जयपुर. राजस्थान में महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलों में इस साल कमी दर्ज की गई है. बीते साल की पहली तिमाही (जनवरी, फरवरी और मार्च) में नाबालिग बच्चियों और महिलाओं से दुष्कर्म के जितने मामले दर्ज हुए थे, उससे मुकाबले इस साल के शुरुआती तीन महीनों के आंकड़े कम हैं. इसको लेकर पुलिस महकमा अपनी पीठ थपथपा रहा है. साथ ही महिला संगठनों की प्रतिनिधि भी इसे सुखद बदलाव के रूप में देख रही हैं. हालांकि, उनका कहना है कि मामले कम दर्ज हो या ज्यादा. सरकार को त्वरित न्याय दिलाने पर खास ध्यान देना चाहिए.
एडीजी क्राइम दिनेश एमएन ने बताया कि पिछले साल की पहली तिमाही के मुकाबले इस साल की पहली तिमाही में महिलाओं और बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाओं में 6.60 फीसदी की कमी आई है. उन्होंने बताया कि साल 2022 में जनवरी, फरवरी और मार्च में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 1212 मामले दर्ज हुए थे, जबकि इस साल के शुरुआती तीन महीनों में महिलाओं से दुष्कर्म की घटनाएं घटकर 1132 रह गई हैं.
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महिला उत्पीड़न के मामले भी कम : इसी तरह नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में भी पिछले साल की पहली तिमाही के मुकाबले इस साल 4.65 फीसदी की कमी आई है. उन्होंने बताया कि साल 2022 की पहली तिमाही में पॉक्सो संबंधी अपराधों के 1011 प्रकरण दर्ज हुए थे, जबकि इस साल की पहली तिमाही में 964 मामले दर्ज हुए हैं. इसी तरह महिला उत्पीड़न के मामले भी पिछले साल के मुकाबले 222 मामले कम दर्ज हुए हैं.
मामले दर्ज करने में कोताही नहीं : सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू का कहना है कि राजस्थान पुलिस के ताजा आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के उत्पीड़न, दुष्कर्म और बच्चियों से ज्यादती के मामलों में कमी आई है. इसके मायने यह भी हैं कि ये हिंसा घटी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसी भी तरह के मामले की रिपोर्ट अनिवार्य रूप से दर्ज करने की व्यवस्था लागू कर रखी है. ऐसे में यह भी नहीं कहा जा सकता है कि प्राथमिकी दर्ज करने में कोताही बरती जा रही है. इस बीच ये ग्राफ घटा है, जो अच्छा संकेत है.
त्वरित न्याय दिलाने का हो प्रावधान : निशा कहती हैं कि इसको इस नजरिए से भी देखना चाहिए कि बहुत सारे मामले ऐसे हैं जो सरकार के लेवल पर नहीं आ पाते हैं या किन्हीं कारणों के चलते थानों तक पहुंच नहीं पाते हैं. अब जरूरत है कि जो भी मामले दर्ज हुए हैं, उनमें पीड़िताओं को त्वरित न्याय मिले. मामले कम दर्ज हो या ज्यादा, महिलाओं को त्वरित न्याय मिलना चाहिए.
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पहले पायदान पर था राजस्थान : सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह का कहना है कि जिस तरह से प्रदेश में पुलिस के पिछले तीन महीने के आंकड़े आए हैं. उनमें महिलाओं से और बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में कमी आई है. यह आंकड़े राहत देने वाले हैं, लेकिन अभी भी ये पर्याप्त नहीं हैं. इस दिशा में बहुत काम करना बाकि है. NCRB की रिपोर्ट में पिछले दिनों महिलाओं से ज्यादती के मामलों में राजस्थान पहले पायदान पर था. सरकार को ऐसे मामलों में आरोपियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही कड़ी सजा का प्रावधान ऐसे मामलों में होना चाहिए, जिससे अपराधियों में डर बना रहे.
क्या कहती है NCRB की रिपोर्ट : बीते साल जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के आंकड़ों पर गौर करें तो दुष्कर्म के मामलों में राजस्थान पहले नंबर पर था. इस रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में साल 2021 में देश में सबसे ज्यादा दुष्कर्म के कुल 6,337 मामले दर्ज हुए थे. साल 2020 में प्रदेश में रेप के 5,310 मामले दर्ज हुए थे. इन आंकड़ों के कारण दो साल तक राजस्थान दुष्कर्म के मामलों में पहले स्थान पर था.
इस साल रेप और हत्या के ये जघन्य मामले आए सामने
1. उदयपुर जिले के मावली में 29 मार्च को 8 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद जघन्य हत्या कर दी गई थी. आरोपी पड़ोसी ने ने शव के टुकड़े कर खंडहर में फेंक दिया था.
2. बाड़मेर जिले के पचपदरा में 6 अप्रैल को दलित महिला से दुष्कर्म के बाद उसपर थिनर छिड़ककर जिंदा जला दिया गया था. उसने जोधपुर में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था.
3. सांचौर में 24 अप्रैल की रात घर से लापता दो नाबालिग बहनों के शव दो दिन बाद नहर में मिले थे. परिजनों ने रेप के बाद हत्या का आरोप लगाया था. इस मामले में परिजनों और ग्रामीणों ने शव रखकर धरना भी दिया था.