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हड़ताली डॉक्टरों को गिरफ्तार करने के मामले पर आयोग सख्त, सरकार पर लगाया 9 लाख का हर्जाना

हड़ताली डॉक्टरों को गिरफ्तार करने के मामले पर मानव अधिकार आयोग ने सख्त रुख अपनाया है. आयोग ने डॉक्टर्स को तीन दिन तक गिरफ्तार रखने के मामले में राज्य सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई है. साथ ही  9 लाख का हर्जाना देने के आदेश दिया है. वहीं मानवाधिकार आयोग ने यह देश डॉक्टर कप्तान सिंह चौधरी के परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए.

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Published : Sep 3, 2019, 8:51 AM IST

जयपुर. साल 2017 में प्रदेश व्यापी डॉक्टर्स 11 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे थे. हड़ताल कर रहे डॉक्टरों को सरकार ने गिरफ्तार करवा दिया था. डॉक्टर्स इस गिरफ्तारी को राज्य मानवाधिकार आयोग ने गलत माना है. आयोग ने डॉक्टर कप्तान सिंह के परिवाद पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार की ओर से डॉक्टर्स को गिरफ्तार करना गलत था, जिन डॉक्टर्स को गिरफ्तार किया गया था, वे राजकीय सेवा में थे.

मानवाधिकार आयोग ने सरकार पर लगाया 9 लाख का हर्जाना

वहीं डॉक्टर्स को पुलिस ने हिरासत में लेते समय कोई प्रतिरोध तक नहीं किया. ऐसे डॉक्टर को रात को 11और 12 बजे गिरफ्तार करना. साथ ही गिरफ्तारी जमानत पर नहीं किए जाने हेतु असंभव शर्तों का जमानत आदेश पारित करना. साथ ही उनके कार्यों के पश्चात डॉक्टर गिरफ्तारी के आधार पर निलंबित करना राज्य सरकार की दुर्भावना का प्रमाण है.

यह भी पढ़ेंः देश का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां विराजमान है श्वेत अर्क पौधे की जड़ से बनी गणेश प्रतिमा

यह सब देखने के बाद आयोग ने तीनों डॉक्टर्स को 1 लाख प्रतिदिन अर्थात 3 लाख रुपए प्रति डॉक्टर. तीनों डॉक्टरों की मिलाकर कुल 9 लाख राज्य सरकार हर्जाना दिए जाने की अनुशंसा की है. डॉक्टर को दिलवाई जाने वाली उक्त हर्जाना राशि राज्य सरकार पर आरोपित की गई है. इस राशि का भुगतान राज्य सरकार करेगी. यह भुगतान सरकार की ओर से किए जाने वाली किसी भी विभागीय कार्रवाई पर निर्भर नहीं रहेगा. हर्जाना राशि फिलहाल मात्र मानवाधिकार हनन के कारण प्रतीकात्मक मात्र है. जो न तो डॉक्टर से मानहानि के लिए दिलाई जा रही है. न ही इन डॉक्टर्स की जो वास्तविक हानि हुई है. अगर डॉक्टर चाहे तो मानहानि के विधि अनुसार कार्रवाई करने हेतु स्वतंत्र हैं.

जयपुर. साल 2017 में प्रदेश व्यापी डॉक्टर्स 11 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे थे. हड़ताल कर रहे डॉक्टरों को सरकार ने गिरफ्तार करवा दिया था. डॉक्टर्स इस गिरफ्तारी को राज्य मानवाधिकार आयोग ने गलत माना है. आयोग ने डॉक्टर कप्तान सिंह के परिवाद पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार की ओर से डॉक्टर्स को गिरफ्तार करना गलत था, जिन डॉक्टर्स को गिरफ्तार किया गया था, वे राजकीय सेवा में थे.

मानवाधिकार आयोग ने सरकार पर लगाया 9 लाख का हर्जाना

वहीं डॉक्टर्स को पुलिस ने हिरासत में लेते समय कोई प्रतिरोध तक नहीं किया. ऐसे डॉक्टर को रात को 11और 12 बजे गिरफ्तार करना. साथ ही गिरफ्तारी जमानत पर नहीं किए जाने हेतु असंभव शर्तों का जमानत आदेश पारित करना. साथ ही उनके कार्यों के पश्चात डॉक्टर गिरफ्तारी के आधार पर निलंबित करना राज्य सरकार की दुर्भावना का प्रमाण है.

