जयपुर: ग्रेटर नगर निगम की साधारण सभा की बैठक को स्थगित किया गया है. अब ये बैठक एक महीने बाद नए कैलेंडर वर्ष में 27 जनवरी को आयोजित की जाएगी. हालांकि, ग्रेटर नगर निगम की अतिरिक्त आयुक्त सीमा कुमार की ओर से जारी संशोधित सूचना में बोर्ड बैठक को स्थगित करने का कारण स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन इसकी एक वजह मुख्यालय स्थित स्वामी विवेकानंद सभागार के अधूरे काम को बताया जा रहा है, तो वहीं दूसरी वजह एक प्रस्ताव को लेकर खड़े हुए विवाद को माना जा रहा है.
ग्रेटर नगर निगम में 26 दिसंबर को होने वाली साधारण सभा की बैठक को एक महीने के लिए स्थगित कर दिया गया है. वहीं, नेता प्रतिपक्ष राजीव चौधरी ने प्रस्ताव को लेकर महापौर और उपमहापौर में विवाद होने की बात कही है. उन्होंने बताया कि बोर्ड बैठक के प्रस्ताव सार्वजनिक होने के बाद बैठक से पहले ही मेयर और डिप्टी मेयर में विवाद शुरू हो गया था. दरअसल, प्रस्ताव संख्या 3 के बिंदु 5 में संचालन समितियों के कार्य संचालन सहित अध्यक्ष और सदस्यों के संबंध में विचार विमर्श का एजेंडा शामिल किया गया. जिस पर उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने आपत्ति जाहिर की थी.
इसके लिए उन्होंने कमिश्नर और एडिशनल कमिश्नर को नोट शीट लिखकर इस प्रस्ताव को हटाने के लिए भी लिखा था. इसके अलावा विभिन्न समितियों के अध्यक्ष सुखप्रीत बंसल, भारती लख्यानी, विनोद चौधरी, अभय पुरोहित, रामस्वरूप मीणा और जितेंद्र श्रीमाली के हस्ताक्षर वाला पत्र भी कमिश्नर को सौंपा गया. इस संबंध में उपमहापौर ने कहा था कि ये प्रस्ताव गैर कानूनी और विधि शून्य है. इसे पार्टी फर्म पर भी रखेंगे और महापौर को भी प्रस्ताव हटाने के लिए लिखा है. जबकि महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि नियमों अनुसार जो प्रस्ताव आया है, उसे रोकना विधि सम्मत नहीं होगा.
हालांकि, फिलहाल बोर्ड बैठक के स्थगित होने से इस प्रस्ताव को लेकर उठे विवाद पर कुछ समय के लिए अंकुश जरूर लगेगा, लेकिन जब तक बोर्ड बैठक के प्रस्तावों में ये प्रस्ताव बना रहता है तब तक विवाद भी बरकरार रहेगा. फायर समिति के अध्यक्ष पारस जैन ने बताया कि स्वामी विवेकानंद सभागार में रिनोवेशन चल रहा है, जिसका काम अभी अधूरा है. बोर्ड बैठक ग्रेटर निगम मुख्यालय स्थित स्वामी विवेकानंद सभागार में होना प्रस्तावित है, लेकिन फिलहाल सभागार में रिनोवेशन का काम चल रहा है. ऐसे में यही माना जा रहा है कि इस वजह से बोर्ड बैठक को एक महीने के लिए स्थगित किया गया है, लेकिन राजनीति के जानकार मानते हैं कि बीजेपी बोर्ड ही दो धड़ों में ना बंट जाए. इस वजह से बैठक से ठीक 2 दिन पहले स्थगन आदेश जारी किए गए हैं.