जयपुर. राजधानी के जोरावर सिंह गेट पर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान चिकित्सालय के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बुधवार से चिकित्सा सेवाएं देना बंद कर दिया है. साथ ही एनआईए परिसर में ही प्रोटेस्ट करते हुए रेजिडेंट डॉक्टर्स और छात्रों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान एनआईए छात्र संघ अध्यक्ष डॉ. नवल सिंह ने बताया कि अपनी मांगों को लेकर 21 सितंबर से काली पट्टी बांधकर विरोध जताना शुरू किया. इसके बाद अब ओपीडी का बहिष्कार किया है. बावजूद इसके, प्रशासन ने आंख मूंद रखी है.
उन्होंने बताया कि ये राष्ट्रीय स्तर का संस्थान है, लेकिन यूजी, पीजी और पीएचडी में राज्य स्तर के संस्थानों से भी कम स्टाइपेंड मिलता है, जबकि फीस उनसे 3 गुना है. बीते 4 साल से हर सत्र में ये मांगे उठाई जाती है, लेकिन हर बार उन्हें झूठा आश्वासन दे दिया जाता है. उन्होंने बताया कि सरकारी संस्थान होने के बावजूद यहां छात्र-छात्राओं के लिए हॉस्टल की उपयुक्त सुविधा नहीं है. आधे से ज्यादा छात्र हॉस्टल की सुविधा से वंचित रह जाते हैं. यहां तकरीबन 1000 आयुर्वेद छात्र हैं. छात्र ओपीडी, आईपीडी, ओटी और इमरजेंसी ड्यूटी में अपना पूरा समय देते हैं. बावजूद इसके उनका शोषण हो रहा है, लेकिन अब पानी सिर से ऊपर गुजर गया है और यदि अब मांग पूरी नहीं होती तो सभी डॉक्टर्स भूख हड़ताल पर बैठेंगे.
आपको बता दें कि राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में विश्वविद्यालय के साथ-साथ अस्पताल भी संचालित है, जहां इन रेजिडेंट डॉक्टर्स की ओपीडी, आईपीडी, ओटी में भी ड्यूटी लगती है. हालांकि, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के रेजिडेंट डॉक्टर फिलहाल इमरजेंसी ड्यूटी दे रहे हैं, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से आहत रेजिडेंट डॉक्टर्स ने अब पूर्ण कार्य बहिष्कार करते हुए आमरण अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है. जिसका खामियाजा आयुर्वेद अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को भी भुगतना पड़ेगा.