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यह सब देखने के बाद आयोग ने तीनों डॉक्टर्स को 1 लाख प्रतिदिन अर्थात 3 लाख रुपए प्रति डॉक्टर. तीनों डॉक्टरों की मिलाकर कुल 9 लाख राज्य सरकार हर्जाना दिए जाने की अनुशंसा की है. डॉक्टर को दिलवाई जाने वाली उक्त हर्जाना राशि राज्य सरकार पर आरोपित की गई है. इस राशि का भुगतान राज्य सरकार करेगी. यह भुगतान सरकार की ओर से किए जाने वाली किसी भी विभागीय कार्रवाई पर निर्भर नहीं रहेगा. हर्जाना राशि फिलहाल मात्र मानवाधिकार हनन के कारण प्रतीकात्मक मात्र है. जो न तो डॉक्टर से मानहानि के लिए दिलाई जा रही है. न ही इन डॉक्टर्स की जो वास्तविक हानि हुई है. अगर डॉक्टर चाहे तो मानहानि के विधि अनुसार कार्रवाई करने हेतु स्वतंत्र हैं.

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जयपुर

हड़ताली डॉक्टर को गिरफ्तार करने के मामले पर आयोग ने अपनाया सख्त रुख, राज्य सरकार पर लगाया 9 लाख का हर्जाना

एंकर:- हड़ताली डॉक्टरों को गिरफ्तार करने के मामले पर मानव अधिकार आयोग ने सख्त रुख अपनाया है आयोग ने डॉक्टर्स को 3 दिन तक गिरफ्तार रखने के मामले पर राज्य सरकार पर कड़ी नाराजगी जताते हुए 9 लाख का हर्जाना देने के आदेश दिए मानवाधिकार आयोग ने यह देश डॉक्टर कप्तान सिंह चौधरी के परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए।


Body:VO:- राजस्थान में 2017 में प्रदेश व्यापी डॉक्टर हड़ताल हुई थी अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे डॉक्टर को सरकार ने गिरफ्तार भी किया , डॉक्टर्स इसी गिरफ्तारी को राज्य मानव अधिकार आयोग ने गलत माना है , आयोग ने डॉक्टर कप्तान सिंह के परिवाद पर सुनवाई करते हुए कहां की सरकार द्वारा डॉक्टर्स को गिरफ्तार करना गलत था जिन डॉक्टर्स को गिरफ्तार किया गया जो राजकीय सेवा में थे , इनमें ना तो आतंकवादी अथवा दुर्दांत अपराधी होना तो दूर उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड तक नहीं पाया गया , जिन डॉक्टरस के फरार होने का कोई अंदेशा नहीं था , वो डॉक्टर अपने क्षेत्र में प्रतिष्ठित डॉक्टर थे यह आयोग में प्रस्तुत वीडियो से स्पष्ट है तथा जिन डॉक्टर्स को पुलिस द्वारा हिरासत में लेते समय कोई प्रतिरोध तक नहीं किया जाना प्रतीत होता है , ऐसे डॉक्टर को रात को 11और 12 बजे गिरफ्तार करना , गिरफ्तारी का जमानत पर नहीं किए जाने हेतु असंभव शर्तों का जमानत आदेश पारित करना और इनके कार्यों के पश्चात डॉक्टर गिरफ्तारी के आधार पर निलंबित करना राज्य सरकार की दुर्भावना का प्रमाण है , इन सब को देखने के आयोग ने तीनों डॉक्टर्स को एक ₹1 लाख प्रतिदिन अर्थात ₹3 लाख रुपये प्रति डॉक्टर , तीनों डॉक्टरों की मिलाकर कुल ₹9 लाख राज्य सरकार हर्जाना दिए जाने की अनुशंसा की जाती है , डॉक्टर को दिलवाई जाने वाली उक्त हर्जाना राशि राज्य सरकार आरोपीत की गई है , इस राशि का भुगतान राज्य सरकार करेगी यह भुगतान राज्य सरकार द्वारा किए जाने वाली किसी भी विभागीय कार्यवाही पर निर्भर नहीं रहेगा , यह हर्जाना राशि फिलहाल मात्र मानवाधिकार हनन के कारण प्रतीकात्मक मात्र है जो ना तो डॉक्टर से मानहानि के लिए दिलाई जा रही है और ना ही इन डॉक्टर्स की जो वास्तविक हानि हुई है उसकी पूर्ति के लिए हर जाना है , अगर डॉक्टर चाहे तो मानहानि के विधि अनुसार कार्रवाई करने हेतु स्वतंत्र है ।


Conclusion:VO:- मानव अधिकार आयोग ने साफ कर दिया है कि राजकीय सेवाओं में तो डॉक्टर तो के अपराधिक प्रवृत्ति के नहीं थे लेकिन पुलिस ने उनके साथ में आपराधिक प्रवृत्तियों वाला व्यवहार किया जोकि अमानवीय था।
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