जयपुर. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से 11 फरवरी को हाईकोर्ट सहित प्रदेश की निचली कोर्ट में साल की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित होगी. इसमें दोनों पक्षों की सहमति से केस का निपटारा करने के लिए 8,07,142 केसों को चिह्नित किया गया है.
इन केसों में 4,65,614 केस प्रिलिटिगेशन के हैं और 3,41,528 केस कोर्ट में लंबित केस हैं. इन केसों की सुनवाई के लिए 500 बेंच बनाई गई हैं. रालसा के सदस्य सचिव प्रमिल कुमार माथुर ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में ज्यादा से ज्यादा केसों के निस्तारण के लिए रोडवेज, परिवहन, राजस्व सहित अन्य विभागों के सचिवों के साथ बैठक आयोजित की गई है. इसके अलावा बैंकों व बीमा कंपनियों के अफसरों के साथ भी उनसे जुड़े केसों में निस्तारण के लिए बातचीत की है. वहीं प्री-काउंसलिंग के सेशन भी करवाए हैं. सरकारी विभागों के अधिकारियों के साथ रालसा ने बैठक की, ताकि उनके विभाग में लंबित राजीनामे योग्य मुकदमों को सूचीबद्ध किया जा सके. रालसा के विशेष सचिव पुरुषोत्तम लाल सैनी ने बताया कि रालसा और डालसा स्तर पर जनवरी से ही प्री-काउसंलिग करवाई जा रही है, ताकि पक्षकारों के बीच समझौता करवाया जा सके.
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एमएसीटी व एक साल तक की सजा के केस वापस लेगी राज्य सरकार: राज्य सरकार ने भी आदेश जारी कर एमएसीटी से जुड़े उन केसों को लोक अदालत में वापस लेने के लिए कहा है जो कर चोरी के नहीं हैं और जुर्माने से दंडनीय हैं. वहीं इन केसों में चालान पेश हो चुका हो और अपराध पहली बार किया गया हो. इसके अलावा आईपीसी की धारा में एक साल तक की सजा वाले उन केसों को भी तय शर्तों के अनुसार वापस लेने के लिए कहा है, जिनमें आरोपी तीन साल से ट्रायल भुगत रहा हो और उसका अपराध पहला हो.