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मरीजों के लिए जो सुविधाएं SMS मेडिकल कॉलेज में है...अब जयपुर के इन दो अस्पतालों में भी मिलेगी - jaipur setalite hospital

SMS मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए अस्पतालों में उन सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा, जो फिलहाल एसएमएस हॉस्पिटल में मिल रही हैं.

sms मेडिकल कॉलेज और प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी
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Published : Apr 9, 2019, 5:05 PM IST

जयपुर. राजधानी स्थित जिला और सेटेलाइट अस्पताल, SMS मेडिकल कॉलेज से जुडे़ हुए हैं. इन अस्पतालों को विकसित करने की तैयारी कॉलेज प्रशासन ने कर ली है.

SMS मेडिकल कॉलेज की नई पहल

बता दें कि जिला और सेटेलाइट अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध ना होने के चलते मरीजों को मजबूरन SMS अस्पताल की तरफ रुख करना पड़ता है. फिलहाल SMS की बात करें तो मरीजों के लिए यह छोटा पड़ने लगा है, जिसको देखते हुए अब कॉलेज प्रशासन ने तय किया है की जो सुविधाएं एस एम एस हॉस्पिटल में मिल रही हैं. उनको सेटेलाइट और जिला अस्पतालों तक भी पहुंचाया जाएगा. ताकि मरीजों को उन्हीं के इलाकों में स्थित जिला और सेटेलाइट अस्पताल में इलाज मिल सके.

एक आंकड़े की बात करें तो एसएमएस अस्पताल की ओपीडी दिल्ली एम्स को भी पीछे छोड़ चुकी है. ऐसे में जब तक अन्य सरकारी अस्पताल विकसित नहीं होंगे. तब तक एसएमएस पर भार कम नहीं हो सकता.

एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि अस्पताल मेंस्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी नहीं है. लेकिन उन पर भार बहुत ज्यादा है. ऐसे में मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता, जिसके तहत अन्य ऐसे अस्पताल जो एसएमएस मेडिकल कॉलेज से अटैच हैं उनको विकसित करना उनका पहला लक्ष्य है.

जयपुर. राजधानी स्थित जिला और सेटेलाइट अस्पताल, SMS मेडिकल कॉलेज से जुडे़ हुए हैं. इन अस्पतालों को विकसित करने की तैयारी कॉलेज प्रशासन ने कर ली है.

SMS मेडिकल कॉलेज की नई पहल

बता दें कि जिला और सेटेलाइट अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध ना होने के चलते मरीजों को मजबूरन SMS अस्पताल की तरफ रुख करना पड़ता है. फिलहाल SMS की बात करें तो मरीजों के लिए यह छोटा पड़ने लगा है, जिसको देखते हुए अब कॉलेज प्रशासन ने तय किया है की जो सुविधाएं एस एम एस हॉस्पिटल में मिल रही हैं. उनको सेटेलाइट और जिला अस्पतालों तक भी पहुंचाया जाएगा. ताकि मरीजों को उन्हीं के इलाकों में स्थित जिला और सेटेलाइट अस्पताल में इलाज मिल सके.

एक आंकड़े की बात करें तो एसएमएस अस्पताल की ओपीडी दिल्ली एम्स को भी पीछे छोड़ चुकी है. ऐसे में जब तक अन्य सरकारी अस्पताल विकसित नहीं होंगे. तब तक एसएमएस पर भार कम नहीं हो सकता.

एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि अस्पताल मेंस्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी नहीं है. लेकिन उन पर भार बहुत ज्यादा है. ऐसे में मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता, जिसके तहत अन्य ऐसे अस्पताल जो एसएमएस मेडिकल कॉलेज से अटैच हैं उनको विकसित करना उनका पहला लक्ष्य है.

Intro:सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है इसके लिए अस्पतालों में उन सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा जो सुविधाएं फिलहाल एसएमएस हॉस्पिटल में मिल रही है


Body:जयपुर में जिला और सेटेलाइट अस्पताल एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े हुए हैं और अब इन अस्पतालों को विकसित करने की तैयारी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कर ली है ।दरअसल जिला और सेटेलाइट अस्पतालों में तमाम सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के चलते मरीजों को मजबूरन एस एम एस हॉस्पिटल की तरफ रुख करना पड़ रहा है और फिलहाल एस एम एस अस्पताल की बात करें तो मरीजों के लिए यह छोटा पड़ने लगा है। जिसको देखते हुए अब कॉलेज प्रशासन ने तय किया है कि जो विशेषज्ञ सुविधाएं एस एम एस हॉस्पिटल में मिल रही है उनको सेटेलाइट और जिला अस्पतालों तक भी पहुंचाया जाएगा ताकि मरीजों को उन्हीं के इलाकों में स्थित इन जिला और सेटेलाइट अस्पतालों में इलाज मिल सके। एक आंकड़े की बात करें तो एस एम एस हॉस्पिटल की ओपीडी दिल्ली एम्स को भी पीछे छोड़ चुकी है तो ऐसे में जब तक अन्य सरकारी अस्पताल विकसित नहीं होंगे तब तक एसएमएस पर भार कम नहीं हो सकता..। एस एम एस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ सुधीर भंडारी का कहना है कि एस एम एस हॉस्पिटल में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी नहीं है लेकिन हम पर भार बहुत ज्यादा है तो ऐसे में मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता जिसके तहत अन्य ऐसे अस्पताल जो एसएमएस मेडिकल कॉलेज से अटैच है उन को विकसित करना हमारा पहला लक्ष्य है

बाईट-डॉ सुधीर भंडारी, प्रिंसिपल एस एम एस मेडिकल कॉलेज


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