जयपुर. नकल और पेपर लीक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और कर्मचारी चयन बोर्ड की यही कोशिश रहेगी कि आगे पेपर लीक न हो. साथ ही तकनीक की मदद से कुछ इनोवेटिव कदम उठाए जाएंगे ताकि पेपर लीक होने के चांस कम हो जाएं. यह कहना है आर्मी के रिटायर्ड मेजर जनरल आलोक राज का, जिन्हें अब राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की कमान सौंपी गई है.
सेकंड इनिंग शुरू कर रहे : युवाओं के उम्मीदों का गढ़ कहे जाने वाले कर्मचारी चयन बोर्ड की बागडोर अब भारतीय सेना में मेजर जनरल रहे आलोक राज संभालेंगे. इससे पहले कर्मचारी चयन बोर्ड का काम पूर्व आईएएस और पूर्व आईपीएस ने देखा और अब सेना के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है. ऐसे में क्या बोर्ड में सेना का अनुशासन देखने को मिलेगा? इस सवाल के जवाब में आलोक राज ने कहा कि ये उनका सौभाग्य है कि पहले करीब 40 साल तक सेना में सेवाएं देने के बाद अब राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड का हेड बनकर सेकंड इनिंग शुरू कर रहे हैं.
महत्वपूर्ण और जिम्मेदारी भरा काम : उन्होंने कहा कि पिछले 40 साल में काफी प्रशासनिक अनुभव भी मिले हैं. सर्विस का 80% हिस्सा प्रशासन, ट्रेनिंग, ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट, रिसोर्स मैनेजमेंट, लीडरशिप, इंटरेक्शन विद सिविलियन, डिजास्टर मैनेजमेंट से जुड़े होते हैं. इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने यहां अप्वॉइंट किया है. ये एक महत्वपूर्ण और जिम्मेदारी भरा काम है. अनुशासन सिर्फ आर्मी में नहीं बल्कि सभी जगह होता है. जो कुछ होगा वो इस ऑर्गेनाइजेशन की भलाई के लिए होगा और इसी में युवाओं का फायदा है. जहां तक बात है पेपर लीग माफिया की, तो उन पर नकेल कसने के लिए पुलिस प्रशासन और लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने वाली एजेंसियां काम कर रही हैं.
जल्द जारी होंगे रिजल्ट : सितंबर और अक्टूबर में होने वाली भर्ती परीक्षाओं को लेकर जनरल आलोक राज ने कहा कि बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ने कुछ समय पहले ही इस्तीफा दे दिया था. इस गैप और तकनीकी कारणों की वजह से कुछ परीक्षाओं में देरी हो सकती है, लेकिन अभी कुछ स्पष्ट कहा नहीं जा सकता. हालांकि कोशिश यही रहेगी कि निर्धारित तारीखों पर परीक्षा कराई जाए. बीते दिनों हुए वनरक्षक, फायरमैन और तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेंडिंग रिजल्ट को लेकर उन्होंने कहा कि परीक्षा होना एक बात है और रिजल्ट डिक्लेयर करना दूसरी बात. इसके बीच में काफी लंबा प्रोसेस है. काफी चेकिंग, रिचेकिंग, कंफर्मेशन और स्क्रूटनी होती है और इसका कोई शॉर्टकट नहीं लिया जा सकता. वो नहीं चाहते कि कोई भी रिजल्ट गलत निकले, शायद इसी वजह से यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी होती है. आचार संहिता से पहले रिजल्ट डिक्लेयर होंगे या नहीं इस बारे में अभी तुरंत कुछ नहीं कह पाएंगे.
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गलत अभ्यर्थी को न मिल जाए सफल अभ्यर्थी की सीट : कर्मचारी चयन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा के कार्यकाल में 101 परीक्षाएं आयोजित कराई गई थी. इनमें से मात्र सीएचओ भर्ती परीक्षा को लेकर सवाल उठे थे, जिसका जवाब अभ्यर्थी अभी भी तलाश रहे हैं. भर्ती परीक्षा दोबारा होगी या उसका रिजल्ट जारी किया जाएगा इस संबंध में आलोक राज ने कहा कि, इस परीक्षा में जो सवाल खड़े हुए हैं, उसकी जांच की जा रही है, तब तक कुछ भी कहना उचित नहीं होगा. ये स्पष्ट है कि बोर्ड कभी नहीं चाहेगा कि उनके अभ्यर्थी परेशान हों. वो ये कहीं नहीं चाहते कि किसी भी सफल अभ्यर्थी की सीट किसी गलत अभ्यर्थी को मिल जाए. ऐसे में इस सवाल का जवाब जांच के बाद ही दिया जा सकेगा.
आखिर में उन्होंने कहा कि कोई भी सिस्टम परफेक्ट नहीं होता. हर सिस्टम में इंप्रूवमेंट की जरूरत होती है. समय, तकनीक और आकांक्षाएं भी बदलती रहती हैं. ऐसे में सिस्टम और तकनीक को इंप्रूव करते हुए प्रक्रिया को और तेज करने का प्रयास करेंगे, ताकि एग्जाम कराने से लेकर रिजल्ट जारी करने में जो गैप होते हैं, उसे कम से कम किया जा सके.