जयपुर. उद्यमिता और व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन उद्यमिता की भावना को प्रोत्साहित करने और भारतीय स्टार्टअप की उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है. पीएम मोदी ने स्टार्टअप्स को 'नए भारत' की रीढ़ बताया था. राजस्थान में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए आई स्टार्टअप स्कीम मौजूदा सरकार की और से शुरू की गई, लेकिन इस स्कीम की खामियों के चलते युवाओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
क्या है स्टार्टअप डे का महत्व : स्टार्टअप देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा तो युवा नौकरी मांगने नहीं बल्कि नौकरी देने वाला होगा. युवाओं के आइडिया को पंख देने और व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. यह दिन स्टार्टअप व्यवसाय मालिकों के नवाचार और अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के बारे में बात करने के लिए एक मंच भी देता है. अलग-अलग कार्यक्रम के जरिए स्कीम को लेकर अधिक से अधिक जागरूकता फैलाना भी है. इसके अलावा इस दिन का उद्देश्य स्टार्टअप पहल के महत्व को उजागर करना और उन्हें बड़े पैमाने पर समाज के प्रतिनिधियों के रूप में बनाए रखना है.
युवाओं के आइडिया पर सरकार का इनवेस्ट : स्टार्टअप को बढ़ावा देने की शुरुआत कोरोना काल में ही हुई ती. नौकरी में आई गिरावट के बाद नई पीढ़ी का फोकस स्टार्टअप की ओर बढ़ा है. युवाओं के इसी रुझान को देखते हुए मौजूदा सरकार इनोवेशन एंड स्टार्टअप पॉलिसी के माध्यम से योजना का लाभ दे रही है. स्टार्टअप पॉलिसी में युवाओं के आइडिया पर राज्य सरकार पांच करोड़ तक का इन्वेस्ट करने का प्रावधान है. पिछले 8 सालों से 'नीयर एम्बुलेंस' के स्टार्टअप पर काम कर रहे शरद कुमार शर्मा बताते हैं कि राजस्थान के युवाओं के पास आइडिया की कमी नहीं है. यहां अपार संभावनाएं भी हैं, लेकिन राज्य सरकार की और से जो स्कीम चलाई जा रही है वो कागजों तक सीमित है. इसकी वजह से स्टार्टअप शुरू होने के साथ दम तोड़ देते हैं. उन्होंने कहा कि अगर स्टार्टअप को बढ़ावा देना है तो अनुदान या योजना स्वीकृत करने में देरी नहीं होनी चाहिए, समय पर फंड्स मिल जाने चाहिए.
बढ़ावा देने के सुझाव : स्टार्टअप विद्यार्थी दर्पण की को-फाउंडर प्रियंका सिंह बताती हैं कि स्कीम और पॉलिसी अच्छी है, लेकिन उसे धरातल पर नहीं उतरा जाता है. बतौर महिला वो पिछले 7 साल से विद्यार्थी दर्पण स्टर्टअप पर काम कर रहीं हैं, लेकिन इस प्रोजेक्ट में सरकार की ओर न कोई अनुदान मिला है और न किसी बड़ी कंपनियों से अनुबंधन कराने में सरकार की भूमिका रही है. युवाओं को सस्टेनेबल अलाउंस नहीं होने से समय से पहले ही स्टार्टअप फेल हो जाता है, इसलिए एक मिनिमम मंथली राशि,सीमित समय तक मिलनी चाहिए. स्टार्टअप हंटर हायकर के फाउंडर कुणाल सिंह कहते हैं कि क्लाउड स्पेस के लिए, गूगल/माइक्रोसॉफ्ट आदि से टाई अप होने चाहिए. लीगल सेल, सीए,सीएस, कॉपीराइट,ट्रेडमार्क और अन्य जरूरी सर्विस के लिए निशुल्क पैनल हो. सोशल मीडिया के लिए कोई सपोर्ट या फेसबुक,गूगल से क्रेडिट्स की व्यवस्था हो, तब तो स्टार्टअप को बूस्ट मिले.