताई के उत्सव विग्रह को पालकी से मंदिर के सुधर्मा हॉल लाया गया, जहां भगवान का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और मीठा पानी), पंचगव्य, विभिन्न प्रकार के फलों के रस, औषधियों (जड़ी-बूटियों) के साथ मिश्रित जल और नारियल पानी से अभिषेक कराया गया. इसके बाद भगवान की महाआरती की गई. ब्रह्म संहिता की प्रार्थना के साथ श्री गौर निताई को 108 कलशों के पवित्र जल से अभिषेक कराया गया और पुष्प वर्षा की गई. मंदिर में ठाकुर जी को विशेष प्रकार के 108 भोग अर्पित किए गए.

मंदिर के अध्यक्ष अमितासना दास ने बताया कि श्री नित्यानंद प्रभु बीरभूम (पश्चिम बंगाल) जिले के एकचक्र गांव में प्रकट हुए. उनका जन्म 1474 ईस्वी में माघ (माघ शुक्ल त्रयोदशी) के शुक्ल पक्ष के तेरहवें दिन पद्मावती और हढाई पंडित के पुत्र के रूप में हुआ था. उन्होंने बताया कि 'नित्यानंद' का अर्थ है चिरस्थायी आनंद. भगवान श्री कृष्ण नवदीप (पश्चिम बंगाल) में श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में संकीर्तन आंदोलन (भगवान के पवित्र नाम का सामूहिक जप, इस युग के लिए युग-धर्म) की स्थापना के लिए प्रकट हुए.

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भगवान को उनके उद्देश्य में मदद करने के लिए भगवान बलराम नित्यानंद प्रभु के रूप में प्रकट हुए. उन्होंने पूरे बंगाल में भगवान के पवित्र नाम का प्रचार-प्रसार करके श्री चैतन्य महाप्रभु की सहायता की. समारोह में भगवान का हरीनाम संकीर्तन के साथ भव्य पालकी निकाली गई साथ ही महाआरती और महा संकीर्तन का आयोजन भी किया गया. आखिर में मंदिर में आए सभी भक्तों को प्रसादी वितरित की गई.

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